मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन? बच्चों के इत्तिला करने पर भी पोहे में व्यस्त थे मास्टरजी

सुस्त कार्रवाई पर खड़े हुए सवाल
सूत्रों के मुताबिक बैठक में सीएम भजनलाल शर्मा जमीनी स्तर पर लापरवाही बरतने वाले अफसरों की जवाबदेही तय कर सकते हैं। यह भी संभव है कि कई अधिकारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई हो। सरकार पूरे राज्य में सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों की बिल्डिंग्स का व्यापक ऑडिट कराने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। शिक्षा विभाग पहले ही जिलों से जर्जर भवनों की रिपोर्ट मांग चुका है लेकिन अब तक की सुस्त कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।"सर पोहा खा रहे थे डांटकर क्लास में भेज दिया..."
घटनास्थल से सामने आई जानकारी दिल दहला देने वाली है। स्कूल की एक आठवीं कक्षा की छात्रा ने बताया कि हादसे से कुछ देर पहले ही क्लास की छत से कंकड़-पत्थर गिरने लगे थे। बच्चे घबराकर क्लास से बाहर आए और इकलौते मौजूद शिक्षक को इसकी जानकारी दी, लेकिन उस वक्त शिक्षक स्कूल परिसर में बाहर नाश्ता कर रहे थे। छात्रा के मुताबिक, "हमने सर को बताया तो उन्होंने डांटकर हमें वापस क्लास में भेज दिया। इसके दो-तीन मिनट बाद ही पूरी छत ढह गई।"हादसे का जवाबदेह कौन?
हादसे ने प्रदेश में सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या जिलों ने समय रहते रिपोर्ट दी थी? क्या शिक्षा विभाग ने कोई ठोस कदम उठाया? और आखिर इतने बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के लिए कौन जिम्मेदार है? अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री की बैठक पर टिकी हैं जिसमें न केवल जिम्मेदारी तय होगी बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के लिए पुख्ता रणनीति बनाई जा सकती है।अगली खबर पढ़ें
सुस्त कार्रवाई पर खड़े हुए सवाल
सूत्रों के मुताबिक बैठक में सीएम भजनलाल शर्मा जमीनी स्तर पर लापरवाही बरतने वाले अफसरों की जवाबदेही तय कर सकते हैं। यह भी संभव है कि कई अधिकारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई हो। सरकार पूरे राज्य में सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों की बिल्डिंग्स का व्यापक ऑडिट कराने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। शिक्षा विभाग पहले ही जिलों से जर्जर भवनों की रिपोर्ट मांग चुका है लेकिन अब तक की सुस्त कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।"सर पोहा खा रहे थे डांटकर क्लास में भेज दिया..."
घटनास्थल से सामने आई जानकारी दिल दहला देने वाली है। स्कूल की एक आठवीं कक्षा की छात्रा ने बताया कि हादसे से कुछ देर पहले ही क्लास की छत से कंकड़-पत्थर गिरने लगे थे। बच्चे घबराकर क्लास से बाहर आए और इकलौते मौजूद शिक्षक को इसकी जानकारी दी, लेकिन उस वक्त शिक्षक स्कूल परिसर में बाहर नाश्ता कर रहे थे। छात्रा के मुताबिक, "हमने सर को बताया तो उन्होंने डांटकर हमें वापस क्लास में भेज दिया। इसके दो-तीन मिनट बाद ही पूरी छत ढह गई।"हादसे का जवाबदेह कौन?
हादसे ने प्रदेश में सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या जिलों ने समय रहते रिपोर्ट दी थी? क्या शिक्षा विभाग ने कोई ठोस कदम उठाया? और आखिर इतने बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के लिए कौन जिम्मेदार है? अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री की बैठक पर टिकी हैं जिसमें न केवल जिम्मेदारी तय होगी बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के लिए पुख्ता रणनीति बनाई जा सकती है।संबंधित खबरें
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