वर्ष 2023 की चारधाम यात्रा (Uttarakhand) पर आज यानि 18 नवंबर से विराम लगने जा रहा है। आज दोपहर 3:33 के बाद श्री बद्रीनाथ धाम के पवित्र कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। श्री बद्री विशाल के कपाट बंद करने के अवसर पर आज धाम को 15 कुंटल गेंदे के फूलों से सजाकर भव्य रूप दिया गया है। बद्रीधाम के इस सुंदर दृश्य को देखने के लिए कल शाम ही करीब दस हजार के आसपास भक्त पहुंच चुके थे।
विशेष स्त्री रूप धर कर पुजारी बंद करते हैं कपाट
बद्री विशाल की महत्ता के बारे में तो भारत का लगभग हर शख्स जानता है लेकिन धाम के कपाट बंद करने की एक विशेष परम्परा और इसके कारण से शायद कुछ ही लोग वाकिफ होंगे। आपको बताते चलें की बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद करने के लिए यहाँ के मुख्य पुजारी “रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी” एक स्त्री रूप धरते हैं और भगवान श्री बद्री विशाल को गर्भगृह में माँ लक्ष्मी जी के साथ निवास करने का निमंत्रण देते हैं।
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कपाट बंद करने के लिए विशेष पंच पूजा का भी आयोजन होता है जिसमें कपाट बंद करने की मुख्य प्रक्रिया चौथे दिन पूरी की जाती है। इस दिन कुबेर जी एवं उद्धव जी को भी मंदिर के प्रांगण में लाया जाता है क्योंकि उद्धव भगवान कृष्ण के सखा हैं और उम्र में ज्येष्ठ हैं अतः उन्हें लक्ष्मी जी का जेठ माना जाता है।
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ज़ब तक वे गर्भगृह में विद्यमान रहते हैं तब तक लक्ष्मी जी वहाँ नहीं जा सकती हैं। इसके अलावा इस परम्परा के पीछे अन्य कारण यह भी है कि माता लक्ष्मी की विग्रह डोली को कोई पुरुष नहीं छू सकता है। अतः मंदिर के मुख्य पुजारी स्त्री वेष में ही डोली उठाते हैं।
क्यों विशेष हैं कपाट बंद करने की पंच पूजा?
पंच पूजा में पांचो दिन एक विशेष ईष्ट स्वरूप की पूजा की जाती है। प्रथम दिन गणेश मंदिर,दूसरे दिन केदारेश्वर एवं आदि शंकराचार्य मंदिर और तीसरे दिन खड़क पूजा की जाती है। फिर चौथे दिन माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना होती है।
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अंतिम यानि पाँचवे दिन पुजारी “रावल” स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को भगवान बदरी विशाल के सानिध्य में विराजित करते हैं और शीतकाल के लिए भगवान बदरी विशाल को घृत कम्बल भी ओढ़ाते हैं । इस पंच पूजा की शुरुआत 14 नवंबर से होती है।