Delhi News : विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यूरोप यात्रा के दौरान सामने आए भारत के स्पष्ट संदेश और कूटनीतिक पहल ने पाकिस्तान को लेकर देश की नीति को पहले से कहीं अधिक सख्त कर दिया है। फ्रांसीसी अखबार को दिए गए एक साक्षात्कार में जयशंकर ने साफ कर दिया कि भारत अब आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति से पीछे नहीं हटेगा और यदि पाकिस्तान की सरजमीं से किसी भी प्रकार की हरकत होती है, तो उसका जवाब निर्णायक और विध्वंसक होगा।
मध्य एशिया के साथ कूटनीतिक तालमेल, आतंकवाद के खिलाफ साझा अभियान
जयशंकर ने कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्रियों से मुलाकात कर आतंकवाद के विरुद्ध एक साझा ढांचा तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। यह बैठक भारत-मध्य एशिया संवाद से ठीक पहले हुई, जिसमें सुरक्षा सहयोग, व्यापार और क्षेत्रीय संपर्क जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई।
पाकिस्तान को दरकिनार करने की रणनीति तैयार
भारत अब अफगानिस्तान और पाकिस्तान की भूमिका को बायपास करते हुए मध्य एशिया से सीधे जुड़ने के लिए चाबहार बंदरगाह को रणनीतिक केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है। इस संपर्क के जरिए भारत मध्य एशिया तक ऊर्जा, खनिज और व्यापार के नए रास्ते खोलेगा और पाकिस्तान की भौगोलिक बाध्यता को अप्रासंगिक बना देगा।
राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार : डॉलर पर निर्भरता कम करने की पहल
जयशंकर ने आपसी व्यापार को रुपये और स्थानीय मुद्राओं में करने की वकालत की है, जिससे डॉलर पर निर्भरता घटेगी और क्षेत्रीय मुद्रा सुदृढ़ होंगी। उन्होंने जोर दिया कि भारत की $4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था सालाना 6-8% की दर से बढ़ रही है, जो मध्य एशिया के देशों के लिए एक आकर्षक बाजार बन सकती है।
डोभाल की नीति का विस्तार, भारत का दीर्घकालिक दृष्टिकोण
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 2022 में दिल्ली में आयोजित बैठक में ही स्पष्ट कर दिया था कि भारत के लिए एक शांतिपूर्ण और स्थिर मध्य एशिया अत्यंत आवश्यक है। जयशंकर अब उस नीति को और आगे बढ़ा रहे हैं। डोभाल ने संप्रभुता और पारदर्शिता के सिद्धांत पर आधारित कनेक्टिविटी की वकालत की थी। एक संकेत चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के मुकाबले भारत के वैकल्पिक दृष्टिकोण का है। Delhi News
रेशम मार्ग से लेकर एससीओ तक : भारत-मध्य एशिया संबंधों की ऐतिहासिक गहराई
भारत और मध्य एशिया का रिश्ता प्राचीन रेशम मार्ग, बौद्ध सांस्कृतिक धरोहर, और आधुनिक बॉलीवुड संस्कृति तक फैला है। भारत की कनेक्ट सेंट्रल एशिया पालिशी और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सदस्यता इस रिश्ते को नई ऊँचाई पर ले जा रही है। यह रणनीति न केवल भारत की विदेश नीति को नए भू-राजनीतिक संतुलन की ओर ले जा रही है, बल्कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करने की एक चतुर और निर्णायक योजना भी है। Delhi News