Delhi High Court : : नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court ) ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से इस साल सीवर में जान गंवाने वाले दो लोगों के परिवारों को मुआवजे के भुगतान पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि वह इस मामले को तार्किक अंजाम तक ले जाएगी।
Delhi High Court :
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि क्या मृतक के परिवारों को दी गई 10 लाख रुपये की राशि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप थी या उन्हें किसी अलग योजना के तहत भुगतान किया गया।
अदालत ने छह अक्टूबर को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिया था कि वह उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप मृतकों के परिवारों को मुआवजे के रूप में 10-10 लाख रुपये का भुगतान करे और अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने पर विचार करे। डीडीए के अधिकार क्षेत्र में यह घटना हुई थी।
हालांकि, डीडीए ने कहा कि वह इस तरह के भुगतान के लिए जिम्मेदार नहीं है और यह दिल्ली सरकार का कर्तव्य है। डीडीए के वकील ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार ने पीड़ित परिवारों को अब 10 लाख रुपये का मुआवजा दे दिया है। दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे को लेकर “कोई भ्रम” नहीं होना चाहिए और यह मुआवजा 2020 की एक अलग योजना के तहत दिया गया है।
पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार ने यह स्पष्ट करने के लिए हलफनामा दायर करने की खातिर समय मांगा है कि 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप किया गया है या नहीं। पीठ में न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, “हम मामले को एक तार्किक अंत तक ले जाएंगे। हम इतने लाचार नहीं हैं।” पीठ घटना के संबंध में एक खबर के आधार पर अदालत द्वारा खुद शुरू की गई जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। उल्लेखनीय है कि बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में नौ सितंबर को एक सफाईकर्मी और एक सुरक्षा गार्ड की सीवर के अंदर जहरीली गैस की चपेट में आने से मौत हो गई थी।
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