सीपी राधाकृष्णन को नहीं जानते तो अब जान लीजिए





उपराष्ट्रपति पद की जंग में बीजेपी ने आखिरकार अपने तुरुप का पत्ता खोल दिया है। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की बिसात सज चुकी है और बीजेपी ने इस बार कोई जोखिम उठाने के बजाय सीधे उस नाम पर भरोसा जताया है, जो न केवल पार्टी और संघ की वैचारिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है बल्कि सियासत में निर्विवाद छवि का धनी भी है। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को एनडीए का उम्मीदवार घोषित कर बीजेपी ने जातीय, सामाजिक और क्षेत्रीय सभी समीकरण साधने का प्रयास किया है। Hindi India News
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से ही चर्चा थी कि बीजेपी किसी विवादास्पद या बाहरी पृष्ठभूमि वाले नेता को उपराष्ट्रपति नहीं बनाएगी। यही कारण है कि इस बार पार्टी ने राधाकृष्णन जैसे अनुभवी और निर्विवाद नेता पर भरोसा जताया।
आरएसएस से जुड़कर राजनीति शुरू करने वाले राधाकृष्णन तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष, दो बार सांसद और हाल ही में राज्यपाल के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। चार दशकों के राजनीतिक करियर में उनकी साफ-सुथरी छवि और सियासी परिपक्वता ने उन्हें उपयुक्त उम्मीदवार बना दिया है।
बीजेपी ने पिछली बार जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर राजनीतिक प्रयोग किया था। लेकिन उनके पूरे कार्यकाल में विपक्ष से लगातार टकराव हुआ। धनखड़ का राजनीतिक बैकग्राउंड कांग्रेस और जनता दल से होकर गुज़रा था, इसलिए उनकी वैचारिक छवि बीजेपी से मेल नहीं खाती थी। अब पार्टी ने वही गलती न दोहराते हुए राधाकृष्णन पर दांव लगाया, जो संगठन के मूल्यों में पले-बढ़े हैं और संसदीय मर्यादाओं को निभाने का लंबा अनुभव रखते हैं।
राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुपुर ज़िले से आते हैं और पिछड़ी जाति से हैं। इस तरह बीजेपी ने न सिर्फ ओबीसी समाज को साधने की कोशिश की है, बल्कि दक्षिण भारत में अपनी पैठ मज़बूत करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया है। आर. वेंकटरामन के बाद उपराष्ट्रपति बनने वाले वे तमिलनाडु के पहले नेता होंगे। दिलचस्प यह है कि विपक्षी खेमे से भी राधाकृष्णन के पक्ष में सकारात्मक बयान आए हैं। उद्धव ठाकरे गुट के संजय राउत ने उनकी शालीनता और अनुभव की तारीफ की, वहीं DMK ने भी उन्हें “सही चयन” बताया। यह शायद पहला मौका है जब एनडीए के उम्मीदवार पर विपक्ष की ओर से भी सहज प्रतिक्रिया देखने को मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा समाज की जमीनी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया है और तमिलनाडु में संगठन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। मोदी का संदेश साफ है—यह चयन सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रेरणादायी नेतृत्व की उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। Hindi India News
उपराष्ट्रपति पद की जंग में बीजेपी ने आखिरकार अपने तुरुप का पत्ता खोल दिया है। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की बिसात सज चुकी है और बीजेपी ने इस बार कोई जोखिम उठाने के बजाय सीधे उस नाम पर भरोसा जताया है, जो न केवल पार्टी और संघ की वैचारिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है बल्कि सियासत में निर्विवाद छवि का धनी भी है। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को एनडीए का उम्मीदवार घोषित कर बीजेपी ने जातीय, सामाजिक और क्षेत्रीय सभी समीकरण साधने का प्रयास किया है। Hindi India News
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से ही चर्चा थी कि बीजेपी किसी विवादास्पद या बाहरी पृष्ठभूमि वाले नेता को उपराष्ट्रपति नहीं बनाएगी। यही कारण है कि इस बार पार्टी ने राधाकृष्णन जैसे अनुभवी और निर्विवाद नेता पर भरोसा जताया।
आरएसएस से जुड़कर राजनीति शुरू करने वाले राधाकृष्णन तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष, दो बार सांसद और हाल ही में राज्यपाल के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। चार दशकों के राजनीतिक करियर में उनकी साफ-सुथरी छवि और सियासी परिपक्वता ने उन्हें उपयुक्त उम्मीदवार बना दिया है।
बीजेपी ने पिछली बार जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर राजनीतिक प्रयोग किया था। लेकिन उनके पूरे कार्यकाल में विपक्ष से लगातार टकराव हुआ। धनखड़ का राजनीतिक बैकग्राउंड कांग्रेस और जनता दल से होकर गुज़रा था, इसलिए उनकी वैचारिक छवि बीजेपी से मेल नहीं खाती थी। अब पार्टी ने वही गलती न दोहराते हुए राधाकृष्णन पर दांव लगाया, जो संगठन के मूल्यों में पले-बढ़े हैं और संसदीय मर्यादाओं को निभाने का लंबा अनुभव रखते हैं।
राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुपुर ज़िले से आते हैं और पिछड़ी जाति से हैं। इस तरह बीजेपी ने न सिर्फ ओबीसी समाज को साधने की कोशिश की है, बल्कि दक्षिण भारत में अपनी पैठ मज़बूत करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया है। आर. वेंकटरामन के बाद उपराष्ट्रपति बनने वाले वे तमिलनाडु के पहले नेता होंगे। दिलचस्प यह है कि विपक्षी खेमे से भी राधाकृष्णन के पक्ष में सकारात्मक बयान आए हैं। उद्धव ठाकरे गुट के संजय राउत ने उनकी शालीनता और अनुभव की तारीफ की, वहीं DMK ने भी उन्हें “सही चयन” बताया। यह शायद पहला मौका है जब एनडीए के उम्मीदवार पर विपक्ष की ओर से भी सहज प्रतिक्रिया देखने को मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा समाज की जमीनी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया है और तमिलनाडु में संगठन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। मोदी का संदेश साफ है—यह चयन सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रेरणादायी नेतृत्व की उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। Hindi India News