<span style="color:#ec9c22;">Dehradun : </span>उत्तरकाशी में एवलांच से दो की मौत, 21 लोग फंसे, एयरफोर्स से मांगी मदद





Ankita Murder Case : देहरादून। कहानी उलझी हुई है । पता है, पर इस बात का प्रमाण सदैव हत्या तथा उत्पीड़न के बाद ही क्यों चलता है ? आखिर क्यों ? मानवता को शर्मसार करता अंकिता हत्या काण्ड क्या राजनीतिक रसूखों के कारण प्रशासनिक निकम्मे पन का ज्वलंत उदाहरण नहीं है ? इस मामले में नित्य नए - नए तथ्य सामने आ रहे हैं । सवाल ये है कि ये तमाम तथ्य अब जब जन आक्रोश जागृत हो गया है तब ही क्यों आ रहे है ? अब मामले की जांच SIT दल कर रहा है । क्या साक्ष्य निपटाने से पहले ही यह जांच जरुरी नहीं थी ? जनता क्या समझे । क्या पुलिस, राजस्व विभाग, स्थानीय निकाय या विकास प्राधिकरण वे सभी एक युवती के साथ हुए इस जघन्य अपराध से अनभिज्ञ । आखिर कब तक?
19 वर्षीय अंकिता पौड़ी गढ़वाल के डोम श्रीकोट की रहने वाली थी । वो ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला थाना क्षेत्र और चीला के बीच मौजूद विस्तारा रिसोर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्यरत थी । 19 सितम्बर से वह गुमशुदा थी । 19 सितंबर को ही, पटवारी चौकी उदयपुर तल्ला में उसके पिता उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने गये थे । परिजनों का आरोप है कि पटवारी ने उन्हें क़रीब ढाई घंटे तक बाहर बिठाए रखना । 24 सितंबर को अंकिता का शव बरामद होने के बाद ही ये खुलासे शुरू हुए की अंकिता की हत्या, रिज़ॉर्ट संचालक और बीजेपी नेता तथा पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य, रिज़ॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और एक अन्य कर्मी अंकित ने कर दी थी ।
हालांकि ऐसे बहुत से अनुत्तरित सवाल है जो स्वयं प्रमाण हैं की आखिर इन सब के पीछे कौन लोग सक्रिय है ? यह जानकारी होने के बावजूद भी रिसोर्ट का ढहाया जाना । मुख्य आरोपी पुलकित के फोन का कुछ भी अता - पता न चलना ही अपने आप में महत्वपूर्ण साक्ष्य नहीं थे क्या ? इन सबके बावजूद भी पुलिस ने इस मामले में शुरुआत में रिमांड क्यों नहीं मांगी । पुलिस को अब तक फ़ोन का न मिलना इससे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है की जान पर खेल इस जघन्य अपराध के खिलाफ सबूत जुटाने वाले समाज के चौथे स्तम्भ को धमकियाँ की पुलकित भइया तो बाहर निकाल आएंगे । तू बात कहाँ जायेगा ? ऐसे बहुत से अनुत्तरित सवाल है । जो स्वयं प्रमाण हैं की आखिर इन सब के पीछे कौन लोग सक्रिय है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 24 सितंबर को अंकिता का शव बरामद होने के बाद एक प्रेस कॉंनफ्रेंस में कहा था कि सभी अभियुक्तों के खिलाफ कार्यवाही की गई है । सबसे बड़ा साक्ष्य था रिसोर्ट का ध्वस्तिकरण, इसलिए की वह वन विभाग की जमीन पर था । न स्थानीय न जिला प्रशासन किसी को भी इस बारे में ख़ास जानकारी नहीं है । शर्मनाक नहीं है क्या ? इतने संजीदा मामले में भी पौड़ी के ज़िलाधिकारी जोगदंड पता लगा लगा रहे हैं कि आख़िर किसके आदेश पर रिज़ॉर्ट ढहाने के लिए बुलडोज़र भेजा गया ? पुलिस अधीक्षक शेखर सुयाल कह रहे हैं की उन्होंने रिsort गिरवाने के आदेश नहीं दिया । रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र चलाए जाने को लेकर अंकिता के परिवार ने भी सवाल उठाए थे ? परिवार वालों का कहना था कि अंकिता जिस कमरे में रहती थी, वहां से कई सबूत मिल सकते थे, लेकिन उसे ढहा दिया गया । कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस बात पर टिप्पणी की की अंकिता मर्डर केस पर प्रशासन ने शुरू से ही लापरवाही दिखाई है। पुलकित के जिस फ़ोन को पुलिस अभी भी ढ़ूड रही है । एक टी वी चॅनेल ने उसको सुनवा भी दिया । यदि ये ही मापदंड रहा तो उत्तराखंड में बेटियां कैसे सुरक्षा पाएंगी ? क्या सरकार देश की आधी आबादी के साथ सही आरोपियों को उचित दंड दे सुरक्षित कर पाएगी ? या अब हर न्याय के लिए अभिभावकों के साथ जनता ही सड़कों पर निकल न्याय की गुहार लगाएगी । पुलिस ने कहा है कि अभी तक पुलिस पुलकित का फोन भी बरामद नहीं कर सकी है । पुलिस इसकी तलाश में जुटी है। हालांकि, अंकिता के गुम होने के अगले दिन ही अंकिता के दोस्त और पुलकित के बीच बातचीत की ऑडियो रिक़र्डिंग कई टेलीविजन चैनलों पर सुनवा दी गई ।
इस हाईप्रोफ़ाइल केस में पुलिस ने अभियुक्तों को रिमांड पर लेने के लिए भी गुजारिश नहीं की आखिर कैसे कथित कबूलनामे पर इतनी जल्दी एतबार कर लिया । पुलिस ने मजिस्ट्रेट से पूछताछ के लिए रिमांड भी नहीं मांगी और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में पौड़ी जेल ही भेज दिया गया ? पर अब पब्लिक सब जानती है । इसी लिए अंकिता के अभीभावकों के साथ सड़कों पर है।
इस प्रकरण में एक दर्जन से भी अधिक अनुतरित सवाल मौजूद हैं । जनता इस पूरे मामले में जिस प्रकार आक्रोशित है उससे यह स्पष्ट है कि देश व प्रदेश के व्यवस्थापकों के इन सभी सवालों के जवाब देर या सवेर से पर देने ही पड़ेंगे ।
Ankita Murder Case : देहरादून। कहानी उलझी हुई है । पता है, पर इस बात का प्रमाण सदैव हत्या तथा उत्पीड़न के बाद ही क्यों चलता है ? आखिर क्यों ? मानवता को शर्मसार करता अंकिता हत्या काण्ड क्या राजनीतिक रसूखों के कारण प्रशासनिक निकम्मे पन का ज्वलंत उदाहरण नहीं है ? इस मामले में नित्य नए - नए तथ्य सामने आ रहे हैं । सवाल ये है कि ये तमाम तथ्य अब जब जन आक्रोश जागृत हो गया है तब ही क्यों आ रहे है ? अब मामले की जांच SIT दल कर रहा है । क्या साक्ष्य निपटाने से पहले ही यह जांच जरुरी नहीं थी ? जनता क्या समझे । क्या पुलिस, राजस्व विभाग, स्थानीय निकाय या विकास प्राधिकरण वे सभी एक युवती के साथ हुए इस जघन्य अपराध से अनभिज्ञ । आखिर कब तक?
19 वर्षीय अंकिता पौड़ी गढ़वाल के डोम श्रीकोट की रहने वाली थी । वो ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला थाना क्षेत्र और चीला के बीच मौजूद विस्तारा रिसोर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्यरत थी । 19 सितम्बर से वह गुमशुदा थी । 19 सितंबर को ही, पटवारी चौकी उदयपुर तल्ला में उसके पिता उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने गये थे । परिजनों का आरोप है कि पटवारी ने उन्हें क़रीब ढाई घंटे तक बाहर बिठाए रखना । 24 सितंबर को अंकिता का शव बरामद होने के बाद ही ये खुलासे शुरू हुए की अंकिता की हत्या, रिज़ॉर्ट संचालक और बीजेपी नेता तथा पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य, रिज़ॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और एक अन्य कर्मी अंकित ने कर दी थी ।
हालांकि ऐसे बहुत से अनुत्तरित सवाल है जो स्वयं प्रमाण हैं की आखिर इन सब के पीछे कौन लोग सक्रिय है ? यह जानकारी होने के बावजूद भी रिसोर्ट का ढहाया जाना । मुख्य आरोपी पुलकित के फोन का कुछ भी अता - पता न चलना ही अपने आप में महत्वपूर्ण साक्ष्य नहीं थे क्या ? इन सबके बावजूद भी पुलिस ने इस मामले में शुरुआत में रिमांड क्यों नहीं मांगी । पुलिस को अब तक फ़ोन का न मिलना इससे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है की जान पर खेल इस जघन्य अपराध के खिलाफ सबूत जुटाने वाले समाज के चौथे स्तम्भ को धमकियाँ की पुलकित भइया तो बाहर निकाल आएंगे । तू बात कहाँ जायेगा ? ऐसे बहुत से अनुत्तरित सवाल है । जो स्वयं प्रमाण हैं की आखिर इन सब के पीछे कौन लोग सक्रिय है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 24 सितंबर को अंकिता का शव बरामद होने के बाद एक प्रेस कॉंनफ्रेंस में कहा था कि सभी अभियुक्तों के खिलाफ कार्यवाही की गई है । सबसे बड़ा साक्ष्य था रिसोर्ट का ध्वस्तिकरण, इसलिए की वह वन विभाग की जमीन पर था । न स्थानीय न जिला प्रशासन किसी को भी इस बारे में ख़ास जानकारी नहीं है । शर्मनाक नहीं है क्या ? इतने संजीदा मामले में भी पौड़ी के ज़िलाधिकारी जोगदंड पता लगा लगा रहे हैं कि आख़िर किसके आदेश पर रिज़ॉर्ट ढहाने के लिए बुलडोज़र भेजा गया ? पुलिस अधीक्षक शेखर सुयाल कह रहे हैं की उन्होंने रिsort गिरवाने के आदेश नहीं दिया । रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र चलाए जाने को लेकर अंकिता के परिवार ने भी सवाल उठाए थे ? परिवार वालों का कहना था कि अंकिता जिस कमरे में रहती थी, वहां से कई सबूत मिल सकते थे, लेकिन उसे ढहा दिया गया । कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस बात पर टिप्पणी की की अंकिता मर्डर केस पर प्रशासन ने शुरू से ही लापरवाही दिखाई है। पुलकित के जिस फ़ोन को पुलिस अभी भी ढ़ूड रही है । एक टी वी चॅनेल ने उसको सुनवा भी दिया । यदि ये ही मापदंड रहा तो उत्तराखंड में बेटियां कैसे सुरक्षा पाएंगी ? क्या सरकार देश की आधी आबादी के साथ सही आरोपियों को उचित दंड दे सुरक्षित कर पाएगी ? या अब हर न्याय के लिए अभिभावकों के साथ जनता ही सड़कों पर निकल न्याय की गुहार लगाएगी । पुलिस ने कहा है कि अभी तक पुलिस पुलकित का फोन भी बरामद नहीं कर सकी है । पुलिस इसकी तलाश में जुटी है। हालांकि, अंकिता के गुम होने के अगले दिन ही अंकिता के दोस्त और पुलकित के बीच बातचीत की ऑडियो रिक़र्डिंग कई टेलीविजन चैनलों पर सुनवा दी गई ।
इस हाईप्रोफ़ाइल केस में पुलिस ने अभियुक्तों को रिमांड पर लेने के लिए भी गुजारिश नहीं की आखिर कैसे कथित कबूलनामे पर इतनी जल्दी एतबार कर लिया । पुलिस ने मजिस्ट्रेट से पूछताछ के लिए रिमांड भी नहीं मांगी और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में पौड़ी जेल ही भेज दिया गया ? पर अब पब्लिक सब जानती है । इसी लिए अंकिता के अभीभावकों के साथ सड़कों पर है।
इस प्रकरण में एक दर्जन से भी अधिक अनुतरित सवाल मौजूद हैं । जनता इस पूरे मामले में जिस प्रकार आक्रोशित है उससे यह स्पष्ट है कि देश व प्रदेश के व्यवस्थापकों के इन सभी सवालों के जवाब देर या सवेर से पर देने ही पड़ेंगे ।