25,000 करोड़ के ऑर्डर और जीरो कर्ज! इस डिफेंस शेयर पर क्यों टिकी हैं नजरें
भारत के डिफेंस सेक्टर में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिल रही है। मेक इन इंडिया के तहत मझगांव डॉक, कोचीन शिपयार्ड, GRSE, सोलर इंडस्ट्रीज और BEML जैसी कंपनियों को 15,000 से 25,000 करोड़ रुपये तक के बड़े डिफेंस ऑर्डर मिले हैं।

भारत का रक्षा क्षेत्र इस समय ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के चलते देश का डिफेंस प्रोडक्शन न सिर्फ तेजी से बढ़ा है बल्कि इसका सीधा फायदा शेयर बाजार में लिस्टेड डिफेंस कंपनियों को भी मिल रहा है। वित्त वर्ष 2025 में भारत का रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड 1.54 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है जो साल 2014-15 के मुकाबले करीब 174 फीसदी ज्यादा है।
कंपनियों को मिल सकते हैं और बड़े ऑर्डर
सरकार अब FY27 के लिए रक्षा बजट में लगभग 20% बढ़ोतरी की तैयारी में है। जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में भारतीय कंपनियों को और बड़े ऑर्डर मिल सकते हैं। यही वजह है कि डिफेंस सेक्टर के शेयरों में जबरदस्त हलचल देखने को मिल रही है और निवेशकों की नजर खासतौर पर उन कंपनियों पर टिकी है जिनकी ऑर्डर बुक 15,000 करोड़ से 25,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है।
निवेशकों के मजबूत पॉजिटिव
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स की बात करें तो यह भारतीय नौसेना के लिए सबमरीन और युद्धपोत बनाने वाली नवरत्न सरकारी कंपनी है। सितंबर 2025 तक कंपनी के पास करीब 27,415 करोड़ रुपये का मजबूत ऑर्डर बुक मौजूद है। हालिया तिमाही में मुनाफे और मार्जिन में थोड़ी गिरावट जरूर देखने को मिली लेकिन सबसे बड़ी राहत यह है कि कंपनी पूरी तरह कर्जमुक्त है। बिना कर्ज के इतनी बड़ी ऑर्डर बुक होना निवेशकों के लिए एक मजबूत पॉजिटिव संकेत माना जाता है।
डिफेंस से जुड़ा है बड़ा हिस्सा
कोचीन शिपयार्ड भी डिफेंस सेक्टर की एक अहम कंपनी बनकर उभरी है। यह कंपनी एयरक्राफ्ट कैरियर जैसे विशाल और हाई-टेक जहाज बनाने की क्षमता रखती है। इसका कुल ऑर्डर बुक करीब 21,100 करोड़ रुपये का है जिसमें बड़ा हिस्सा डिफेंस से जुड़ा हुआ है। हालिया तिमाही में मुनाफे में दबाव जरूर दिखा है लेकिन कंपनी के पास मौजूद बड़े और लंबे समय तक चलने वाले प्रोजेक्ट्स इसे लंबी अवधि के निवेश के लिए मजबूत बनाते हैं।
GRSE ने खींचा ध्यान
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स यानी GRSE ने भी हाल के महीनों में बाजार का खास ध्यान खींचा है। यह मिनीरत्न कंपनी भारतीय नौसेना के लिए फ्रिगेट और सर्वे वेसल जैसे अहम प्रोजेक्ट्स पर काम करती है। फिलहाल कंपनी के पास लगभग 20,200 करोड़ रुपये का ऑर्डर बुक है। खास बात यह है कि GRSE ‘नेक्स्ट जेनरेशन कॉर्वेट’ प्रोजेक्ट में L1 बिडर बनकर उभरी है, जिससे आने वाले समय में इसके ऑर्डर और बढ़ने की संभावना है।
मुनाफे में लगातार ग्रोथ
सोलर इंडस्ट्रीज ने डिफेंस सेक्टर में एंट्री करके खुद को पूरी तरह बदल लिया है। पहले यह कंपनी इंडस्ट्रियल विस्फोटकों के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे डिफेंस प्रोडक्ट्स के दम पर इसका डिफेंस ऑर्डर बुक 15,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। कंपनी की बिक्री और मुनाफे में लगातार ग्रोथ देखने को मिल रही है जो इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है।
भरोसेमंद कंपनियों में शामिल
बीईएमएल भी इस लिस्ट में एक मजबूत नाम है। यह कंपनी डिफेंस के साथ-साथ रेलवे और माइनिंग सेक्टर में भी काम करती है। आर्मर्ड व्हीकल्स और अन्य डिफेंस इक्विपमेंट बनाने वाली इस सरकारी कंपनी का ऑर्डर बुक रिकॉर्ड 16,342 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। डाइवर्सिफाइड बिजनेस मॉडल और मजबूत सरकारी ऑर्डर्स इसे सेक्टर की भरोसेमंद कंपनियों में शामिल करते हैं।
(Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। चेतना मंच अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।)
भारत का रक्षा क्षेत्र इस समय ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के चलते देश का डिफेंस प्रोडक्शन न सिर्फ तेजी से बढ़ा है बल्कि इसका सीधा फायदा शेयर बाजार में लिस्टेड डिफेंस कंपनियों को भी मिल रहा है। वित्त वर्ष 2025 में भारत का रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड 1.54 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है जो साल 2014-15 के मुकाबले करीब 174 फीसदी ज्यादा है।
कंपनियों को मिल सकते हैं और बड़े ऑर्डर
सरकार अब FY27 के लिए रक्षा बजट में लगभग 20% बढ़ोतरी की तैयारी में है। जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में भारतीय कंपनियों को और बड़े ऑर्डर मिल सकते हैं। यही वजह है कि डिफेंस सेक्टर के शेयरों में जबरदस्त हलचल देखने को मिल रही है और निवेशकों की नजर खासतौर पर उन कंपनियों पर टिकी है जिनकी ऑर्डर बुक 15,000 करोड़ से 25,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है।
निवेशकों के मजबूत पॉजिटिव
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स की बात करें तो यह भारतीय नौसेना के लिए सबमरीन और युद्धपोत बनाने वाली नवरत्न सरकारी कंपनी है। सितंबर 2025 तक कंपनी के पास करीब 27,415 करोड़ रुपये का मजबूत ऑर्डर बुक मौजूद है। हालिया तिमाही में मुनाफे और मार्जिन में थोड़ी गिरावट जरूर देखने को मिली लेकिन सबसे बड़ी राहत यह है कि कंपनी पूरी तरह कर्जमुक्त है। बिना कर्ज के इतनी बड़ी ऑर्डर बुक होना निवेशकों के लिए एक मजबूत पॉजिटिव संकेत माना जाता है।
डिफेंस से जुड़ा है बड़ा हिस्सा
कोचीन शिपयार्ड भी डिफेंस सेक्टर की एक अहम कंपनी बनकर उभरी है। यह कंपनी एयरक्राफ्ट कैरियर जैसे विशाल और हाई-टेक जहाज बनाने की क्षमता रखती है। इसका कुल ऑर्डर बुक करीब 21,100 करोड़ रुपये का है जिसमें बड़ा हिस्सा डिफेंस से जुड़ा हुआ है। हालिया तिमाही में मुनाफे में दबाव जरूर दिखा है लेकिन कंपनी के पास मौजूद बड़े और लंबे समय तक चलने वाले प्रोजेक्ट्स इसे लंबी अवधि के निवेश के लिए मजबूत बनाते हैं।
GRSE ने खींचा ध्यान
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स यानी GRSE ने भी हाल के महीनों में बाजार का खास ध्यान खींचा है। यह मिनीरत्न कंपनी भारतीय नौसेना के लिए फ्रिगेट और सर्वे वेसल जैसे अहम प्रोजेक्ट्स पर काम करती है। फिलहाल कंपनी के पास लगभग 20,200 करोड़ रुपये का ऑर्डर बुक है। खास बात यह है कि GRSE ‘नेक्स्ट जेनरेशन कॉर्वेट’ प्रोजेक्ट में L1 बिडर बनकर उभरी है, जिससे आने वाले समय में इसके ऑर्डर और बढ़ने की संभावना है।
मुनाफे में लगातार ग्रोथ
सोलर इंडस्ट्रीज ने डिफेंस सेक्टर में एंट्री करके खुद को पूरी तरह बदल लिया है। पहले यह कंपनी इंडस्ट्रियल विस्फोटकों के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे डिफेंस प्रोडक्ट्स के दम पर इसका डिफेंस ऑर्डर बुक 15,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। कंपनी की बिक्री और मुनाफे में लगातार ग्रोथ देखने को मिल रही है जो इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है।
भरोसेमंद कंपनियों में शामिल
बीईएमएल भी इस लिस्ट में एक मजबूत नाम है। यह कंपनी डिफेंस के साथ-साथ रेलवे और माइनिंग सेक्टर में भी काम करती है। आर्मर्ड व्हीकल्स और अन्य डिफेंस इक्विपमेंट बनाने वाली इस सरकारी कंपनी का ऑर्डर बुक रिकॉर्ड 16,342 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। डाइवर्सिफाइड बिजनेस मॉडल और मजबूत सरकारी ऑर्डर्स इसे सेक्टर की भरोसेमंद कंपनियों में शामिल करते हैं।
(Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। चेतना मंच अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।)












