नई दिल्ली, 24 अप्रैल 2025: हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की लोकतांत्रिक आत्मा का उत्सव है। 2025 में यह दिन और भी खास बन गया, जब देशभर में पंचायती संस्थाओं की भूमिका को फिर से केंद्र में लाया गया।
इस साल पंचायती राज दिवस की थीम रही है- “स्वशासन संस्थाओं की भावना का उत्सव”, जो ग्राम स्तर से लेकर राष्ट्रीय विकास तक पंचायतों के महत्व को रेखांकित करती है।
पंचायती राज दिवस का इतिहास:
1957 में बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों के बाद त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली की नींव रखी गई। लेकिन असली बदलाव 1992 में हुआ जब 73वां संविधान संशोधन अधिनियम पारित हुआ और 24 अप्रैल 1993 को पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा मिला।
पंचायती राज दिवस 2025 के प्रमुख आयोजन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया और ₹13,500 करोड़ की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिसमें रेलवे सेवाओं का शुभारंभ भी शामिल था।
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार समारोह में उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायतों को सम्मानित किया गया, जिससे स्थानीय शासन में उत्कृष्टता को बढ़ावा मिला।
कार्यशालाएँ और सेमिनार: देशभर में पंचायत सदस्यों और नागरिकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें स्थानीय शासन की चुनौतियों और उपलब्धियों पर चर्चा हुई।
पंचायती राज की असली ताकत क्या है?
भारत की लगभग 2.51 लाख पंचायतें आज न केवल योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू कर रही हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वच्छता और डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों में अहम भूमिका निभा रही हैं।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 2025 का यही खास संदेश है कि – “मजबूत पंचायतें ही भारत के लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करती हैं।”
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