अरे ये क्या हो गया! लिस्टिंग डे पर ही निवेशकों को तगड़ा झटका

शिपवेव्स ऑनलाइन के ₹12 वाले शेयर BSE SME पर लिस्ट होते ही लोअर सर्किट में पहुंच गए। जानिए Shipwaves IPO में निवेशकों को कितना नुकसान हुआ, सब्सक्रिप्शन स्टेटस, शेयर प्राइस, कंपनी का बिजनेस मॉडल, वित्तीय सेहत और IPO से जुटाए गए पैसों का पूरा इस्तेमाल।

Shipwaves IPO Listing
लिस्टिंग डे पर Shipwaves शेयर धड़ाम
locationभारत
userअसमीना
calendar17 Dec 2025 12:03 PM
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शेयर बाजार में आईपीओ निवेशकों के लिए लिस्टिंग डे सबसे अहम होता है क्योंकि यहीं से यह तय होता है कि निवेश फायदे में जाएगा या नुकसान में। लेकिन Shipwaves Online Digital Freight Forwarding IPO में पैसा लगाने वाले खुदरा निवेशकों को लिस्टिंग के पहले ही दिन बड़ा झटका लगा। ₹12 के इश्यू प्राइस पर आए इस आईपीओ के शेयर न तो कोई लिस्टिंग गेन दे पाए और न ही बाजार में टिक पाए। लिस्ट होते ही शेयर लोअर सर्किट में पहुंच गया जिससे निवेशकों में निराशा साफ नजर आई। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर Shipwaves IPO की लिस्टिंग इतनी कमजोर क्यों रही और कंपनी की असली कारोबारी सेहत कैसी है।

Shipwaves IPO Listing में क्या हुआ?

Shipwaves Online के शेयर आज BSE SME प्लेटफॉर्म पर लिस्ट हुए। कंपनी ने आईपीओ में ₹12 प्रति शेयर का भाव तय किया था और उसी कीमत पर इसकी लिस्टिंग भी हुई लेकिन असली झटका इसके बाद लगा, जब शेयर टूटकर सीधे ₹11.40 के लोअर सर्किट पर आ गया। इसका मतलब यह हुआ कि लिस्टिंग के पहले ही दिन निवेशक करीब 5% के नुकसान में चले गए। SME सेगमेंट में यह गिरावट निवेशकों के भरोसे को कमजोर करने वाली मानी जा रही है।

IPO को निवेशकों का रिस्पॉन्स कैसा मिला था?

Shipwaves Online का ₹56.35 करोड़ का आईपीओ 10 दिसंबर से 12 दिसंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था। हालांकि इसे निवेशकों से बहुत मजबूत प्रतिक्रिया नहीं मिली। कुल मिलाकर यह आईपीओ सिर्फ 1.64 गुना सब्सक्राइब हुआ। सबसे कमजोर हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) का रहा, जो केवल 0.36 गुना ही भर पाया। वहीं खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी अपेक्षाकृत ज्यादा रही और उनका कोटा 2.92 गुना सब्सक्राइब हुआ। विशेषज्ञों के मुताबिक, संस्थागत निवेशकों की कम भागीदारी का असर लिस्टिंग पर साफ दिखाई दिया।

Shipwaves IPO से जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कहां होगा?

इस आईपीओ के तहत कंपनी ने ₹1 फेस वैल्यू वाले कुल 4.69 करोड़ से ज्यादा नए शेयर जारी किए हैं। IPO से जुटाई गई रकम का बड़ा हिस्सा कंपनी अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म को मजबूत करने में लगाएगी। लगभग ₹7.35 करोड़ LMS (लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट सिस्टम) में नए फीचर्स जोड़ने, नए प्रोडक्ट्स और कोर्स डेवलप करने और लैपटॉप जैसी तकनीकी जरूरतों की खरीद पर खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा ₹5 करोड़ वर्किंग कैपिटल की जरूरतों के लिए रखे गए हैं जबकि बाकी रकम सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों में उपयोग होगी।

Shipwaves Online का बिजनेस मॉडल क्या है?

Shipwaves Online की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। यह कंपनी डिजिटल फ्रेट फारवर्डिंग और एंटरप्राइज SaaS सॉल्यूशंस के क्षेत्र में काम करती है। शिपिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए कंपनी एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है जहां सड़क, हवा और समुद्र तीनों माध्यमों से ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज मिलती हैं। कंपनी का फोकस मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्टेशन को आसान और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन बनाना है जिससे लॉजिस्टिक्स कंपनियों और एंटरप्राइज क्लाइंट्स को ऑपरेशन्स में सुविधा मिले।

कंपनी की वित्तीय सेहत कितनी मजबूत है?

अगर Shipwaves Online की वित्तीय स्थिति पर नजर डालें तो आंकड़े ग्रोथ की कहानी जरूर बताते हैं। वित्त वर्ष 2023 में कंपनी ने ₹2.24 करोड़ का शुद्ध मुनाफा कमाया था। यह मुनाफा वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर ₹6.29 करोड़ और वित्त वर्ष 2025 में ₹12.20 करोड़ तक पहुंच गया। इसी दौरान कंपनी की कुल आय भी तेजी से बढ़ी और सालाना 25% से अधिक की CAGR के साथ ₹108.65 करोड़ तक पहुंच गई। चालू वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही यानी अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच कंपनी ने ₹4.68 करोड़ का शुद्ध मुनाफा और ₹41.71 करोड़ की कुल आय दर्ज की है। हालांकि सितंबर 2025 के अंत तक कंपनी पर कुल ₹40.04 करोड़ का कर्ज भी था जबकि रिजर्व और सरप्लस ₹21.32 करोड़ रहा। यही कर्ज का स्तर निवेशकों के लिए चिंता का एक कारण माना जा रहा है।

निवेशकों के लिए आगे क्या संकेत हैं?

Shipwaves IPO की कमजोर लिस्टिंग ने यह साफ कर दिया है कि सिर्फ ग्रोथ नंबर ही बाजार को खुश नहीं कर पाते। SME सेगमेंट में निवेश करते समय लिक्विडिटी, निवेशकों की भागीदारी और वैल्यूएशन बेहद अहम हो जाते हैं। कंपनी का बिजनेस मॉडल और लॉन्ग-टर्म ग्रोथ पोटेंशियल भले ही मजबूत दिखता हो लेकिन शॉर्ट-टर्म में शेयर में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। ऐसे में निवेशकों को जल्दबाजी में फैसला लेने के बजाय कंपनी के आगामी नतीजों और कर्ज की स्थिति पर नजर बनाए रखना जरूरी है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। चेतना मंच की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)

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आज कितना सस्ता हुआ सोना? एक बार जरूर जान लें

17 दिसंबर को सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। दिल्ली, मुंबई, भोपाल, हैदराबाद समेत देश के प्रमुख शहरों में 24 कैरेट और 22 कैरेट सोने के ताजा रेट जारी हो गए हैं। वहीं चांदी का भाव भी सस्ता होकर 1,99,000 रुपये प्रति किलो पर आ गया है।

Gold Price Today
आपके शहर का गोल्ड रेट क्या है
locationभारत
userअसमीना
calendar17 Dec 2025 11:02 AM
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दिसंबर के मध्य में सोने और चांदी की कीमतों में एक बार फिर नरमी देखने को मिली है। 17 दिसंबर की सुबह देश के घरेलू बाजारों में सोने के भाव में गिरावट दर्ज की गई जबकि चांदी की कीमत भी नीचे आई है। कमजोर वैश्विक संकेत, डॉलर की मजबूती और निवेशकों की मुनाफावसूली के चलते कीमती धातुओं पर दबाव बना हुआ है। ऐसे में अगर आप सोना या चांदी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आज के ताजा भाव जानना बेहद जरूरी हो जाता है।

सोने की कीमतों में गिरावट

दिल्ली समेत देश के बड़े शहरों में आज 24 कैरेट सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई है। राजधानी दिल्ली में 24 कैरेट सोना घटकर 1,34,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है जबकि 22 कैरेट सोने का भाव 1,22,840 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया है। इसी तरह मुंबई में 24 कैरेट गोल्ड का रेट 1,33,850 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट का भाव 1,22,690 रुपये प्रति 10 ग्राम है।

बड़े शहरों में सामान स्तर पर सोने के दाम

अन्य प्रमुख शहरों की बात करें तो चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में भी सोने के दाम लगभग समान स्तर पर बने हुए हैं। इन शहरों में 24 कैरेट सोना 1,33,850 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट गोल्ड 1,22,690 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास बिक रहा है। वहीं भोपाल और अहमदाबाद में 24 कैरेट सोने का भाव 1,33,900 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया है, जबकि जयपुर, लखनऊ और चंडीगढ़ में यह कीमत 1,34,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है।

सोने की कीमतों में गिरावट का असर

पुणे और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में भी सोने की कीमतों में गिरावट का असर दिखा है। यहां 24 कैरेट गोल्ड का भाव 1,33,850 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोने की कीमत 1,22,690 रुपये प्रति 10 ग्राम है। कुल मिलाकर आज देशभर में सोने के रेट में हल्की लेकिन साफ गिरावट देखी जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने पर दबाव

अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो वहां भी सोने पर दबाव बना हुआ है। वैश्विक बाजार में सोने का हाजिर भाव घटकर 4,277.42 डॉलर प्रति औंस पर आ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता और डॉलर की मजबूती की वजह से फिलहाल सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

चांदी के दाम में गिरावट दर्ज

चांदी की कीमतों में भी बुधवार सुबह गिरावट दर्ज की गई है। घरेलू बाजार में चांदी का भाव घटकर 1,99,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी का हाजिर भाव 63.02 डॉलर प्रति औंस दर्ज किया गया है। सोने की तरह चांदी की कीमतें भी घरेलू मांग, वैश्विक आर्थिक हालात और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल से प्रभावित होती हैं।

कितने प्रतिशत बढ़ी सोने की कीमतें?

हालांकि लंबी अवधि के नजरिए से देखें तो विशेषज्ञ अब भी सोने को सुरक्षित निवेश मानते हैं। जानकारों का कहना है कि अगर वैश्विक परिस्थितियां अनुकूल रहीं और रुपये-डॉलर की दर में ज्यादा मजबूती नहीं आई तो साल 2026 में सोने की कीमतों में 5 से 16 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। गौर करने वाली बात यह भी है कि मौजूदा साल में घरेलू बाजार में सोने की कीमतें अब तक करीब 65 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं।

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Share Market Crash Today: 5 वजहें जिन्होंने एक झटके में तोड़ दिया बाजार

भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 500 अंक तक टूटा और निफ्टी 25,900 के नीचे फिसल गया। रुपये की रिकॉर्ड कमजोरी, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, कमजोर ग्लोबल संकेत और अमेरिका के जॉब्स डेटा को लेकर बढ़ी अनिश्चितता ने बाजार पर दबाव बनाया।

Stock Market
शेयर बाजार में गिरावट
locationभारत
userअसमीना
calendar16 Dec 2025 11:43 AM
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भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार (16 दिसंबर) को लगातार दूसरे दिन तेज गिरावट देखने को मिली। कारोबार की शुरुआत से ही बाजार पर दबाव बना रहा और देखते ही देखते सेंसेक्स करीब 500 अंकों तक टूट गया। वहीं निफ्टी भी अहम सपोर्ट लेवल 25,900 के नीचे फिसल गया। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली, रुपये की रिकॉर्ड कमजोरी और कमजोर ग्लोबल संकेतों ने निवेशकों के सेंटीमेंट को बुरी तरह प्रभावित किया।

कहां देखने को मिला सबसे ज्यादा दबाव?

सुबह करीब 10 बजे बीएसई सेंसेक्स 490.80 अंक यानी 0.58 फीसदी की गिरावट के साथ 84,722.56 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं एनएसई निफ्टी 145.90 अंक या 0.56 फीसदी टूटकर 25,881.40 पर पहुंच गया। बाजार की इस गिरावट का असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर भी दिखा और बीएसई मिडकैप व स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 0.62 फीसदी तक लुढ़क गए। सबसे ज्यादा दबाव आईटी, बैंकिंग और मेटल सेक्टर में देखने को मिला।

क्या है गिरावट की वजह?

आज की गिरावट की सबसे बड़ी वजह रुपये की कमजोरी रही। शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9 पैसे टूटकर 90.87 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर किसी ठोस प्रगति के संकेत न मिलने से रुपये पर दबाव बना हुआ है। हालांकि डॉलर में थोड़ी नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते रुपये में बड़ी गिरावट फिलहाल थमती नजर आई।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर

शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर साफ दिखा। सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1,468.32 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह लगातार 12वां कारोबारी दिन रहा, जब एफआईआई शुद्ध रूप से बिकवाल बने रहे। दिसंबर महीने में अब तक विदेशी निवेशक करीब 21,073 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं जिससे बाजार की मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

आज नहीं मिला कोई खास सपोर्ट

ग्लोबल बाजारों से भी आज भारतीय शेयर बाजार को कोई खास सपोर्ट नहीं मिला। वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े नौ बजे तक करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे जिससे अमेरिकी बाजारों में कमजोर शुरुआत के संकेत मिले। इससे पहले सोमवार को भी अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे। वहीं एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई, साउथ कोरिया का कोस्पी, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स भी लाल निशान में नजर आए।

जॉब्स डेटा को लेकर भी सतर्क

निवेशक अमेरिका के अहम जॉब्स डेटा को लेकर भी सतर्क दिखे। नवंबर महीने के रोजगार आंकड़े अमेरिकी ब्याज दरों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव उभरते बाजारों जैसे भारत में विदेशी निवेश के फ्लो को प्रभावित करता है। इसी अनिश्चितता के चलते निवेशक फिलहाल जोखिम लेने से बचते नजर आए।

बाजार में बढ़ा उतार-चढ़ाव

इसके अलावा निफ्टी डेरिवेटिव्स की वीकली एक्सपायरी ने भी बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा दिया। एक्सपायरी के दिन ट्रेडर्स पोजीशन एडजस्टमेंट करते हैं, जिससे बाजार में अचानक तेज मूवमेंट देखने को मिलती है। मंगलवार को भी इसी वजह से बाजार में अस्थिरता बनी रही।

(Disclaimer: चेतना मंच यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।)

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