नोएडा /ग्रेटर नोएडा । सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे गुर्जर शब्द लिखे जाने पर जारी महाभारत फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। क्षत्रिय संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि गुर्जर शब्द हटाए बिना मूर्ति का अनावरण किया गया तो आगामी चुनाव में भाजपा को उसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। आज इस मुद्दे को लेकर घोड़ी बछेड़ा में विभिन्न क्षत्रिय संगठनों की एक महापंचायत चल रही है।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्टï्रीय सचिव पृथ्वी सिंह ने चेतना मंच को बताया कि कल जिन लोगों ने पत्रकार वार्ता कर यह विवाद समाप्त होने का दावा किया। वह पूरी तरीके से झूठ है। क्षत्रिय संगठन आज भी अपनी मांग पर अड़ा है। जगह-जगह विरोध में धरना प्रदर्शन चल रहा है। कल जिलाधिकारी सुहास एलवाई को भी ज्ञापन दिया गया है। आज घोड़ी बछेड़ा में महापंचायत चल रही है।
उन्होंने बताया कि क्षत्रिय कुल में जन्मे चंद लोग भाजपा के पदाधिकारी है जो शासन तथा स्थानीय विधायक के इशारे पर मंच पर स्थान पाने तथा राजनीतिक स्वार्थवस ऐसे ऊल-जलूल दावे कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे क्षत्रिय जरूर है।
लेकिन उनका किसी भी क्षत्रिय संगठन से कोई भी लेना देना नहीं है। ऐसे लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषि पाल सिंह परमार ने बताया कि उनकी मांग है कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के नीचे लिखा गुर्जर शब्द हटाया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो सभी क्षत्रिय संगठन लगातार इसका विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग कल पत्रकार वार्ता में विवाद खत्म होने का दावा कर रहे हैं वह स्पष्ट तौर पर सत्ता के इशारे पर किया हुआ एक षड्यंत्र है। जिसे क्षत्रिय संगठन कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज भी क्षत्रिय संगठन अपने मुद्दे पर कायम हैं तथा उनकी मांग है कि सम्राट मिहिर भोज क्षत्रिय थे इसलिए उनके आगे लिखा हुआ गुर्जर शब्द हटाया जाए। यह क्षत्रियों की मान-सम्मान तथा स्वाभिमान के खिलाफ है। इसे क्षत्रिय संगठन कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि आज भी इस मुद्दे को लेकर घोड़ी बछेड़ा में महापंचायत चल रही जिसमें कई क्षत्रिय संगठनों के हजारों लोग मौजूद हैं।
उधर राजपूत करणी सेना के प्रदेश महामंत्री राणा बृजेश सिंह का कहना है कि उनका विरोध लगातार जारी है। यदि प्रतिमा के नीचे लिखा गुर्जर तो नहीं हटाया गया तो भारतीय जनता पार्टी को उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने मांग की है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह कार्यक्रम रदद कर देना चहिए। ताकि क्षत्रीय संगठनों के लाखों लोगों के सम्मान को ठेस ना पहुंचे।यदि ऐसा नहीं हुआ तो इसके दूरगामी परिणाम काफी गंभीर होंगे।