Monday, 30 December 2024

क्या है प्लान B, कैसे बाहर निकलेंगे सुरंग में फंसे 41 मजदूर ?

Uttarakhand Tunnel Rescue : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजूदरों को फंसे हुए रविवार को 16वां दिन…

क्या है प्लान B, कैसे बाहर निकलेंगे सुरंग में फंसे 41 मजदूर ?

Uttarakhand Tunnel Rescue : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजूदरों को फंसे हुए रविवार को 16वां दिन है। एक ही स्थान पर एक ही हालत में रह रहे इन मजदूरों पर क्या गुजर रही होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन इस बीच इन मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एक और नई कोशिश तेज कर दी गई है। अब प्लान बी पर काम किया जा रहा है। प्लान बी के तहत अब वर्टिकल खुदाई की जाएगी। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि वर्टिकल खुदाई बेहद ही रिस्की है। इससे भू धंसाव की संभावना बढ़ सकती है और मजदूरों की जान को भी खतरा हो सकता है।

Uttarakhand Tunnel Rescue

आपको बता दें कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए की जा रही कोशिशों के बीच शनिवार को रेस्क्यू टीम को निराशा का सामना करना पड़ा। अमेरिका से मंगाई गई ऑगर मशीन काम नहीं कर सकी। ड्रिलिंग के दौरान इस मशीन के ब्लेड खराब हो गए। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए प्लान ए के फेल होने पर अब प्लान बी पर काम किया जाएगा। प्लान ​बी के तहत वर्टिकल ड्रिल किया जाएगा। वर्टिकल ड्रिल का मतलब यह होता है कि पहाड़ के ऊपर जाकर सुरंग के ठीक ऊपर से नीचे की ओर खुदाई की जाएगी। वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए भारी भरकम मशीनें पहाड़ के ऊपर पहुंचाई जा रहीं हैं।

क्या है वर्टिकल ड्रिलिंग ?

आईआईटी गुवाहाटी में सिविल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर विवेक पद्मनाभ वर्टिकल ड्रिलिंग के बारे में बताते हैं कि जब हम सुरंग बनाने की कोशिश करते हैं तो मिट्टी और चट्टानों पर भारी मात्रा में दबाव पड़ता है, या इसे भू-तनाव भी कहा जाता है और इससे संतुलन बिगड़ जाता है। वर्टिकल ड्रिलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें हम पृथ्वी की सतह के नीचे अर्थ शाफ्ट बनाते हुए बोर होल ड्रिल करते हैं। यह वेंटिलेशन और संचार के लिए सीधी पहुंच प्रदान करने के लिए है। यदि बोर होल पर्याप्त चौड़ा है तो हम फंसे हुए लोगों को निकाल सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भौगोलिक तनाव अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग होता है, इसलिए ऊर्ध्वाधर तनाव पर अधिकतम दबाव होगा। यहां पर केसिंग के जरिए चट्टानों को बोरवेल में गिरने से रोका जा सकेगा।

प्लान B का हिस्सा

आपको बता दें कि वर्टिकल ड्रिलिंग प्लान बी का हिस्सा था। प्लान बी के तहत टनल में वर्टिकली 86 मीटर की खुदाई होनी है। हालांकि इसे लेकर अब तक रेस्क्यू टीम में जुटी एजेंसियों ने कोई फाइनल फैसला नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है इस प्लान पर आगे बढ़ा जा सकता है। वहीं टनल के दूसरे सिरे से भी हॉरिजॉन्टल खुदाई जारी है। अबतक दूसरे सिरे से खुदाई के लिए 3 ब्लास्ट किए जा चुके हैं।

चुनौतियां ही चुनौतियां

वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी चुनौतियों से भरा है। कई टन वजनी मशीन को उस ऊंचाई तक पहुंचाना और फिर ड्रिलिंग एक लंबी प्रक्रिया है। ONGC और SGVNL सुरंग के ऊपर से ड्रिल की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए बीआरओ ने सड़क पहले ही तैयार कर लिया था, लेकिन असली तो चुनौती अब है। माना जा रहा है कि ऊपरी हिस्से से फंसे मजदूरों तक 85 मीटर से ज्यादा की ड्रिल करनी होगी। ड्रिल के लिए लाई गई इस मशीन का इस्तेमाल डीप सी एक्सप्लोरेशन में किया जाता है।

सुरंग के ऊपर पहुंचने के बाद इस मशीन और इसके पुर्जों को जोड़ा जाएगा। ड्रिल से पहले मशीन को तैयार करने में करीब 2 घंटे का वक्त लगेगा। ड्रिल की रफ्तार वहां मिलने वाली मिट्टी और चट्टान पर निर्भर है। जितनी सख्त जमीन मिलेगी उतना ज्यादा समय लगेगा। अब तक राहतकर्मी सुरंग के मुहाने से हो रही ड्रिलिंग के भरोसे थे। अब वर्टिकल ड्रिलिंग ही सहारा है, क्योंकि सुरंग के अंदर मलबे में मौजूद सरिये के जाल को काट पाना आसान नहीं है।

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