Sunday, 3 November 2024

Meaning of Mayawati’s Decision, आखिर क्यों लिया मायावती ने ये निर्णय?

Meaning of Mayawati’s Decision: बीएसपी नेत्री मायावती का आज, 15 जनवरी को 68वां जन्मदिन मनाया गया। जैसी कि संभावना थी…

Meaning of Mayawati’s Decision, आखिर क्यों लिया मायावती ने ये निर्णय?

Meaning of Mayawati’s Decision: बीएसपी नेत्री मायावती का आज, 15 जनवरी को 68वां जन्मदिन मनाया गया। जैसी कि संभावना थी कि इस दिन वो अपनी पार्टी की भावी रणनीति घोषित करेंगी, उन्होंने ऐसा ही किया। मायावती ने अपनी पार्टी की आगामी लोकसभा चुनाव में एकला चलो की नीति पर चलने की घोषणा की। बहिन जी के नाम से विख्यात मायावती के निर्णय के विशेषज्ञ मायने निकाल रहे हैं और उन्हें होने वाली लाभ-हानि का आंकलन कर रहे हैं, आखिर मायावती ने ये रास्ता क्यों चुना?

क्या कहा था मायावती ने अपने निर्णय में?, Meaning of Mayawati’s Decision

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपनी आगे की रणनीति का ऐलान करते हुए कहा कि “हमने जब भी किसी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा है, तो इससे बसपा को हर बार नुकसान हुआ है, जबकि दूसरे दलों का फायदा हुआ है। इसीलिए देश की अधिकांश पार्टियां बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती हैं।” साथ ही मायावती ने यह संभावना भी जताई कि ईवीएम का सिस्टम कभी भी खत्म हो सकता है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि “अगर मेरी पार्टी के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में अच्छे नतीजे लाते है, तो यही मेरे लिए गिफ्ट होगा।”

Meaning of Mayawati’s Decision: बीजेपी और एसपी पर बोला हमला

मायावती ने भाजपा सरकार और समाजवादी पार्टी पर हमला बोला। उन्होंने योगी सरकार के बारे में कहा कि “लोगों को फ्री राशन का झांसा दिया। राशन देकर गुलाम बनाया जा रहा है।” वहीं मायावती ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “विपक्ष के इंडिया गठबंधन को लेकर सपा चीफ अखिलेश यादव ने बसपा के लोगों को गुमराह करने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदला है। उससे बसपा के लोगों को सतर्क रहना होगा।”

क्या हैं मायावती के इस रुख के मायने?

मायावती ने इस निर्णय के पीछे जो तर्क दिया वो ये है कि गठबंधन के दूसरे दल उनकी पार्टी को अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाते हैं। वो तो इस निर्णय का एक कारण है ही, साथ ही मायावती अपने दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहती हैं, इसलिए भी उन्होने ये निर्णय किया है। अगर एनडीए या इंडिया गठबंधन सरकार बनाने के नजदीक पहुंचते हैं, लेकिन अगर बहुमत से दूर रहते हैं, तो उन्हें अपनी अहमियत साबित की जा सके। साथ ही वो सत्ता के नजदीक रहना चाहती हैं, ये इस निर्णय के पीछे की असली वजह है।

Meaning of Mayawati’s Decision

मायावती के आज के निर्णय से इसके संकेत भी मिलते हैं, क्योंकि उन्होंने चुनाव के बाद किसी से भी गठबंधन से इंकार नहीं किया है। उन्होंने ऐसे संकेत दिए हैं कि चुनाव के बाद वो किसी के भी साथ एलाइंस कर सकती हैं, वो दोनों गठबंधन में से कोई भी हो सकता है। लेकिन वो ऐसा फ्री में नहीं करेंगी, ये भी उन्होंने स्पष्ट किया है। उचित भागीदारी मिलने पर ही वो किसी को समर्थन देंगी। यह समर्थन मुफ्त मे नहीं दिया जाएगा, ये भी मायावती ने पूरी तरह स्पष्ट कर दिया। वैसे मायावती के इस फैसले से विपक्षी गठबंधन इंडिया को ज्यादा नुकसान होता नजर आ रहा है।

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