Monday, 31 March 2025

एक और ईद पर दी जा रही सौगात दूसरी और अलविदा जुमा के मौके पर की जा रही बंटने-बांटने की बात

UP News : रमजान के महीने में अलविदा जुमा (Alvida Jumma) को लेकर देशभर में एक नई बहस ने तूल…

एक और ईद पर दी जा रही सौगात दूसरी और अलविदा जुमा के मौके पर की जा रही बंटने-बांटने की बात

UP News : रमजान के महीने में अलविदा जुमा (Alvida Jumma) को लेकर देशभर में एक नई बहस ने तूल पकड़ लिया है। ईद से पहले यह शुक्रवार मुस्लिमों के लिए खास है लेकिन इस दिन नमाज़ को लेकर विभिन्न शहरों में प्रशासन ने कड़ी चेतावनियां जारी की हैं। दिल्ली से लेकर संभल और मेरठ तक पुलिस और प्रशासन ने सड़कों पर नमाज़ पढ़ने पर सख्त रोक लगा दी है।

संभल-मेरठ में सख्त आदेश

संभल के सीओ अनुज चौधरी ने कहा कि, सड़क पर या घरों की छतों पर नमाज़ नहीं पढ़ी जानी चाहिए। अगर कोई ऐसा करता पाया गया तो इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मेरठ पुलिस ने कहा कि, अगर कोई सड़क पर नमाज़ पढ़ते हुए पाया गया तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट तक रद्द कर दिया जाएगा। मेरठ एसपी सिटी आयुष विक्रम ने कहा, किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मामला बनता है तो उसकी पासपोर्ट और लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है, जब तक कोर्ट से एनओसी न मिल जाए।

BJP और AAP के बीच सियासी घमासान

बता दें कि, इस आदेश पर सियासत भी तेज हो गई है। बीजेपी के विधायक करनैल सिंह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर मांग की है कि सड़क पर नमाज़ पढ़ने पर रोक लगाई जाए, क्योंकि इससे ट्रैफिक जाम और एंबुलेंस की आवाजाही में परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की पर्याप्त जगह है तो सड़कों पर नमाज़ क्यों पढ़ी जाती है। वहीं, आम आदमी पार्टी के विधायक चौधरी जुबैर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, दिल्ली में अब सड़कों पर नमाज़ नहीं होती और अगर कहीं मजबूरी में होती है तो यह बीजेपी नेताओं के ध्यान में आना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी को अब काम नहीं मिल रहा, इसलिए वह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक कृत्यों पर सवाल उठा रहे हैं।

सीओ अनुज चौधरी का विवादित बयान

संभल के सीओ अनुज चौधरी का एक बयान और चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा, “अगर आप ईद की सेवइयां खिलाना चाहते हैं तो आपको गुझिया भी खानी पड़ेगी।” अनुज चौधरी के इस बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह बयान एक सांप्रदायिक संदेश देने के लिए था, या फिर यह सच में दोनों समुदायों के बीच समानता और सौहार्द का प्रतीक था? आलोचकों का मानना है कि यह राजनीति का हिस्सा है, जहां एक तरफ मुस्लिमों के लिए सौगात बांटी जाती है, तो दूसरी तरफ उनके धार्मिक कृत्यों पर सवाल उठाए जाते हैं।

एक ओर उपहार दूसरी ओर तिरस्कार

जहां एक ओर मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान के आखिरी जुमा और ईद के अवसर पर उपहार दिए जा रहे हैं, वहीं नवरात्रि के दौरान मीट-मटन की दुकानों को बंद करने की मांग भी उठ रही है। यह बंटवारे की राजनीति का हिस्सा लगता है, जिसमें किसी एक समुदाय के पर्व या त्योहार को लेकर दूसरे समुदाय के लिए समस्याएं खड़ी करने की कोशिश की जा रही है। UP News

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