Tuesday, 3 December 2024

GST Rules: किरायदारों को 18 फीसदी देना होगा जीएसटी, रेंट पर नया नियम हुआ लागू

नई दिल्ली: ताज़ी जानकारी के तहत रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी किराये पर रहने वालों के लिए सरकार ने नया नियम लागू किया…

GST Rules: किरायदारों को 18 फीसदी देना होगा जीएसटी, रेंट पर नया नियम हुआ लागू

नई दिल्ली: ताज़ी जानकारी के तहत रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी किराये पर रहने वालों के लिए सरकार ने नया नियम लागू किया है। किरायेदारों (GST Rules) को रेंट के अलावा 18 प्रतिशत जीएसटी भी देना होगा जिसके लिए लोगों को सूचना मिली है। यह फैसला पिछले महीने 18 जुलाई से लागू किया गया है।

परंतु इस फैसले में ये जानकारी दी गई है कि ये टैक्स केवल उन्हीं किरायेदारों (GST Rules) को भुगतना करना होगा, जो किसी बिजनेस को लेकर जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड करवा चुके हैं और जो GST भरने वाली श्रेणी में शामिल हैं।

पहले वाले नियम के मुताबिक कमर्शियल प्रॉपर्टी जैसे कि ऑफिस या रिटेल स्पेस वाली जगहों को किराये पर लेने पर लीज पर जीएसटी वसूला जाता था। रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के अलावा कोई कॉरपोरेट हाउस किराये पर ले या फिर कोई भी किरायदार हो, इस पर कोई जीएसटी नहीं वसूला जाता था।

RCM के तहत देना पड़ेगा टैक्स

जानकारी के मुताबिक, जो नियम 18 जुलाई 2022 से लागू कर दिया गया है उनके मुताबिक, जीएसटी रजिस्टर्ड किरायेदार को लेकर रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म के तहत टैक्स देना पड़ेगा। वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत डिडक्शन दिखाकर जीएसटी क्लेम करने के बाद फायदा ले सकता है।

जानकारी के अनुसार यह 18 प्रतिशत जीएसटी तभी लागू किया जाएगा जब किरायेदार जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड करवा चुका हो और जीएसटी रिटर्न भरने वाली कैटेगरी में मौजूद हो।

टर्नओवर पर आधारित रहेगा जीएसटी

नए जीएसटी कानून के मुताबिक रजिस्टर्ड किरायेदार की श्रेणी को लेकर सामान्य और कॉरपोरेट संस्थाएं भी शामिल हो रही हैं। सालाना टर्नओवर निर्धारित सीमा से ऊपर जाने के साथ बिजनेस मालिक को जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा। सेवाएं देने वाले बिजनेस मालिकों को लेकर सालाना लिमिट 20 लाख रुपये का टर्नओवर पहुंच गया है।

वहीं, सामान बेच जाने या सप्लाई कर रहे बिजनेस मालिकों को लेकर यह लिमिट 40 लाख रुपये तक पहुंच गया है। हालांकि, अगर यह किरायेदार उत्तरपूर्वी राज्यों या विशेष दर्जा प्राप्त वाले राज्य में मौजूद है, तो उसके लिए टर्नओवर वाली निर्धारित सीमा सालाना 10 लाख रुपये पहुंच गई है।

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