उत्तर प्रदेश के युवा किसान ने कर दिया बड़ा कमाल

घाटे की खेती को बनाया प्रोफिट वााला
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रहने वाले युवा किसान हिमांशु नाथ सिंह का जन्म एक परंपरागत किसान परिवार में हुआ है। हिमांशु नाथ सिंह का परिवार भी दूसरे किसानों की तरह खेती को घाटे का काम मानता था। जवान होने पर हिमांशु नाथ सिंह ने जब खेती करना शुरू किया तो उसने खेती को मुनाफे का कारोबार कैसे बनाया जाए इस पर रिसर्च करना शुरू किया। हिमांशु नाथ सिंह को अपने प्रयास में जल्दी ही सफलता प्राप्त हो गई। इस युवा किसान के सार्थक प्रयासों से उसके परिवार की खेती से आमदनी एक करोड़ रूपए सालाना तक पहुंच गई है। UP News आप कल्पना करें कि एक छोटा सा किसान साल में एक करोड़ रूपए की कमाई करने लगे तो उसकी चर्चा होना जरूरी है। उत्तर प्रदेश के युवा किसान हिमांशु नाथ सिंह की पूरे उत्तर प्रदेश में खूब चर्चा हो रही है। दूर-दूर से किसान हिमांशु नाथ सिंह से प्रोफिट वाली खेती के लिए राय लेने सीतापुर पहुंच रहे हैं।यह भी पढ़े: यूपी के इस जिले में 83 हजार लोगों का मुफ्त राशन रुका, जानें वजह
उत्तर प्रदेश के युवा किसान ने कैसे बदला खेती का तरीका
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमांशुनाथ सिंह के परिवार का गन्ने की खेती में 40 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने अपने पिता से पारंपरिक खेती के तरीके सीखे। लेकिन, हिमांशु ने इसमें विज्ञान और तकनीक का समावेश किया। उन्होंने जल्दी ही यह समझ लिया कि खेती को प्रासंगिक और लाभदायक बनाए रखने के लिए इनोवेशन की जरूरत है। है। इसलिए उन्होंने जैविक और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित मिश्रण का इस्तेमाल शुरू किया। इसमें गोबर, जैविक खाद, जीवामृत और घन जीवामृत शामिल हैं। हिमांशु की सफलता के पीछे एक प्रमुख कारण उनका गन्ने की खेती के प्रति वैज्ञानिक नजरिया है। वह बुवाई के समय, बीज की दूरी और मिट्टी के पोषण पर विशेष ध्यान देते हैं। वह सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के बीच गन्ने की बुवाई करना पसंद करते हैं। वह मानते हैं कि यह बेहतर उपज के लिए सबसे उपयुक्त समय है। हिमांशु 0118, 14235 जैसी उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करते हैं। ये रोग प्रतिरोधी और हाई यील्ड वाली हैं। वह प्रति हेक्टेयर 2,470 कुंतल गन्ने की उपज हासिल करते हैं। 10 बीघा जमीन पर गन्ने की खेती करके हिमांशु नाथ सिंह का कुल सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है। UP Newsकेले की खेती भी करते हैं हिमांशु नाथ सिंह
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गन्ने के साथ हिमांशु केले की भी खेती करते हैं, जो उनकी आय को बढ़ाता है। मिट्टी की जैव विविधता को भी बेहतर बनाता है। वह अपनी फसलों के साथ आलू, गोभी, फूलगोभी और सरसों जैसी सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग भी करते हैं। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है बल्कि आय के अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करता है। वह केले की खेती में भी जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। इससे फल की क्?वालिटी और मार्केट वैल्यू में बढ़ोतरी होती है। UP Newsअगली खबर पढ़ें
घाटे की खेती को बनाया प्रोफिट वााला
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रहने वाले युवा किसान हिमांशु नाथ सिंह का जन्म एक परंपरागत किसान परिवार में हुआ है। हिमांशु नाथ सिंह का परिवार भी दूसरे किसानों की तरह खेती को घाटे का काम मानता था। जवान होने पर हिमांशु नाथ सिंह ने जब खेती करना शुरू किया तो उसने खेती को मुनाफे का कारोबार कैसे बनाया जाए इस पर रिसर्च करना शुरू किया। हिमांशु नाथ सिंह को अपने प्रयास में जल्दी ही सफलता प्राप्त हो गई। इस युवा किसान के सार्थक प्रयासों से उसके परिवार की खेती से आमदनी एक करोड़ रूपए सालाना तक पहुंच गई है। UP News आप कल्पना करें कि एक छोटा सा किसान साल में एक करोड़ रूपए की कमाई करने लगे तो उसकी चर्चा होना जरूरी है। उत्तर प्रदेश के युवा किसान हिमांशु नाथ सिंह की पूरे उत्तर प्रदेश में खूब चर्चा हो रही है। दूर-दूर से किसान हिमांशु नाथ सिंह से प्रोफिट वाली खेती के लिए राय लेने सीतापुर पहुंच रहे हैं।यह भी पढ़े: यूपी के इस जिले में 83 हजार लोगों का मुफ्त राशन रुका, जानें वजह
उत्तर प्रदेश के युवा किसान ने कैसे बदला खेती का तरीका
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमांशुनाथ सिंह के परिवार का गन्ने की खेती में 40 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने अपने पिता से पारंपरिक खेती के तरीके सीखे। लेकिन, हिमांशु ने इसमें विज्ञान और तकनीक का समावेश किया। उन्होंने जल्दी ही यह समझ लिया कि खेती को प्रासंगिक और लाभदायक बनाए रखने के लिए इनोवेशन की जरूरत है। है। इसलिए उन्होंने जैविक और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित मिश्रण का इस्तेमाल शुरू किया। इसमें गोबर, जैविक खाद, जीवामृत और घन जीवामृत शामिल हैं। हिमांशु की सफलता के पीछे एक प्रमुख कारण उनका गन्ने की खेती के प्रति वैज्ञानिक नजरिया है। वह बुवाई के समय, बीज की दूरी और मिट्टी के पोषण पर विशेष ध्यान देते हैं। वह सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के बीच गन्ने की बुवाई करना पसंद करते हैं। वह मानते हैं कि यह बेहतर उपज के लिए सबसे उपयुक्त समय है। हिमांशु 0118, 14235 जैसी उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करते हैं। ये रोग प्रतिरोधी और हाई यील्ड वाली हैं। वह प्रति हेक्टेयर 2,470 कुंतल गन्ने की उपज हासिल करते हैं। 10 बीघा जमीन पर गन्ने की खेती करके हिमांशु नाथ सिंह का कुल सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है। UP Newsकेले की खेती भी करते हैं हिमांशु नाथ सिंह
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गन्ने के साथ हिमांशु केले की भी खेती करते हैं, जो उनकी आय को बढ़ाता है। मिट्टी की जैव विविधता को भी बेहतर बनाता है। वह अपनी फसलों के साथ आलू, गोभी, फूलगोभी और सरसों जैसी सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग भी करते हैं। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है बल्कि आय के अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करता है। वह केले की खेती में भी जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। इससे फल की क्?वालिटी और मार्केट वैल्यू में बढ़ोतरी होती है। UP Newsसंबंधित खबरें
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