Saturday, 19 October 2024

ढाबे से मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, पुलिस के कहने पर उठाया कदम

UP News : उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर है कि पुलिस के कहने में एक…

ढाबे से मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, पुलिस के कहने पर उठाया कदम

UP News : उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर है कि पुलिस के कहने में एक ढाबे के मालिक ने 4 मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। यह घटना मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून हाईवेपर स्थित साक्षी होटल की है।

क्या है पूरा मामला?

इस मामले में ढाबे के मालिक मालिक लोकेश भारती का कहना है कि पुलिस की एक गाड़ी उनके पास आई और कहा कि आप मुस्लिम लड़कों को नहीं रख सकते हैं। ढाबे के मालिक ने कहा ‘पुलिसवाले आए और सबसे पहले कहा कि यहां 6 बाई 4 का एक प्रोपराइटर बोर्ड लगाइये। सभी का पहचान पत्र लेकर रखने के लिए कहा. इसके बाद कहा कि जो भी मुस्लिम वर्कर हैं अब आप उन्हें नहीं रखेंगे। साथ ही पुलिस वालों ने ढाबे के मालिक को कांवड़ यात्रा मार्ग पर अपनी दुकान के आगे अपना नाम लिखने का निर्देश भी दिया।

पुलिस वालों के कहने पर नौकरी से निकाला

वहीं इस बारे में जानकारी देते हुए ढाबा मालिक ने आगे कहा, ‘पुलिसवाले के कहने के बाद मैंने मुंशी, शफक्कत अली, वकार और राजू (मुस्लिम) को नौकरी से निकाल दिया है।’ वहीं ढाबे के मालिक ने मीडिया से बातचीत में यह भी बताया कि मुझे यह नहीं पता वह पुलिस किस थाने की थी। लेकिन मुझे मुस्लिम वर्कर न रखने की नसीहत देकर गए है। इसी कारण में अपने यहां काम करने वाले चार मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।

वीएचपी ने फैसले का किया समर्थन

मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के आगे मालिकों के नाम लिखने के निर्देश का समर्थन किया है। गुरुवार को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबे के मालिकों के नाम लिखने के निर्देश को लेकर विपक्षी दलों की आलोचना पर वीएचपी ने कहा कि हिंदुओं की आस्था की रक्षा के लिए यह कदम उठाना जरूरी था।

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विपक्ष ने उठाया सवाल

वहीं वीएचपी के इस समर्थन पर विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस का आदेश “भारत की संस्कृति पर हमला” है। कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह के आदेश के पीछे का इरादा मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार करना है। वहीं एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस आदेश को भेदभावपूर्ण बताया और आरोप लगाया कि इससे पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ सरकार उत्तर प्रदेश और पूरे देश में मुसलमानों को “दूसरे दर्जे का नागरिक” बनाना चाहती है। UP News

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