सीपी राधाकृष्णन को नहीं जानते तो अब जान लीजिए

सीपी राधाकृष्णन को नहीं जानते तो अब जान लीजिए
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Aug 2025 04:38 PM
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सीपी राधाकृष्णन का नाम मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है। मीडिया के प्रत्येक प्लेटफार्म पर सीपी राधाकृष्णन का नाम नजर आ रहा है। सीपी राधाकृष्णन का नाम रातोंरात सुर्खियों में छाने वाला नाम बन गया है। सीपी राधाकृष्णन वह नाम बन चुका है जो अचानक से ही चर्चा का विषय बन गया है। सीपी राधाकृष्णन लम्बे समय से सार्वजनिक जीवन से जुड़े हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी तथा NDA में एक बड़े फैसले के कारण सीपी राधाकृष्णन का नाम अचानक एक चर्चित नाम में बदल गया है। CP Radhakrishnan

सीपी राधाकृष्णन बने उप राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी

वर्तमान समय में महाराष्ट्र प्रदेश के गर्वनर सीपी राधाकृष्णन को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन NDA ने भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में NDA का अधिकारिक प्रत्याशी घोषित किया है। इस घोषणा के साथ ही यह तय हो गया है कि सीपी राधाकृष्णन भारत के अगले उपराष्ट्रपति बनेंगे। वोट के आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारत के उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में सीपी राधाकृष्णन की जीत निश्चित है। विपक्ष की तरफ से सी पी राधाकृष्णन के विरुद्ध एक सर्वसम्मत प्रत्याशी खड़ा किया जाएगा। विपक्ष कितना भी जोर लगा ले आंकड़ों के खेल में सीपी राधाकृष्णन की जीत पहले ही तय मानी जा रही है।

कौन हैं भारत के होने वाले उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन?

आपका पूरा परिचय भारत के अलगे उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के साथ करा देते हैं। सीपी राधाकृष्णन का पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है। सीपी राधाकृष्णनभारतीय जनता पार्टी के बहुत पुराने नेता हैं। सीपी राधाकृष्णन मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं। सीपी राधाकृष्णन दो बार लोकसभा के सांसद रह चुके हैं। सीपी राधाकृष्णन लम्बे समय तक तमिलनाडु प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु की कोयंबटूर लोकसभा सीट से वर्ष-1998 तथा वर्ष-1999 में दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। सीपी राधाकृष्णन वर्ष-2004, वर्ष-2014 तथा वर्ष-2019 में भी कोयंबटूर से लोकसभा का चुनाव लड़े थे किन्तु तीनों बार वें अपना चुनाव हार गए थे।

पूरे एक साल से गर्वनर के पद पर तैनात हैं सी पी राधाकृष्णन

सीपी राधाकृष्णन को जुलाई 2024 में महाराष्ट्र प्रदेश में गर्वनर के पद पर तैनात किया गया था। पूरे एक साल से भी अधिक समय से सीपी राधाकृष्णन महाराष्ट्र प्रदेश के गर्वनर के पद को संभाल रहे हैं। 68 वर्ष की उम्र में भारत के उपराष्ट्रपति बनेंगे सीपी राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु प्रदेश के तिरुप्पुर में हुआ था। उपराष्ट्रपति बनते समय सी पी राधाकृष्णन 68 वर्ष के हो रहे हैं। उन्होंने पढ़ाई के दौरान BBA यानि बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की हुई है। सीपी राधाकृष्णन लम्बे समय तक RSS के साथ काम करते रहे हैं। RSS में काम करते हुए ही वर्ष-1974 में सीपी राधाकृष्णन को भारतीय जनता पार्टी बनने से पहले बनी भारतीय जनसंघ पार्टी में तमिलनाडु की राज्य कमेटी का सदस्य बनाया गया था।

भारत में कैसे होता है उप राष्ट्रपति पद का चुनाव?

NDA के प्रत्याशी के तौर पर सीपी राधाकृष्णन का भारत का अगला उप राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है। यहां यह समझना भी जरूरी है कि भारत में उपराष्ट्रपति पद का चुनाव किस प्रकार से होता है। आपको बता दें कि भारत में उप राष्ट्रपति पद का चुनाव परोक्ष होता है, जिसके निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद शामिल होते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में चुने हुए सांसदों के साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उप राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है। दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते लेकिन वे उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कर सकते हैं।

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भारत में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी चुनाव को लेकर पब्लिक नोट जारी करता है और उम्मीदवारों से नामांकन मंगवाता है। भारत में उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार के पास 20 प्रस्तावक और कम से कम 20 अन्य अनुमोदक होने चाहिए। प्रस्तावक और अनुमोदक राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य ही हो सकते है। उम्मीदवार को 15 हज़ार रुपए भी जमा कराने होते हैं। इसके बाद निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं। कोई व्यक्ति भारत का उप राष्ट्रपति चुने जाने के लिए तभी योग्य होगा जब वह कुछ शर्तों को पूरा करता हो। जैसे, वह भारत का नागरिक होना चाहिए, उम्र 35 साल से कम नहीं होनी चाहिए और वह राज्यसभा के लिए चुने जाने की योग्यताओं को पूरा करता हुआ होना चाहिए। अगर कोई भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद रखता है तो वह उप राष्ट्रपति चुने जाने के योग्य नहीं होगा। भारत में उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है। मतदान 9 सितंबर को होगा और नतीजे उसी दिन यानि 9 सितंबर को आ जाएंगे। CP Radhakrishnan
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भारत में युवाओं को चुपचाप मार रहा है ये कैंसर, क्या आप भी हैं खतरे में?

भारत में युवाओं को चुपचाप मार रहा है ये कैंसर, क्या आप भी हैं खतरे में?
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 05:26 PM
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भारत में युवाओं के बीच सिर और गले के कैंसर के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं। ग्लोबोकैन 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2040 तक कैंसर के नए मामलों की संख्या 21 लाख तक पहुंच सकती है। खासतौर पर युवाओं में सिर और गले के कैंसर के मामलों में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है। यह बीमारी सिर्फ एक शारीरिक चुनौती नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है कि हमें अपनी जीवनशैली और स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है। Head and Neck Cancer

क्या है सिर और गले का कैंसर?

सिर और गले का कैंसर (Head and Neck Cancer) शरीर के ऊपरी हिस्सों में होने वाला कैंसर है, जिसमें मुंह, गला, जबड़ा, नाक, स्वरयंत्र (larynx), थायरॉइड ग्रंथि और फैरिंक्स जैसे अंग शामिल होते हैं। यह भारत में सबसे आम प्रकार के कैंसरों में से एक है, खासतौर पर तंबाकू और गुटखे का अत्यधिक सेवन इसके पीछे मुख्य कारण है।

इन कारणों से बढ़ रहे हैं मामले

तंबाकू, गुटखा और शराब का सेवन। एचपीवी वायरस का संक्रमण (Human Papillomavirus)। ओरल हाइजीन की अनदेखी। वायु प्रदूषण और केमिकल एक्सपोजर। जला हुआ या अत्यधिक प्रोसेस्ड खाना। वेपिंग और ई-सिगरेट का चलन।

लक्षण जिन्हें नजरअंदाज न करें

मुंह में छाले या जख्म जो लंबे समय तक न भरें। गले में सूजन या गांठ। आवाज में बदलाव या भारीपन। निगलने में परेशानी। कान में लगातार दर्द। वजन का तेजी से घटना। सांस लेने में कठिनाई।

युवाओं में क्यों बढ़ रहा है यह कैंसर?

आजकल के युवाओं में अनहेल्दी लाइफस्टाइल, जंक फूड की लत, तनाव, और बिना जागरूकता के तंबाकू व शराब का सेवन सामान्य होता जा रहा है। इसके अलावा ई-सिगरेट और वेपिंग जैसे विकल्पों को कम हानिकारक समझकर इस्तेमाल करना भी एक बड़ी भूल साबित हो रही है। एचपीवी वायरस जो कि एक यौन संचारित वायरस (STD) है, ओरल सेक्स के जरिए फैलता है। इससे जुड़ा कैंसर गले और जीभ के पिछले हिस्से या टॉन्सिल में पाया जाता है।

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कैसे करें बचाव?

तंबाकू और शराब का सेवन पूरी तरह बंद करें। ओरल हाइजीन का विशेष ध्यान रखें। नियमित रूप से मुंह और दांतों की जांच कराएं। HPV वैक्सीन लगवाएं (विशेषकर युवा वर्ग)। स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनाएं। प्रदूषित वातावरण और केमिकल एक्सपोजर से बचें। भारत में युवाओं के बीच बढ़ते कैंसर के मामलों को केवल मेडिकल समस्या मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह स्वास्थ्य जागरूकता, नीति निर्माण, और व्यक्तिगत जिम्मेदारी का विषय है। समय रहते सतर्कता बरती जाए तो इस खतरनाक बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। Head and Neck Cancer
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बीजेपी ने राधाकृष्णन पर लगाया दांव, क्या ‘धनखड़ फैक्टर’ बना बड़ी वजह?

बीजेपी ने राधाकृष्णन पर लगाया दांव, क्या ‘धनखड़ फैक्टर’ बना बड़ी वजह?
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 08:53 AM
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उपराष्ट्रपति पद की जंग में बीजेपी ने आखिरकार अपने तुरुप का पत्ता खोल दिया है। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की बिसात सज चुकी है और बीजेपी ने इस बार कोई जोखिम उठाने के बजाय सीधे उस नाम पर भरोसा जताया है, जो न केवल पार्टी और संघ की वैचारिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है बल्कि सियासत में निर्विवाद छवि का धनी भी है। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को एनडीए का उम्मीदवार घोषित कर बीजेपी ने जातीय, सामाजिक और क्षेत्रीय सभी समीकरण साधने का प्रयास किया है।   Hindi India News

क्यों चुने गए राधाकृष्णन?

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से ही चर्चा थी कि बीजेपी किसी विवादास्पद या बाहरी पृष्ठभूमि वाले नेता को उपराष्ट्रपति नहीं बनाएगी। यही कारण है कि इस बार पार्टी ने राधाकृष्णन जैसे अनुभवी और निर्विवाद नेता पर भरोसा जताया।
आरएसएस से जुड़कर राजनीति शुरू करने वाले राधाकृष्णन तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष, दो बार सांसद और हाल ही में राज्यपाल के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। चार दशकों के राजनीतिक करियर में उनकी साफ-सुथरी छवि और सियासी परिपक्वता ने उन्हें उपयुक्त उम्मीदवार बना दिया है।

‘धनखड़ फैक्टर’ का असर

बीजेपी ने पिछली बार जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर राजनीतिक प्रयोग किया था। लेकिन उनके पूरे कार्यकाल में विपक्ष से लगातार टकराव हुआ। धनखड़ का राजनीतिक बैकग्राउंड कांग्रेस और जनता दल से होकर गुज़रा था, इसलिए उनकी वैचारिक छवि बीजेपी से मेल नहीं खाती थी। अब पार्टी ने वही गलती न दोहराते हुए राधाकृष्णन पर दांव लगाया, जो संगठन के मूल्यों में पले-बढ़े हैं और संसदीय मर्यादाओं को निभाने का लंबा अनुभव रखते हैं।

सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण भी साधे

राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुपुर ज़िले से आते हैं और पिछड़ी जाति से हैं। इस तरह बीजेपी ने न सिर्फ ओबीसी समाज को साधने की कोशिश की है, बल्कि दक्षिण भारत में अपनी पैठ मज़बूत करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया है। आर. वेंकटरामन के बाद उपराष्ट्रपति बनने वाले वे तमिलनाडु के पहले नेता होंगे। दिलचस्प यह है कि विपक्षी खेमे से भी राधाकृष्णन के पक्ष में सकारात्मक बयान आए हैं। उद्धव ठाकरे गुट के संजय राउत ने उनकी शालीनता और अनुभव की तारीफ की, वहीं DMK ने भी उन्हें “सही चयन” बताया। यह शायद पहला मौका है जब एनडीए के उम्मीदवार पर विपक्ष की ओर से भी सहज प्रतिक्रिया देखने को मिली है।

मोदी का भरोसा और संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा समाज की जमीनी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया है और तमिलनाडु में संगठन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। मोदी का संदेश साफ है—यह चयन सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रेरणादायी नेतृत्व की उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है।    Hindi India News