Saturday, 18 May 2024

SHIVRATRI SPECIAL: शिव हैं तो सब है….

-अंजना भागी SHIVRATRI SPECIAL: आज पूरा शहर ॐ नमः शिवाय में मस्त है तथा व्यस्त भी शिव देव ही ऐसे हैं…

SHIVRATRI SPECIAL: शिव हैं तो सब है….

-अंजना भागी

SHIVRATRI SPECIAL: आज पूरा शहर ॐ नमः शिवाय में मस्त है तथा व्यस्त भी शिव देव ही ऐसे हैं जो की देव तथा दानव दोनों में ही सामञ्जसय रखते थे। इसीलिए शिव की बारात में हर तरह के लोग शामिल थे।

नोएडा। शिव शक्ति के प्रतीक है लेकिन साथ ही उनके भक्तों का यह भी मानना है कि भोले नाथ में  क्रोध भी बहुत है । वे जल्दी  ही क्रोधित भी हो जाते हैं सत्य तो यह है कि भगवान शिव के  कष्ट को ही हम उनका क्रोध  समझ लेते हैं जरा सोच कर देखिए भोले बाबा ने मां पार्वती से प्रेम किया लेकिन उस प्रेम को विवाह स्वरूप  बदलने में 300 जन्मों का तप भी है। मां पार्वती ने 300 जन्म लिए थे। हर जन्म में तप किया था । जिसमें में शिव ने उनकी परीक्षाएं भी ली  थीं।

SHIVRATRI SPECIAL

भोले नाथ  भगवान कि ये भी विशेषता है  कि अपने क्रोध के समय में वे किसी को कष्ट नहीं देते।  किसी का विनाश नहीं करते बल्कि खुद जाकर तपस्या में लीन हो जाते हैं  और इनके तप  में इतनी शक्ति थी कि पूरी धरती  डोल उठी थी तब भगवान विष्णु भागे भागे शिव के स्थान पर स्वयं गए थे। उन्होंने छोटी छोटी सी बातों पर शिव से  झगड़ा करना शुरू किया लेकिन तप  भंग होने के कारण भगवान शिव ने उनकी छाती पर त्रिशूल रख दिया।

साथ ही भोले बाबा यह भी समझ गए कि हम भगवान हैं हमें यह सब करना शोभा नहीं देता।  शिव का इससे भी उत्तम उदाहरण है। क्या क्रोध में कभी कोई व्यक्ति इतना सुंदर नृत्य करता है?  उसका उदाहरण है जब भी शिव क्रोध में आए थे। तब- तब  इन्होंने तांडव नृत्य किया था शिव का तीसरी आंख खोल तांडव इससे उत्तम नृत्य  कोई है ही नहीं।  इसीलिए आज भी साउथ में जब भी कोई भव्य नृत्य कला का कार्यक्रम  होता है तो पहले गणेश को पूजते हैं फिर शिव की पूजा के बाद ही प्रस्तुतियाँ देते हैं। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा कर किया जाने वाला कोई भी नृत्य यदि कोई साधक करता है तो उसको कोई बीट करने वाला नहीं होता।
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व हर वर्ष फागुन माह  कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है इस दिन भगवान शिव के श्रद्धालु भोले बाबा को हर तरह  से मनाते हैं इस पर्व पर महत्वपूर्ण होती है चार पहर की शिव- पूजा यह माना जाता है कि चार पहर की पूजा करने से मनुष्य  काम क्रोध मोह लोभ इन सब से उपर  उठ जाता  है इस बार महाशिवरात्रि पर शिव की पूजा का मुहूर्त सारे दिन का है।  इसी लिए आज  हर मंदिर, घरों में लोगों ने शिव पूजा विधि – विधान से की  साल की चार रात्रियों को सर्वश्रेष्ठ एवं पूजा के लिए शुभ माना जाता है। ये हैं  महाशिवरात्रि की रात जिसमें रात के चारों प्रहर पर रुद्र का अभिषेक किया जाता है।  होलिका दहन की रात इस दिन भी अग्नि की पूजा का रात का ही मुहूर्त होता है , दशहरे की रात तथा दिवाली की रात  की पूजा ।

पूरे नोयडा  शहर में लोगों ने निशित काल से ही शिव पूजा शुरू की। ये पूजा का 19 फरवरी  की सुबह तक का मुहूर्त है।  कुछ लोग इसी दिन विशेष रूप से अपने विवाह की तिथि भी रखते हैं। और फिर हर वर्ष धूम धाम से शिव –विवाह के साथ अपने विवाह की यादें ताजा करते हैं। सेक्टर 12 आर एन श्रीवास्तव ने अपना तथा अपने पुत्र का विवाह शिव रात्रि को ही किया था इसलिए वे शिव – विवाह का आयोजन हर वर्ष करते हैं।

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