बार-बार अपमान का घूंट पीने वाले शिवपाल यादव अब डीपी यादव के सहारे अखिलेश को किनारे लगाने की तैयारी में जुट गए हैं। इसके लिए नया मोर्चा बनाया गया है। उसे यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का नाम दिया गया है। इसकी अगुवाई प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक शिवपाल सिंह यादव और पूर्व सांसद डीपी यादव करेंगे। यादव बिरादरी को लामबंद करना इनकी रणनीति का अहम हिस्सा होगा। इन नेताओं की नजर सभी राजनीतिक दलों के असंतुष्ट या अलग-थलग पड़े नेताओं पर है। माना जा रहा है कि यदुकुल पुनर्जागरण मिशन की आड़ में अपनी सियासी ताकत बढ़ाने के मकसद से ही इन्होंने प्रदेश के ढाई सौ से अधिक यादव बिरादरी के नेताओं को आमंत्रित किया है। समझा जा रहा है कि इस मोर्चे का तानाबाना बीते हफ्ते नोएडा में डीपी यादव के पिता स्वतंत्रता सेनानी स्व. तेजपाल की प्रतिमा के अनावरण समारोह के दौरान बुना गया था।
राजधानी लखनऊ स्थित कार्यालय में गुरुवार को आयोजित बैठक में प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि हम सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे। इसके लिए ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ के तहत एकजुट हुए हैं। आज समाज में अगड़े पिछड़े सभी परेशान हैं। उन्होंने साफ किया कि संगठन किसी की मुखालफत के लिए नहीं बना रहे हैं। यह लोगों के अधिकारों के लिए लड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग करेंगे। उन्होंने प्रसपा की बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक कार्यकारणी गठित करने की बात कही। कार्यक्रम संयोजक शिवपाल यादव का कहना है कि मिशन का उद्देश्य यादव बिरादरी का उत्पीड़न रोकना है। शिवपाल इसे सियासत के बजाय सामाजिक संगठन का नाम दे रहे हैं, लेकिन सियासत के जानकारों का मानना है कि इस आयोजन के विशुद्ध सियासी मायने हैं।
बैठक में मौजूद यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के अध्यक्ष डीपी यादव ने कहा कि हम लोग यदुकुल समाज के लिए नए संगठन की घोषणा कर रहे हैं, जिसका नाम ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ होगा। यह संगठन सारे ओबीसी समाज के लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करेगा। यह सिर्फ यादव समाज के लिए नहीं बनाया गया है। यह राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार राज्यों के लिए बना है। यह संगठन यादव समाज के अन्य संगठनों के प्रतिद्वंद्विता में नहीं है। इसके 10 उद्देश्य हैं, जिसमें से एक सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनवाना होगा। बैठक में बालेश्वर यादव, सुखराम यादव, मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव के अलावा तमाम पूर्व सांसद व पूर्व विधायक मौजूद थे।
एक अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में यादव वोट बैंक करीब 12 फीसदी है। इसे मुलायम सिंह यादव ने सपा के बैनर तले गोलबंद किया था। वक्त बदला, नई पीढ़ी आई और सियासत भी बदल गई। शिवपाल ने प्रसपा (लोहिया) बनाई, तो पूर्व सांसद डीपी यादव ने राष्ट्रीय परिवर्तन दल बनाया। बीते विधानसभा चुनाव में शिवपाल सपा के विधायक बने, लेकिन अब राहें जुदा हैं। मुलायम सिंह काफी दिनों से बीमार हैं। उनकी पीढ़ी के तमाम यादव नेता अलग-थलग पड़े हैं। ज्यादातर सपा में और कुछ भाजपा की ओर रुख कर रहे हैं। कुछ तमाशबीन बने हैं। ऐसे में इन नेताओं को शिवपाल यादव ने गोलबंद करने की रणनीति बनाई है। वह यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के तहत इन्हें एक मंच पर लाने की कोशिश में हैं।
यह तो तय है कि शिवपाल यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। संगठन चलाने में उन्हें महारत हासिल है। हालांकि उम्मीद के मुताबिक वह प्रसपा को आगे नहीं ले जा सके। इसके पीछे ‘भातृ प्रेम’ का आड़े आना माना जाता है। लेकिन, विधानसभा चुनाव के बाद अपमान का घूंट पीने वाले शिवपाल यादव ने अब ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है’ की कहावत को चरितार्थ करने की ओर बढ़ चले हैं। आपको याद होगा कि यही अखिलेश हैं, जिनके विरोध के कारण डीपी यादव को एक दिन के बाद ही सपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। लेकिन, सियासत में जो दिखता है, वह आम तौर पर नहीं होता है। अब देखना है कि इस बार शिवपाल यादव कितने कामयाब होते हैं।