Friday, 21 March 2025

दिल्ली हाईकोर्ट ने सास-ससुर के हक में सुनाया फैसला, नहीं चलेगी बहू की झिकझिक

Delhi High Court : पारिवारिक विवाद और घरेलू कलह से जुड़े मामलों में हाल के दिनों में अदालतों में कई…

दिल्ली हाईकोर्ट ने सास-ससुर के हक में सुनाया फैसला, नहीं चलेगी बहू की झिकझिक

Delhi High Court : पारिवारिक विवाद और घरेलू कलह से जुड़े मामलों में हाल के दिनों में अदालतों में कई मामले सामने आए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट का हाल ही में लिया गया एक महत्वपूर्ण फैसला सास-ससुर के अधिकारों को लेकर चर्चा का विषय बना है। यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए राहत की खबर लेकर आया है जो बहू और बेटे के बीच के घरेलू झगड़ों से तंग आ चुके थे। कोर्ट ने इस फैसले में स्पष्ट किया है कि सास और ससुर को शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार है और यदि बहू लगातार परेशान करती है तो उन्हें संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है।

इन बहूओं को संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं

सास और बहू का रिश्ता कभी-कभी मां-बेटी के रिश्ते जैसा होता है, लेकिन छोटी-छोटी बातों पर विवाद होने से यह रिश्ता अक्सर कानूनी लड़ाई में बदल जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले में सास और ससुर के अधिकारों को परिभाषित किया गया है, विशेषकर तब जब वे बहू के व्यवहार से परेशान हो जाते हैं। कोर्ट ने यह साफ किया कि अगर बहू सास-ससुर को परेशान करती है तो उसे संयुक्त घर में रहने का अधिकार नहीं होगा।

हर व्यक्ति को शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस योगेश खन्ना ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार है और यह अधिकार सास-ससुर को भी है। अगर बहू लगातार सास-ससुर को परेशान करती है, तो भारतीय कानून के तहत बुजुर्गों को यह अधिकार है कि वे अपनी बहू को घर से बाहर कर सकें। यह फैसला एक मामले के संदर्भ में दिया गया, जिसमें एक बहू ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील की थी, जहां उसे ससुराल में रहने का अधिकार नहीं दिया गया था। कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून का भी हवाला दिया और कहा कि धारा 19 के तहत किसी बहू को संयुक्त घर में रहने का अधिकार नहीं है, अगर वह अपने ससुरालवालों को परेशान करती है। अदालत ने यह भी कहा कि सास-ससुर, जो उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं, उन्हें अपनी बहू और बेटे के बीच के विवाद से मुक्त होकर शांति से जीवन जीने का अधिकार है।

सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का कोई अधिकार नहीं

इस फैसले में एक और महत्वपूर्ण बिंदु सामने आया कि सास और ससुर की संपत्ति पर बहू का कोई अधिकार नहीं है। कानून के अनुसार, सास-ससुर की मृत्यु के बाद ही अगर पति की मौत हो जाती है, तो महिला को संपत्ति का अधिकार मिल सकता है, लेकिन अगर सास-ससुर ने वसीयत के माध्यम से संपत्ति को किसी और के नाम कर दिया है तो बहू को इसका कोई अधिकार नहीं होगा।

निचली अदालत का निर्णय

मामला जब निचली अदालत में पहुंचा, तो अदालत ने प्रतिवादी (ससुर) के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि बहू को वहां रहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि संपत्ति उनके द्वारा अर्जित की गई थी। अदालत ने यह भी कहा कि बहू का यह दावा कि संपत्ति परिवार की संयुक्त पूंजी से खरीदी गई थी, सही नहीं है। कोर्ट ने बहू की अपील को खारिज कर दिया और यह सुनिश्चित किया कि उसे वैकल्पिक आवास प्रदान किया जाएगा, जब तक उसकी शादी जारी रहती है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि सास-ससुर के लिए यह उचित नहीं होगा कि वे बहू और बेटे के बीच के वैवाहिक झगड़ों का सामना करें, खासकर जब वे वृद्ध हैं और शांति से जीवन जीने के हकदार हैं। Delhi High Court

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