दिल्ली में क्रिसमस के प्रचार को लेकर धार्मिक और राजनीतिक बहस, वीडियो वायरल
क्रिसमस से पहले राजधानी दिल्ली में त्योहार को लेकर एक विवाद सामने आ रहा है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं।

बता दें कि ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके की एक मार्केट में सोमवार शाम (22 दिसंबर) कुछ महिलाओं और बच्चों को सांता क्लॉज की लाल टोपी पहनकर पैम्प्लेट बांटना भारी पड़ गया और करीब 12 महिलाएं और बच्चे ‘मैं क्रिसमस क्यों मनाऊं?’ शीर्षक वाले पैम्प्लेट दुकानदारों और राहगीरों को बांट रहे थे। इसी दौरान मार्केट में मौजूद कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जताई और उन्हें ऐसा करने से मना किया। आरोप है कि महिलाओं से मार्केट छोड़ने के लिए भी कहा गया।
स्थानीय लोगों का पक्ष
बता दें कि घटना को लेकर मार्केट में मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि महिलाएं सड़क के बीच खड़े होकर पैम्प्लेट बांट रही थीं और धार्मिक गाना चला रही थीं, जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई थी। उनका कहना है कि इस गतिविधि के लिए पुलिस या प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि किसी को अपने घर या निजी जगह पर त्योहार मनाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सार्वजनिक स्थान पर बिना अनुमति इस तरह की गतिविधि गलत है। उन्होंने तर्क दिया कि धार्मिक शोभायात्रा या अन्य कार्यक्रमों के लिए भी पहले प्रशासन से अनुमति ली जाती है।
सौरभ भारद्वाज ने शेयर किया वीडियो
बता दें कि इस घटना का वीडियो आप पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि लाजपत नगर इलाके में महिलाओं के साथ बदतमीज़ी की गई। पोस्ट में उन्होंने कुछ लोगों पर धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया और इसे दोहरा रवैया बताया है।
आरोपों से इनकार
बता दें कि मार्केट में मौजूद कुछ लोगों ने सौरभ भारद्वाज के दावों को खारिज किया है। उनका कहना है कि वह और उनके परिवार भारत में ही रहते हैं और किसी तरह का भेदभाव नहीं करते। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर बहस
बता दें कि वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहे हैं, तो वहीं कुछ इसे सार्वजनिक व्यवस्था और नियमों का सवाल बता रहे हैं। फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
बता दें कि ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके की एक मार्केट में सोमवार शाम (22 दिसंबर) कुछ महिलाओं और बच्चों को सांता क्लॉज की लाल टोपी पहनकर पैम्प्लेट बांटना भारी पड़ गया और करीब 12 महिलाएं और बच्चे ‘मैं क्रिसमस क्यों मनाऊं?’ शीर्षक वाले पैम्प्लेट दुकानदारों और राहगीरों को बांट रहे थे। इसी दौरान मार्केट में मौजूद कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जताई और उन्हें ऐसा करने से मना किया। आरोप है कि महिलाओं से मार्केट छोड़ने के लिए भी कहा गया।
स्थानीय लोगों का पक्ष
बता दें कि घटना को लेकर मार्केट में मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि महिलाएं सड़क के बीच खड़े होकर पैम्प्लेट बांट रही थीं और धार्मिक गाना चला रही थीं, जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई थी। उनका कहना है कि इस गतिविधि के लिए पुलिस या प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि किसी को अपने घर या निजी जगह पर त्योहार मनाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सार्वजनिक स्थान पर बिना अनुमति इस तरह की गतिविधि गलत है। उन्होंने तर्क दिया कि धार्मिक शोभायात्रा या अन्य कार्यक्रमों के लिए भी पहले प्रशासन से अनुमति ली जाती है।
सौरभ भारद्वाज ने शेयर किया वीडियो
बता दें कि इस घटना का वीडियो आप पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि लाजपत नगर इलाके में महिलाओं के साथ बदतमीज़ी की गई। पोस्ट में उन्होंने कुछ लोगों पर धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया और इसे दोहरा रवैया बताया है।
आरोपों से इनकार
बता दें कि मार्केट में मौजूद कुछ लोगों ने सौरभ भारद्वाज के दावों को खारिज किया है। उनका कहना है कि वह और उनके परिवार भारत में ही रहते हैं और किसी तरह का भेदभाव नहीं करते। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर बहस
बता दें कि वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहे हैं, तो वहीं कुछ इसे सार्वजनिक व्यवस्था और नियमों का सवाल बता रहे हैं। फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।










