Wednesday, 1 May 2024

Noida News : जेवर हवाई अड्डे के निर्माण में आई बड़ी बाधा, चार दीवारी के लिए नहीं मिली ज़मीन

Noida News : ग्रेटर नोएडा। जेवर एयरपोर्ट के निर्माण में बड़ी बाधा पैदा हो गई है। एयरपोर्ट की चार दीवारी…

Noida News : जेवर हवाई अड्डे के निर्माण में आई बड़ी बाधा, चार दीवारी के लिए नहीं मिली ज़मीन

Noida News : ग्रेटर नोएडा। जेवर एयरपोर्ट के निर्माण में बड़ी बाधा पैदा हो गई है। एयरपोर्ट की चार दीवारी के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है। एयरपोर्ट के पहले चरण में 13.45 हेक्टेयर जमीन है। किसान इसका मुआवजा मांग रहे हैं। तकनीकी दिक्कत के चलते यह मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते चार दीवारी का काम पूरा नहीं हो पाया है।

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जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण का निर्माण 1334 हेक्टेयर में किया जा रहा है। एयरपोर्ट की चारदीवारी करीब 17 किलो मीटर लंबी है। चारदीवारी का काम लगभग पूरा हो चुका है। एक छोटा सा हिस्सा नहीं बन पा रहा है, जबकि ट्रायल रन शुरू होने से पहले इसका निर्माण कार्य पूरा किया जाना है। चारदीवारी का काम पूरा न होने में सोर की जमीन बाधा बनी हुई है। सोर की जमीन का किसानों के नाम पट्टा है। साथ ही वह भूमिधरी भी है। यानी किसानों का मालिकाना हक भी मिला हुआ है। इसके बावजूद इस जमीन का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। मुआवजा न मिलने से किसान काम नहीं होने दे रहे हैं।

दूसरे और तीसरे चरण में भी है सोर की जमीन

एयरपोर्ट के पहले चरण में 1334 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया। इसमें सोर की जमीन 13.45 हेक्टेयर है। दूसरे चरण में 1365 हेक्टेयर जमीन की अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है। इसमें 52 हेक्टेयर जमीन सोर की है। तीसरे चरण में 1310 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है। इसमें 90 हेक्टेयर जमीन सोर की हैं। अगर इसका हल नहीं निकला आगामी चरणों में भी दिक्कत आएगी।

इस तरह आ गई दिक्कत

जमीन अधिग्रहण करते समय जिला प्रशासन की ओर से शासन को अगवत कराया गया कि तालाब, पोखर, सोर आदि की जमीन का मुआवजा कैसे दिया जाएगा। दरअसल सोर की जमीन को लेकर बुलंदशहर जिले के लिए काफी पहले एक शासनादेश जारी हुआ था। उसमें यह बताया गया है कि सोर की जमीन को ठीक करके किसान फसल उगा रहे हैं। उनका पट्टा है और भूमिधरी भी है। वहीं, गौतमबुद्ध नगर जिले ने इसको लेकर शासन ने पत्राचार किया। इसके चलते अभी तक इस पर फैसला नहीं हो पाया है।

क्या होती है सोर की जमीन

जहां पर रेहू होती है, उसे सोर की जमीन कहते हैं। इस रेहू से पहले कपड़े धुले जाते थे। इस जमीन पर जिप्सम डालकर इसे खेती योग्य बनाया गया। इस जमीन को लेकर 1920 के बाद स्थिति स्पष्ट की गई थी। इस जमीन का किसानों को पट्टा दिया गया और फिर मालिकाना हक मिल गया। मालिकाना हक मिलने के बाद किसान मुआवजे के भी हकदार हो जाते हैं।  Noida News

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