क्या धर्मांतरण के पीछे है विदेशी फंडिंग ???

आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला-
सामूहिक धर्मांतरण का यह कथित मामला 14 अप्रैल 2022 का है। हरिहरगंज स्थित मैजिकल चर्च में हिंदू संगठनों ने 14 अप्रैल को सामूहिक धर्मांतरण कराए जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो उन्हें कुछ ऐसे लोग मिले जिनका धर्म परिवर्तन कराया गया था। पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि दो स्थानीय किसान जिनका नाम किशन (45) और सत्यपाल (42) है, उन्होंने यह बात स्वीकार की है कि उनका धर्मांतरण अप्रैल महीने में चर्च में हुआ था। इसके अलावा कुछ और भी नाम सामने आए जिन्होंने यह स्वीकार किया कि आरोपियों ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मनाने का प्रयास किया। पुलिस को अपनी जांच में पांच लोग किशन, सत्यपाल, प्रमोद कुमार दीक्षित, संजय सिंह और राजेश कुमार त्रिवेदी मिले जिन्होंने धर्मांतरण के लिए कोशिश किए जाने की बात को स्वीकार किया, जिसके आधार पर पुलिस ने अपनी जांच शुरू की। एक नाबालिक लड़की सहित 54 लोगों के खिलाफ इस मामले में अब तक मामला दर्ज किया जा चुका है। इनमें से 22 चर्च के पास स्थित ब्रॉडवेल क्रिश्चियन अस्पताल के कर्मचारी है। सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 506, 420, 467, 468 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जिनमें से 15 लोग जेल में है, जबकि 36 ने अग्रिम जमानत हासिल कर ली है। तीन आरोपी फरार हैं।पुलिस की जांच में सामने आए कुछ बड़े नाम -
धर्मांतरण से जुड़े मामले में जब पुलिस ने अपनी जांच आगे बढ़ाई तो उन्हें इसमें कुछ बड़े नाम जुड़े मिले। सैम हैमिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के चांसलर डॉ जेट्टी ए ओलिवर, कुलपति बिशप राजेंद्र बी लाल और प्रशासनिक अधिकारी विनोद बी लाल के इस मामले से जुड़े होने की बात सामने आई। इन्हें नोटिस के जरिए 29 दिसंबर तक इस मामले में अपनी सफाई देने का मौका दिया है। धर्मांतरण के मामले में बड़े अधिकारियों का नाम सामने आने से एक सवाल यह भी उठता है कि कहीं इसका विदेशों से कोई संबंध तो नहीं। धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए कहीं विदेशों से तो फंडिंग नहीं की जा रही। इसकी जांच करने की आवश्यकता है।Uttrakhand : उत्तराखंड में गैरकानूनी धर्मांतरण के आरोप में पादरी पर मामला दर्ज
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आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला-
सामूहिक धर्मांतरण का यह कथित मामला 14 अप्रैल 2022 का है। हरिहरगंज स्थित मैजिकल चर्च में हिंदू संगठनों ने 14 अप्रैल को सामूहिक धर्मांतरण कराए जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो उन्हें कुछ ऐसे लोग मिले जिनका धर्म परिवर्तन कराया गया था। पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि दो स्थानीय किसान जिनका नाम किशन (45) और सत्यपाल (42) है, उन्होंने यह बात स्वीकार की है कि उनका धर्मांतरण अप्रैल महीने में चर्च में हुआ था। इसके अलावा कुछ और भी नाम सामने आए जिन्होंने यह स्वीकार किया कि आरोपियों ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मनाने का प्रयास किया। पुलिस को अपनी जांच में पांच लोग किशन, सत्यपाल, प्रमोद कुमार दीक्षित, संजय सिंह और राजेश कुमार त्रिवेदी मिले जिन्होंने धर्मांतरण के लिए कोशिश किए जाने की बात को स्वीकार किया, जिसके आधार पर पुलिस ने अपनी जांच शुरू की। एक नाबालिक लड़की सहित 54 लोगों के खिलाफ इस मामले में अब तक मामला दर्ज किया जा चुका है। इनमें से 22 चर्च के पास स्थित ब्रॉडवेल क्रिश्चियन अस्पताल के कर्मचारी है। सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 506, 420, 467, 468 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जिनमें से 15 लोग जेल में है, जबकि 36 ने अग्रिम जमानत हासिल कर ली है। तीन आरोपी फरार हैं।पुलिस की जांच में सामने आए कुछ बड़े नाम -
धर्मांतरण से जुड़े मामले में जब पुलिस ने अपनी जांच आगे बढ़ाई तो उन्हें इसमें कुछ बड़े नाम जुड़े मिले। सैम हैमिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के चांसलर डॉ जेट्टी ए ओलिवर, कुलपति बिशप राजेंद्र बी लाल और प्रशासनिक अधिकारी विनोद बी लाल के इस मामले से जुड़े होने की बात सामने आई। इन्हें नोटिस के जरिए 29 दिसंबर तक इस मामले में अपनी सफाई देने का मौका दिया है। धर्मांतरण के मामले में बड़े अधिकारियों का नाम सामने आने से एक सवाल यह भी उठता है कि कहीं इसका विदेशों से कोई संबंध तो नहीं। धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए कहीं विदेशों से तो फंडिंग नहीं की जा रही। इसकी जांच करने की आवश्यकता है।Uttrakhand : उत्तराखंड में गैरकानूनी धर्मांतरण के आरोप में पादरी पर मामला दर्ज
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