Uttar Pradesh- गंगा यमुना उफान पर हैं और पानी का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से प्रयागराज, कानपुर और वाराणसी में गंगा यमुना का लेवल बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। प्रयागराज में तो स्तिथि यह हो गई कि शनिवार सुबह गंगा से सटे इलाके सलोरी में एक मगरमच्छ सड़क पर आ गया। मगरमच्छ 10-12 फीट का था। इसे देखकर लोगों के होश उड़ गए। लोग डरकर घर की छतों पर भागने लगे। डरे हुए लोगों ने फौरन वन विभाग और पुलिस को सूचना दी। इसके बाद वन विभाग की टीम वहां पहुंची और काफी मेहनत के बाद मगरमच्छ को कब्जे में कर पाई। इसके बाद मगरमच्छ को वापस गंगा में छोड़ दिया गया।
वाराणसी में डूब गए घाट –
वहीं वाराणसी (Varanasi, Uttar Pradesh) में भी हालात काफी ज्यादा खराब होते नज़र आ रहे हैं। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 24 सेमी ऊपर चल रहा है। घाट पूरी तरह से जल से डूब चुके हैं। पानी इतना हो गया है कि अब दाह संस्कार सड़कों पर किया जा रहा है। दूसरी ओर कानपुर की यमुना नदी भी उफान पर है। यमुना नदी का पानी कई गांवों में घुस चुका है। पानी इतना बढ़ गया है कि कानपुर बांदा हाईवे को भी बंद कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि नदियों में जल अभी और बढ़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार शनिवार सुबह वाराणसी में जलस्तर 71.50 मीटर था। यह गंगा ल डेंजर लेवल से भी ज्यादा है। आज गंगा का वाटर लेवल और बढ़ रहा है। स्तिथि सामान्य होने की जगह और बिगड़ती जा रही है। लोग अपना अपना सामान लेकर सूखे स्थान की तरफ बढ़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इससे पहले 1978 में वाराणसी में बहुत ज्यादा बाढ़ आई थी।
प्रयागराज में सड़क पर आया मगरमच्छ –
वहीं प्रयागराज में सड़क पर मगरमच्छ आ गए हैं। शनिवार की सुबह प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों खतरे के निशान से ऊपर बहने लगीं। अभी की अगर बात करें तो अभी गंगा खतरे के निशान से 21 सेमी ऊपर बह रही है। यहां के करीब 10 इलाकों में पानी घुस गया है। लोगों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। इससे पहले प्रयागराज में 2013 और 1978 में बाढ़ का यह मंजर देखने को मिला था। रिपोर्ट्स के अनुसार अब 2022 में भी हालात कुछ ऐसे ही बन रहे हैं। अगर जलस्तर यूं ही लगातार बढ़ता रहा तो जल्द ही 2013 और 1978 वाली स्तिथि बन जाएगी।
कानपुर की भी हालत खराब –
कानपुर में भी स्तिथि बिगड़ती ही जा रही है। पिछले 16 घण्टे में यमुना का स्तर बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। अगर ऐसे ही जलस्तर बढ़ता रहा तो कई घर तबाह हो जाएंगे।