Friday, 27 December 2024

Dr. BR Ambedkar’s Death Anniversary: महापरिनिर्वाण दिवस विशेष- किसानों के हमदर्द थे ‘भारत रत्न बाबा साहब’

विनय संकोची ‘हमारा अंतिम उद्देश्य होना चाहिए किसान की क्षमता बढ़ाना. किसान कभी भी पूंजीपति नहीं हो सकता है. वह…

Dr. BR Ambedkar’s Death Anniversary: महापरिनिर्वाण दिवस विशेष- किसानों के हमदर्द थे ‘भारत रत्न बाबा साहब’

विनय संकोची
‘हमारा अंतिम उद्देश्य होना चाहिए किसान की क्षमता बढ़ाना. किसान कभी भी पूंजीपति नहीं हो सकता है. वह एक के बाद दूसरी और तीसरी फसल उपजाता है और क्योंकि उसके पास पर्याप्त पूंजी नहीं होती इसलिए एक फसल को बेचकर दूसरी फसल की तैयारी करता है. ऐसे में यदि किसानों ने एक साल अच्छी कमाई कर भी ली, तो अगले वर्ष सूखा पड़ने की स्थिति में उनकी दशा फिर से बदहाल हो जाएगी. अतः आवश्यक यह है कि सरकार अपनी उचित भूमिका निभाते हुए किसानों के लिए ऐसी स्थिति बनाए कि वो उचित दामों पर अपनी फसल बेच सकें.’ ये विचार हैं, सभी वर्गों का समावेश कर भारतीय संविधान (Constitution of India) की रचना करने वाले भारत रत्न बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) के, जिनका आज महापरिनिर्वाण दिवस (Dr. BR Ambedkar Death Anniversary) है. बाबा साहब के हृदय में किसानों के प्रति सम्मान और सहानुभूति थी. उनका मानना था कि किसानों (Farmers) को बिचौलियों से मुक्ति मिलनी चाहिए, जोकि आज तक नहीं मिल पा रही है.

बाबा साहब ने कम उम्र में एक किताब लिखी थी- ‘स्मॉल होल्डिंग्स इन इंडिया’ (Small Holdings in India)- इस छोटी सी पुस्तक में किसानों की उन तमाम समस्याओं का उल्लेख किया गया है जो सौ साल बाद आज भी सामने आ रही हैं. इस पुस्तक में डॉक्टर आंबेडकर (Dr. Ambedkar) लिखा है – ‘यदि परिवर्तन नहीं हुआ तो किसानों की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती चली जाएगी.’ बाबा साहब की यह भविष्यवाणी भी अक्षरशः सत्य सिद्ध हो रही है. किसान बदलाव की बाट जोह रहे हैं और वह बदलाव नहीं हो रहे हैं जो किसान चाहते हैं.

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संविधान निर्माता बाबा साहब का कहना था – ‘किसानों को आधुनिक बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए. हमारा अंतिम उद्देश्य होना चाहिए किसानों की क्षमता बढ़ाना.’ इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता आज भी महसूस की जा रही है.

किसानों के हमदर्द भारत रत्न डॉक्टर भीमराव आंबेडकर (Bharat Ratna Dr. Bhimrao Ambedkar) त्रऋ चाहते थे कि सरकार द्वारा अधिग्रहण की गई भूमि को मानक आकार में भाग कर खेती के लिए ग्राम वासियों को पट्टे के रूप में बांटना चाहिए. पट्टाधारी गांव सरकार को खेत के किराए का भुगतान करना चाहिए और पैदावार को परिवार में निर्धारित तरीके से बांटना चाहिए. इसके अतिरिक्त कृषि भूमि को जाति-धर्म के आधार पर बिना भेदभाव के इस प्रकार बांटा जाए कि ना कोई जमींदार हो, न पट्टेदार, न भूमिहीन किसान हो. इस तरह की सामूहिक खेती के लिए वित्त, सिंचाई-जल, जोत-पशु, खेती के औजार, खाद-बीज आदि का प्रबंध करना सरकार की जिम्मेदारी हो.

सरकारें गाहे-बगाहे किसानों की कर्ज माफी की रट लगाती रहती हैं. मगर डॉक्टर अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) की दृष्टि में यह एक बेहद छोटा घटक है, दूसरे पहलू इससे कहीं ज्यादा जरूरी हैं. बाबा साहब का कहना था कि सिर्फ कर्ज़ ही एक उपाय नहीं बल्कि कृषि और किसानों को आधुनिक बनाने और किसानों को उसके लिए प्रशिक्षित करना भी जरूरी है.

अंग्रेजी राज में एक रैयतवाड़ी व्यवस्था थी, जिसमें भूमिदार सरकार को लगान देने के लिए उत्तरदाई था. लगान न देने पर उसे भूमि से बेदखल कर दिया जाता था. जब सरकार द्वारा रैयतवाड़ी भूमि को बड़े भू-स्वामियों को देने के लिए संशोधन विधेयक पेश किया गया तो उसका विरोध करने वाले डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था कि भू-स्वामित्व को इसी तरह बढ़ाया जाता रहा तो एक दिन यह देश को तबाह कर देगा. पर सरकार उनकी दलील से सहमत नहीं हुई.

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