दिल्ली में प्रदूषण पर क्यों नहीं लग रहा ब्रेक? सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को काबू में करने के लिए GRAP-4, NO PUC NO FUEL और BS6 वाहनों की एंट्री जैसे कड़े नियम लागू किए गए हैं। हजारों वाहनों के चालान काटे गए और कई गाड़ियों को राजधानी की सीमा से वापस भेजा गया। इसके बावजूद दिल्ली का AQI 387 से ऊपर बना हुआ है।

Delhi AQI
दिल्ली में फैली दमघोंटू
locationभारत
userअसमीना
calendar19 Dec 2025 03:05 PM
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दिल्ली और उत्तर भारत में प्रदूषण एक बार फिर गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है। ठंड बढ़ते ही राजधानी की हवा दमघोंटू होती जा रही है और हालात ऐसे बन गए हैं कि सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। सरकार ने स्थिति को काबू में लाने के लिए ग्रेप-4 जैसे सबसे सख्त नियम लागू किए हैं, BS6 वाहनों की ही एंट्री की अनुमति दी गई है और ‘NO PUC NO FUEL’ जैसे अभियान शुरू किए गए हैं। इसके बावजूद शुक्रवार को दिल्ली का ओवरऑल AQI 387 से ऊपर दर्ज किया गया जो बेहद खराब श्रेणी में आता है।

काटे गए 3746 से ज्यादा वाहनों के चालान

गुरुवार से लागू हुए नए नियमों के तहत दिल्ली में केवल BS6 मानक वाले वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई। इसके साथ ही जिन वाहनों के पास वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र यानी PUC नहीं है उन्हें ईंधन न देने का फैसला भी लागू किया गया। इस अभियान का असर यह रहा कि सिर्फ पहले दिन ही 3746 से ज्यादा वाहनों के चालान काटे गए। करीब 570 ऐसे वाहन जो नियमों का पालन नहीं कर रहे थे, उन्हें 24 घंटे के भीतर दिल्ली की सीमा से बाहर लौटा दिया गया। ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की संयुक्त टीमों ने राजधानी के एंट्री पॉइंट्स पर लगभग 5000 वाहनों की जांच की और 217 ट्रकों के रूट डायवर्ट किए गए।

WFH से होगी सुधार!

सरकार ने यह भी उम्मीद जताई थी कि वर्क फ्रॉम होम को 50 प्रतिशत तक अनिवार्य करने से सड़कों पर भीड़ कम होगी और वाहनों की आवाजाही घटेगी। हालांकि जमीनी हकीकत इससे अलग नजर आई। कई इलाकों में शुक्रवार को भी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रही। लोगों का कहना है कि दफ्तरों में स्टाफ कम होने के बावजूद निजी वाहनों और कमर्शियल मूवमेंट में खास कमी नहीं आई। एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों तक मौसम की परिस्थितियां भी प्रदूषण को फैलाने में मदद कर सकती हैं जिससे राहत की उम्मीद फिलहाल कम दिख रही है।

कितना दिखा NO PUC NO FUEL अभियान का असर

NO PUC NO FUEL अभियान का असर हालांकि एक जगह साफ तौर पर देखने को मिला। PUC सर्टिफिकेट बनवाने वालों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई। गुरुवार को अकेले 45,479 PUC बनाए गए, जबकि बुधवार को यह आंकड़ा 31,197 था और सोमवार को सिर्फ 17,719। इसका मतलब साफ है कि सख्ती होते ही लोग नियमों का पालन करने के लिए आगे आए हैं लेकिन इसका प्रभाव हवा की गुणवत्ता पर तुरंत दिखना आसान नहीं है।

सरकार पर उठाए जा रहे सवाल

विपक्ष की तरफ से प्रदूषण को लेकर सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इन आरोपों पर दिल्ली सरकार में मंत्री आशीष सूद ने पलटवार करते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने लंबे समय तक जरूरी कामों को नजरअंदाज किया। उन्होंने आरोप लगाया कि न तो ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत किया गया न ही सफाई व्यवस्था पर सही से ध्यान दिया गया। ईवी पॉलिसी को लेकर भी लापरवाही बरती गई और वाहन सब्सिडी के लिए तय किए गए करोड़ों रुपये जारी नहीं किए गए। मंत्री के मुताबिक प्रदूषण एक दिन में पैदा हुई समस्या नहीं है और इसका समाधान भी लंबी रणनीति और निरंतर प्रयास से ही संभव है।

धीरे-धीरे सामने आएंगे नतीजे

असल में दिल्ली का प्रदूषण केवल चालान काटने या कुछ दिनों की पाबंदियों से खत्म नहीं हो सकता। इसके पीछे ट्रैफिक, निर्माण कार्य, औद्योगिक उत्सर्जन, पराली जलाने और मौसम की भूमिका जैसे कई बड़े कारण जुड़े हैं। सरकार के मौजूदा कदम जरूरी जरूर हैं लेकिन इनके नतीजे धीरे-धीरे सामने आएंगे। जब तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट मजबूत नहीं होता, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा नहीं मिलता और नियमों का सख्ती से लंबे समय तक पालन नहीं होता तब तक दिल्ली की हवा में बड़ा सुधार देखना मुश्किल है।

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गरीबों पर भारी पुलिस की लापरवाही, अदालतों के चक्कर काटने को मजबूर

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में लगातार बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों और पुलिस की लापरवाही को लेकर आखिरकार पुलिस प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। अवैध गतिविधियों पर आंख मूंदे रखने के आरोपों के बाद पुलिस उपायुक्त ने एक साथ विभिन्न थानों के 40 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है।

Delhi Police
पश्चिम दिल्ली (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar17 Dec 2025 03:11 PM
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बता दें कि पुलिस सूत्रों के अनुसार, उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले में अवैध सट्टा, शराब और अन्य गैरकानूनी कारोबार तेजी से फल-फूल रहे थे। इन गतिविधियों की शिकायतें लगातार पुलिस प्रशासन तक पहुंच रही थीं, लेकिन स्थानीय स्तर पर तैनात पुलिसकर्मी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे थे। इसी को गंभीरता से लेते हुए पुलिस उपायुक्त आशीष मिश्रा ने एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया।

विशेष जांच में खुली पोल

बता दें कि विशेष जांच टीम ने नंद नगरी, सीलमपुर, वेलकम, सोनिया विहार और करावल नगर थाना क्षेत्रों में अवैध सट्टा और शराब कारोबार से जुड़ी शिकायतों की जांच की। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि संबंधित इलाकों में तैनात कई पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर रहे थे और अवैध गतिविधियों पर प्रभावी कार्रवाई करने में पूरी तरह विफल रहे। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस उपायुक्त ने पांच थानों के 40 पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई पुलिस बल में जवाबदेही सुनिश्चित करने और अपराध नियंत्रण को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है।

आम जनता में बढ़ता आक्रोश

बता दें कि स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। छोटे-छोटे मामलों में भी पुलिस समय पर कार्रवाई करने के बजाय मामलों को कोर्ट तक पहुंचा देती है, जिससे गरीब और कमजोर वर्ग के लोग कानूनी प्रक्रियाओं में फंस जाते हैं। कई बार मामूली झगड़ों को जानबूझकर बड़ा बना दिया जाता है, जहां पैसे और पहुंच रखने वाले लोग बच निकलते हैं और गरीब पक्ष को सालों तक अदालतों के चक्कर काटने पड़ते हैं। डाबरी चौकी सहित कई इलाकों में एकतरफा कार्रवाई और निष्पक्ष जांच न होने के आरोप भी सामने आते रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब पुनः जांच (री-इन्क्वायरी) की मांग की जाती है, तो पुलिस प्रशासन अक्सर उसे नजरअंदाज कर देता है।

पश्चिम दिल्ली में भी हालात चिंताजनक

बता दें कि हालांकि यह कार्रवाई उत्तर-पूर्वी दिल्ली तक सीमित है, लेकिन पश्चिम दिल्ली के पालम, उत्तम नगर, डाबरी, मोहन गार्डन जैसे इलाकों में भी अवैध गतिविधियों और पुलिस की निष्क्रियता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि कई जगहों पर खुलेआम गैरकानूनी कारोबार चल रहा है, लेकिन पुलिस प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा।

जवाबदेही तय करने की जरूरत

बता दें कि विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि केवल लाइन हाजिर करने से समस्या का स्थायी समाधान नहीं होगा। जब तक थाने से लेकर डीसीपी स्तर तक जवाबदेही तय नहीं की जाएगी और आम जनता की शिकायतों पर समयबद्ध व निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण संभव नहीं है।

फिलहाल, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में की गई यह कार्रवाई पुलिस प्रशासन के लिए एक कड़ा संदेश मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि क्या इस सख्ती का असर जमीनी स्तर पर दिखाई देता है या फिर आम जनता को यूं ही पुलिस की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ता रहेगा।


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दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला : मजदूरों को ₹10,000 मुआवजा देने का किया ऐलान

इसी को देखते हुए सरकार ने रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को ₹10,000 की आर्थिक सहायता DBT के जरिए सीधे बैंक खातों में भेजने का निर्णय लिया है। मंत्री के अनुसार, यह सहायता मौजूदा अवधि (करीब 16 दिन) के नुकसान को देखते हुए दी जाएगी, और जरूरत पड़ने पर GRAP-4 की स्थिति में भी राहत जारी रहने की बात कही गई है।

दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला
दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 12:55 PM
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Delhi News : राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है। हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने राहत और नियंत्रण दोनों मोर्चों पर कड़े कदम उठाने का ऐलान किया है। फैसलों का सीधा असर निर्माण श्रमिकों, नौकरीपेशा कर्मचारियों और वाहन चालकों पर पड़ेगा। दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री कपिल मिश्रा ने बुधवार, 17 दिसंबर 2025 को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि प्रदूषण के चलते लागू GRAP-3 के कारण निर्माण गतिविधियां रुकने से मजदूरों की आमदनी प्रभावित हुई है। इसी को देखते हुए सरकार ने रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को ₹10,000 की आर्थिक सहायता DBT के जरिए सीधे बैंक खातों में भेजने का निर्णय लिया है। मंत्री के अनुसार, यह सहायता मौजूदा अवधि (करीब 16 दिन) के नुकसान को देखते हुए दी जाएगी, और जरूरत पड़ने पर GRAP-4 की स्थिति में भी राहत जारी रहने की बात कही गई है।

सरकार के प्रमुख फैसले (एक नजर में)

  1. GRAP-III/IV के कारण काम ठप होने से प्रभावित निर्माण श्रमिकों को ₹10,000 सहायता (केवल रजिस्टर्ड श्रमिकों को)।
  2. गुरुवार से सरकारी-निजी संस्थानों में 50% उपस्थिति—बाकी 50% स्टाफ के लिए Work From Home अनिवार्य।
  3. निर्देश न मानने पर कार्रवाई/जुर्माना लगाने की चेतावनी।
  4. यह व्यवस्था अस्पताल, फायर ब्रिगेड, जरूरी सेवाएं, प्रदूषण नियंत्रण/आपदा प्रबंधन जैसे विभागों पर लागू नहीं होगी।
  5. सरकार ने वर्किंग आवर्स को फ्लेक्सिबल रखने और कार-पूलिंग अपनाने की भी अपील की है।

किसे छूट मिलेगी?

श्रम मंत्री के मुताबिक, स्वास्थ्य सेवाएं, बिजली-पानी सप्लाई, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण/प्रदूषण से जुड़े विभागों में काम की प्रकृति को देखते हुए 50% अटेंडेंस वाला नियम लागू नहीं किया जाएगा, ताकि जरूरी सेवाएं बाधित न हों। सरकार ने साफ किया है कि WFH और 50% उपस्थिति से जुड़े आदेशों की अनदेखी हुई तो संबंधित संस्थानों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। सरकार का तर्क है कि प्रदूषण एक पुरानी चुनौती है, लेकिन मौजूदा हालात में तत्काल सख्ती जरूरी हो गई है।

क्यों उठाए गए ये कदम?

सर्दियों में दिल्ली का AQI अक्सर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाता है। ऐसे में लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ जाते हैं। सरकार का कहना है कि एक तरफ आवागमन और ऑफिस ट्रैफिक कम करके प्रदूषण का दबाव घटाया जाएगा, वहीं दूसरी ओर रोजगार प्रभावित मजदूरों को तुरंत राहत दी जाएगी। Delhi News

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