Maha Kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के मेले की विधिवत शुरुआत हो गई है। सोमवार को महाकुंभ में पहला शाही स्नान किया गया। महाकुंभ के शाही स्नान में दुनिया भर से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई। महाकुंभ का यह आयोजन अब तक का सबसे बड़ा आयोजन माना जा रहा है। महाकुंभ के इस बार के मेले में 50 करोड लोगों के आने की संभावना है। इसी के साथ आपको यह भी जान लेना चाहिए कि महाकुंभ के मेले का इतिहास दुर्घटनाओं से भी भरा हुआ है।
वर्ष-1954 में हुआ था आजाद भारत का पहला महाकुंभ
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में वर्ष-1954 में आजाद भारत का पहला महाकुंभ (पूर्ण कुंभ) का मेला आयोजित हुआ था। प्रयागराज में उस समय में महाकुंभ का आयोजन 14 जनवरी 1994 से 3 मार्च 1954 तक हुआ था। दुर्भाग्य से महाकुंभ के उस मेले में एक बहुत बड़ी दुर्घटना हो गई थी। उस समय 3 फरवरी 1954 को महाकुंभ के मेले में अचानक भगदड़ मच गई थी। उस भगदड़ में 1600 से भी अधिक श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। सरकारी आंकड़ों में उस महाकुंभ में मरने वालों की संख्या 800 बताई गई थी।
वर्ष-2013 के महाकुंभ में भी हो गई थी दुर्घटना
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में वर्ष-2013 में भी महाकुंभ (कुंभ का मेला) लगा था। उस महाकुंभ के मेले में भी दुर्भाग्य पूर्ण दुर्घटना हो गई थी। वह दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना 10 फरवरी 2013 को प्रयागराज जंक्शन पर भगदड़ मचने से हुई थी, जिसमें 36 लोगों की जान चली गई. लगभग 30 से अधिक लोग घायल हो गए थे। जांच में पता चला था कि रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ के चलते फुटओवर ब्रिज के एक हिस्से की रेलिंग टूटने से दुर्घटना हुई थी। अधिकारियों का कहना था कि फुटओवर ब्रिज पर दोनों ओर से एक साथ लोगों के चढऩे के कारण धक्का लगने से कई लोग गिर गए थे, जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई। वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि भीड़ पर पुलिस की तरफ से लाठी चलाई गई, जिससे भगदड़ मची और भगदड़ के चलते फुटओवर ब्रिज की रेलिंग टूट गई. जिससे कई लोगों की मौत हुई थी।
जांच के लिए बना था आयोग
महाकुंभ 2013 के दौरान प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे की जांच के लिए बनाए गए एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखा गया था। आयोग ने जांच में रेल प्रशासन द्वारा लापरवाही पूर्वक भ्रम फैलाने वाली सूचनाओं को घोषित किया जाना प्रमुख कारणों में से एक माना था। जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि रेल प्रशासन द्वारा चिकित्सक और चिकित्सीय सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई थी, इसके लिए तत्कालीन डीआरएम हरिंद्र राव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी ज्म्मिेदार थे।
घटना के वक्त राजकीय रेलवे पुलिस के पास न तो कोई एंबुलेंस था और ना ही कोई चिकित्सक नियुक्त था। आरपीएफ जवानों द्वारा पॉलीकार्बोनेट के डंडों का प्रयोग किए जाने से कई यात्रियों को चोटें आईं थी। इन डंडों का प्रयोग यात्रियों पर किया जाना ही दुर्घटना का कारण बना। आयोग ने यह भी बताया था कि दुर्घटना के बाद रेल अधिकारियों द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया था।
महाकुंभ में बरती जा रही है सभी सावधानियां
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में इस बार किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जा रही है। सुरक्षा व्यवस्थासे लेकर आने-जाने की व्यवस्था को महाकुंभ प्रशासन ने उत्तम श्रेणी का बनाया है। महाकुंभ प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है कि इस बार का महाकुंभ का मेला किसी भी प्रकार की बाधा के बिना पूरा हो जाए। करोड़ों श्रद्धालु भी महाकुंभ के सकुशल सम्पन्न होने की प्रार्थना लगातार कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों का कहना है कि इस बार महाकुंभ के मेले में भीड़ के पुराने सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे। Maha Kumbh 2025 :
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