Delhi News : श्री रामायण विद्यापीठ के उत्तराधिकारी मानस मर्मज्ञ पंडित नरेंद्र जी महाराज ब्रह्मलीन (निधन) हो गए हैं। उनके निधन पर विभिन्न धर्माचार्य, राजनेताओं तथा स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारियों ने शोक व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वर्गीय नरेंद्र जी महाराज ने जीवन पर्यंत रामायण का देश विदेश में प्रचार किया।
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पंडित नरेंद्र जी महाराज ने 5 दिसंबर को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्री रामायण विद्यापीठ में अंतिम सांस ली। वह अपने पीछे एक पुत्र और पौत्र का भरा पूरा परिवार छोड़कर गए हैं। उनके निधन की जानकारी मिलने पर धर्माचार्य, राजनेताओं व गणमान्य लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
आपको बता दें कि 3 मार्च वर्ष 1929 को मेरठ में पंडित वीरेंद्र जी रामायणी महाराज के यहां जन्मे पंडित नरेंद्र जी महाराज ने जीवन पर्यंत रामायण का विश्व में प्रचार प्रचार किया। रामायण के प्रचार प्रसार को लेकर उन्होंने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जमकर ख्याति अर्जित की। रामायण का देश विदेश में प्रचार करने तथा धर्म के प्रति उनकी आस्था को देखते हुए प्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापू ने भी उन्हें तुलसी मानस अवार्ड से सम्मानित किया था।
रामजन्म भूमि अयोध्या से जुड़े रहे
राम जन्मभूमि अयोध्या से भी पंडित नरेंद्र जी महाराज का पुराना नाता रहा है। वह वर्ष 1945 से अयोध्या से जुड़े रहे और अंतिम समय तक उनका लगाव राम जन्मभूमि से रहा। अपने जीवन काल में वह महंत नृत्य गोपाल दास व अन्य संतों के संपर्क में रहे। पंडित नरेंद्र जी महाराज के परिवार द्वारा श्री रामायण विद्यापीठ की स्थापना की गई थी। यह परिवार पिछले ढाई सौ वर्षो से लगातार रामायण का विश्व में प्रचार करने में जुटा हुआ है।
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