Corona Alert : चीन व पांच अन्य देशों के यात्रियों के लिए एक जनवरी से कोविड नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य

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Corona Alert
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 12:24 AM
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Corona Alert : नई दिल्ली। चीन, हांगकांग, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और थाईलैंड से भारत आने वाले यात्रियों के लिए एक जनवरी से नेगेटिव कोविड रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

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मांडविया ने कहा कि ऐसे यात्रियों को अपनी यात्रा से पहले हवाई सुविधा पोर्टल पर अपनी आरटी-पीसीआर जांच की नेगेटिव रिपोर्ट साझा करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत की यात्रा शुरू करने से 72 घंटे के भीतर कोविड जांच करानी होगी। मंत्री ने कहा कि यह नियम भारत पहुंचने पर सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के दो प्रतिशत यात्रियों के यादृच्छिक (रैंडम) परीक्षण के अतिरिक्त है। कुछ देशों में कोरोनो वायरस के मामलों में वृद्धि के बीच, सरकार ने सतर्कता बरतते हुए कोविड दिशानिर्देशों को सख्त किया है। साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है। देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 268 नए मामले सामने आने के बाद देश में अभी तक संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या बढ़कर 4,46,77,915 पर पहुंच गई, जबकि उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 3,552 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में संक्रमण के एक मरीज की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 5,30,6968 हो गई।

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Health News : नवजात बच्चों के लिये एंटीबायोटिक्स विकसित करने की तत्काल जरूरत : विशेषज्ञ

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Urgent need to develop antibiotics for newborns: Experts
locationभारत
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calendar01 Dec 2025 11:57 AM
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नई दिल्ली। भारत सहित प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील नवजात शिशुओं के लिए एंटीबायोटिक्स विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिसंबर 2022 बुलेटिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा कि हाल के अनुमानों से पता चलता है कि हर साल लगभग 23 लाख नवजात शिशु गंभीर जीवाणु संक्रमण से मर जाते हैं, जबकि बड़ी संख्या में बच्चों में एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) उस स्तर तक बिगड़ गया है, जहां लगभग 50-70 प्रतिशत सामान्य रोगजनक (पैथोजेन) उपलब्ध एंटीबायोटिक दवाओं के लिए उच्च स्तर का प्रतिरोध दिखाते हैं।

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यह बुलेटिन एएमआर के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा संयुक्त रूप से लिखा गया है। इसमें ‘ग्लोबल एंटीबायोटिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट पार्टनरशिप’ (जीएआरडीपी) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) शामिल हैं। लेखकों ने उल्लेख किया कि चिकित्सा अनुसंधान में पर्याप्त प्रगति और रोकथाम योग्य बीमारियों की वजह से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या में भारी गिरावट के बावजूद बाल स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याओं का समाधान किया जाना बाकी है। गंभीर जीवाणु संक्रमण उनमें से एक है। सेंट जॉर्ज, लंदन विश्वविद्यालय (एसजीयूएल) से जुड़े और पेंटा- बाल स्वास्थ्य अनुसंधान में रोगाणुरोधी प्रतिरोध कार्यक्रम के सदस्य माइक शारलैंड ने कहा कि यह समझने के लिए उच्च प्राथमिकता वाले एंटीबायोटिक दवाओं की पहचान करने की तत्काल आवश्यकता है कि कौन से बच्चों में वे सबसे अच्छा और सुरक्षित रूप से काम करते हैं? इसके बाद उन्हें उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

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जीएआरडीपी के कार्यकारी निदेशक मनिका बालसेगरम ने कहा कि वैश्विक सहमति प्राप्त करके हम एंटीबायोटिक विकास की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सकते हैं, एंटीबायोटिक दवाओं तक तेजी से पहुंच की अनुमति दे सकते हैं और संवेदनशील नवजात आबादी पर एएमआर के बोझ को कम कर सकते हैं।

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रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि विशेष रूप से नवजात शिशुओं को लक्षित करने वाले सहयोगी एंटीबायोटिक विकास और उन तक पहुंच के लिए तंत्र एकल स्वतंत्र अध्ययनों की तुलना में कैसे मूल्यवान साबित हो सकते हैं। लेखकों ने कहा कि एएमआर के कारण होने वाली नवजात मौतों की बढ़ती संख्या के बावजूद, नवजात सेप्सिस जैसे गंभीर जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए बहुत कम प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं का पर्याप्त अध्ययन किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 से वयस्कों में उपयोग के लिए 40 एंटीबायोटिक दवाओं को मंजूरी दी गई है जिनमें से केवल चार ने अपने लेबल में नवजात शिशुओं के लिए खुराक की जानकारी शामिल की है। रिपोर्ट के अनुसार, नैतिक चिंताओं, तार्किक मुद्दों और नियामक आवश्यकताओं ने नवजात शिशुओं में नैदानिक शोध करना मुश्किल बना दिया है।
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Hiraben Modi : प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन की हालत में सुधार

Hiraben
Improvement in the condition of Prime Minister Modi's mother Heeraben
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 09:44 AM
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अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीराबेन की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। अहमदाबाद के जिस अस्पताल में वह भर्ती हैं, उसने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

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Hiraben Modi

हीराबेन (99) को स्वास्थ्य संबंधी कुछ परेशानियों के चलते बुधवार को सुबह यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को दोपहर में दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचे थे। यहां अस्पताल में अपनी मां से मुलाकात की थी। वह एक घंटे से अधिक समय तक अस्पताल में रुके थे। उन्होंने सिविल अस्पताल के परिसर में स्थित सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वायत्त चिकित्सा सुविधा में चिकित्सकों से भी बात की थी। अस्पताल ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि हीराबा मोदी की सेहत में सुधार हो रहा है।

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इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री मोदी के बड़े भाई सोमभाई मोदी ने कहा कि उनकी (हीराबेन) हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। वह अभी काफी बेहतर हैं। वे अपने हाथ और पैर भी हिला पा रही हैं। उन्होंने इशारों में हमें बताया कि हम उन्हें बिठा दें। साथ ही उन्होंने अस्पताल की ओर से दिया गया तरल आहार भी ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि आज सीटी स्कैन और एमआरआई किए जाने के बाद चिकित्सक उन्हें अस्पताल से छुट्टी देने के संबंध में फैसला करेंगे।

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अस्पताल ने बुधवार को कहा था कि प्रधानमंत्री की मां की हालत स्थिर है। हीराबेन गांधीनगर शहर के पास रायसन गांव में प्रधानमंत्री मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ रहती हैं। उन्हें हीरा बा भी कहा जाता है। प्रधानमंत्री जब भी गुजरात दौरे पर आते हैं, तो नियमित रूप से रायसन जाकर अपनी मां से मिलते हैं।