Sunday, 26 January 2025

Draupadi Murmu- द्रौपदी मुर्मू को घरवालों से मिला था कुछ और नाम, फिर स्कूल वालों ने नाम बदल कर रखा द्रौपदी मुर्मू

आज भारत की नई महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने शपथ ग्रहण करके राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला है।…

Draupadi Murmu- द्रौपदी मुर्मू को घरवालों से मिला था कुछ और नाम, फिर स्कूल वालों ने नाम बदल कर रखा द्रौपदी मुर्मू

आज भारत की नई महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने शपथ ग्रहण करके राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला है। सावन के पहले सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग हुई और अब आज दूसरे सोमवार को इन्होंने राष्ट्रपति पद का शपथ ग्रहण किया है।

देश की नई राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का नाम राष्ट्रपति चुनाव के लिए जब से नामांकित हुआ है उसके बाद से ही यह सुर्खियों में छाई हुई है। आदिवासी समाज से संबंध रखने वाली द्रौपदी जी कठिन परिश्रम, समर्पण एवं देश प्रेम की भावना के बलबूते पर आज देश के सबसे बड़े पद पर विराजमान है। इनके जीवन से जुड़ी कई बड़ी कहानियां है जो लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती हैं।

कैसे मिला इन्हें द्रोपदी नाम –

‘द्रौपदी’, हिंदू धर्म के एक महान ग्रंथ महाभारत की सबसे मजबूत महिला किरदार थी। लेकिन बावजूद इसके भारत में आपको किसी भी लड़की का नाम खोजने से भी द्रोपदी नहीं मिलेगा। तो आखिर क्या वजह थी हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को यह नाम देने के पीछे की। इसके पीछे भी एक खास वजह रही होगी।

जी हां हमारे देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को यह नाम उनके माता-पिता या परिवार वालों ने नहीं दिया है। जब द्रौपदी मुर्मू का जन्म हुआ तो उनके माता-पिता ने उन्हें उनका नाम पुत्ती रखा था। जब ये 5 साल की हुई और इनका स्कूल में दाखिला करवाया गया, तब स्कूल में पढ़ाने वाले मास्टर मदन मोहन महतो जी ने इनका नाम पुत्ती से बदलकर द्रोपदी कर दिया।

बेबाक और धाकड़ अंदाज वाली थी द्रौपदी मुर्मू –

द्रोपदी मुर्मू बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में अव्वल थी। पढ़ाई लिखाई के साथ ही यह बेहद धाकड़ और बेबाक अंदाज वाली भी थी। यहां तक कि स्कूल में लड़के भी इनसे दूरी बनाकर रखते थे। इसके साथ ही कक्षा में अगर लड़कियों के बीच लड़ाई होती थी तो द्रोपदी को ही न्यायाधीश के रूप में चुना जाता था और सभी उनके न्याय से संतुष्ट भी होते थे।

द्रोपदी को पढ़ाने वाले अध्यापकों का कहना है कि इनके अंदर शुरू से ही कुछ ऐसे गुण दिखाई देते थे, जिन्हें देखकर लगता था कि वह आगे चलकर देश भर में अपना नाम रोशन करेंगी।

शिक्षण से लेकर राजनीति तक का सफर –

द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल का कार्यभार संभाला था। राजनीति में आने से पहले वह एक शिक्षिका थी। लंबे समय तक शिक्षक के रूप में कार्य करने के बाद ये पार्षद और फिर विधायक बनी। उड़ीसा राज्य सरकार के परिवहन और वाणिज्य विभागों को संभाल चुकी द्रौपदी मुर्मू ने साल 2007 में विधायक को दिए जाने वाले नीलकंठ पुरस्कार को भी जीता। इसके बाद साल 2015 से 2021 तक यह झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्यरत रही। अब यह देश के सबसे बड़े पद राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने वाली पहली आदिवासी महिला बन चुकी है।

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