Surajkund Fair 2025 : हर वर्ष यह मेला दिल्ली हरियाणा के बार्डर पर स्थित सूरजकुंड में लगता है। इस अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले के थीम राज्य की घोषणा के बाद, सोमवार से इसकी तैयारियों में तेजी आ जाएगी। इस बार ओडिशा की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाने का अवसर मिलेगा। इस मेले में पर्यटकों को ओडिशा की थीम होने के कारण लोगों को वहां की धार्मिक संस्कृति से भी परिचित होने का अवसर मिलेगा। मेले में ही विशेष रूप से, पुरी के जगन्नाथ मंदिर की प्रतिकृति का दर्शन करने का मौका मिलेगा, ये ओडिशा की धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यहां मेले का आयोजन 7 से 23 फरवरी तक किया जाएगा।
मुख्य चौपाल पर ओडिशा के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
इस बार मेले में मुख्य चौपाल पर ओडिशा के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कला और संगीत का प्रदर्शन होगा। इसी प्रकार इस बार पुरी के जगन्नाथ मंदिर, सूर्य मंदिर, लिंगराज मंदिर और ब्रह्मेश्वर मंदिर की प्रतिकृति देखने का भी लोगों को मौका मिलेगा। जिससे लोग ओडिशा के संस्कृति को अच्छे से समझ सकेंगे और नजदीक से देख सकेंगे। इस बार मेले में ओडिशा के 200 से अधिक कलाकार और 80 हस्तशिल्पी शामिल होंगे। मुख्य चौपाल पर ओडिशा के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कला और संगीत का प्रदर्शन होगा।
थीम राज्य का फैशन शो भी आयोजित होगा
ओडिशा के पारंपरिक परिधानों को प्रदर्शित करते हुए इस बार थीम राज्य का फैशन शो भी आयोजित किया जाएगा। पर्यटन निगम जल्द ही फैशन डिजाइनर के नाम की घोषणा करेगा। इस मेले में किसी राज्य का थीम चुना जाना उस राज्य के लिए शौभाग्य की बात होती है। शाम को मुख्य चौपाल पर ओडिशा के कलाकार अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे। पिछले वर्ष, सूरजकुंड मेले का थीम राज्य गुजरात था, जिसमें सोमनाथ मंदिर की प्रतिकृति रखी गई थी। यह पर्यटकों को गुजरात की धार्मिक संस्कृति से अवगत कराने का एक बेहतरीन अवसर था। इस बार भी ओडिशा के धार्मिक स्थलों की प्रतिकृतियां देखने को मिलेंगी।
पारंपरिक धोती-कुर्ता और गमछा की संस्कृति
किसी भी राज्य का पहनावा उसकी पहचान होता है। मेले में पर्यटक ओडिशा के पारंपरिक धोती-कुर्ता और गमछा की संस्कृति से भी परिचित हो सकेंगे। मेले में इसके अलावा, महिला पर्यटकों के लिए संबलपुरी साड़ियां भी उपलब्ध होंगी। सूरजकुंड मेला परिसर में दिल्ली गेट की तरफ भुवनेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार की प्रतिकृति भी बनाई जाएगी, जो विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। सभी प्रतिकृतियों का निर्माण मेले के शुरू होने से 15 दिन पहले शुरू होगा।
ये सहयोगी देश होंगे मेले में शामिल
इस बार बिम्सटेक देशों को सहयोगी देश बनाया गया है, जिसमें बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं। इसके अलावा, पूर्वोत्तर राज्यों को सांस्कृतिक पार्टनर बनाया गया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा शामिल हैं।
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