Bihar Chunav: पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर मुकाबला, जानिए पूरी लिस्ट

Bihar Chunav: पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर मुकाबला, जानिए पूरी लिस्ट
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calendar25 Oct 2025 10:43 AM
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बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य की 243 सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा पहले चरण में 6 नवंबर को 18 जिलों की 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। इस बार मुकाबला मुख्य रूप से एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच है, वहीं प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी सहित कई क्षेत्रीय दल भी चुनावी मैदान में हैं। प्रचार अभियान जोरों पर है और सभी बड़े नेता अपने-अपने क्षेत्रों में चुनावी रैलियां कर रहे हैं। Bihar Election 

पहले चरण में 1314 उम्मीदवार मैदान में

पहले चरण की 121 सीटों के लिए कुल 1314 उम्मीदवार मैदान में हैं। चुनाव आयोग के अनुसार 1690 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था जिनमें से 315 नामांकन खारिज कर दिए गए और 61 उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया। नामांकन प्रक्रिया 10 से 17 अक्टूबर तक चली थी जबकि 18 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच की गई।

हाई-प्रोफाइल सीटें और दिग्गज उम्मीदवार

राघोपुर-तेजस्वी यादव का गढ़

राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक बार फिर राघोपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के सतीश कुमार यादव और जनसुराज पार्टी के चंचल सिंह से है। यह सीट लालू प्रसाद यादव परिवार की परंपरागत सीट रही है। लालू प्रसाद और राबड़ी देवी दोनों यहां से विधायक रह चुके हैं। तेजस्वी 2015 से लगातार यहां से जीत दर्ज कर रहे हैं।

महुआ-तेज प्रताप यादव का नया दांव

लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने पार्टी से निष्कासन के बाद अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) से महुआ से चुनाव लड़ने का एलान किया है। यहां उनका मुकाबला राजद के मुकेश कुमार रौशन और लोजपा (रामविलास) के संजय सिंह से होगा। तीन मजबूत उम्मीदवारों के बीच त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है।

तारापुर-सम्राट चौधरी का अग्निपरीक्षा

मुंगेर जिले की तारापुर सीट इस बार बेहद खास है। उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट पहले जदयू के खाते में थी लेकिन इस बार एनडीए के सीट बंटवारे में भाजपा को दी गई है। राजद के अरुण कुमार और जनसुराज पार्टी के संतोष कुमार सिंह उनके मुख्य प्रतिद्वंदी हैं।

लखीसराय-विजय कुमार सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर

भाजपा के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा अपनी पारंपरिक सीट लखीसराय से फिर मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के अमरेश कुमार और जनसुराज पार्टी के सूरज कुमार से है। सिन्हा लगातार तीन बार (2010, 2015, 2020) इस सीट से विजयी रहे हैं ऐसे में यह भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है।

अलीनगर-लोक गायिका मैथिली ठाकुर की एंट्री

लोकप्रिय गायिका और भाजपा नेता मैथिली ठाकुर ने राजनीति में उतरकर सुर्खियां बटोरी हैं। वह अलीनगर सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला राजद के विनोद मिश्रा और जनसुराज पार्टी के विप्लव चौधरी से है। यह सीट पिछली बार वीएसआईपी पार्टी ने जीतकर बड़ा उलटफेर किया था।

हरनौत-नीतीश कुमार की विरासत वाली सीट

हरनौत सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक जन्मभूमि मानी जाती है। जदयू ने इस बार यहां से हरी नारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के अरुण कुमार और जनसुराज पार्टी के कमलेश पासवान यहां से ताल ठोक रहे हैं। यह सीट नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत का प्रतीक मानी जाती है।

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परसा-तेज प्रताप की चचेरी साली करिश्मा राय मैदान में

सारण जिले की परसा सीट पर राजद ने तेज प्रताप यादव की चचेरी साली डॉ. करिश्मा राय को टिकट दिया है। उनका मुकाबला जद(यू) के छोटेलाल राय और जनसुराज पार्टी के मोसाहेब महतो से है। इस पारिवारिक कनेक्शन की वजह से यह सीट भी हाईप्रोफाइल बन गई है।

हसनपुर-तेज प्रताप की पुरानी सीट

समस्तीपुर जिले की हसनपुर सीट पर इस बार राजद की माला पुष्पम और जद(यू) के राजकुमार राय आमने-सामने हैं। यह सीट पहले तेज प्रताप यादव के कब्जे में थी, इसलिए इस पर भी सभी की निगाहें टिकी हैं।

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पहले चरण में मतदान वाली सभी 121 सीटें

पहले चरण में 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा जिनमें आलमनगर, सहरसा, अलीनगर, राघोपुर, महुआ, लखीसराय, तारापुर, हरनौत, परसा, हसनपुर, बेगूसराय, नालंदा, मुजफ्फरपुर, सिवान, गोपालगंज, छपरा, आरा, बक्सर समेत अन्य सीटें शामिल हैं। बता दें कि, बिहार चुनाव का पहला चरण कई हाई-प्रोफाइल मुकाबलों और राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से बेहद दिलचस्प होने वाला है। सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है और अब 6 नवंबर को जनता तय करेगी कि राज्य की राजनीति की अगली दिशा कौन तय करेगा। Bihar Election 
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छठ के रंग में डूबा उत्तर भारत, बाजारों की भीड़ ने बढ़ाया उत्साह

छठ के रंग में डूबा उत्तर भारत, बाजारों की भीड़ ने बढ़ाया उत्साह
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calendar01 Dec 2025 11:46 AM
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लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) इस बार 25 अक्टूबर से शुरू होगा और पटना से लेकर दिल्ली तक पूरे उत्तर भारत में भक्ति और उल्लास का माहौल दिखाई दे रहा है। यमुना घाट से लेकर बिहार के हर घाट तक भक्तों की तैयारियों का जोश देखने लायक है। बाजारों में रौनक देखते ही बनती है। छठ पूजा (Chhath Puja) की तैयारी में फल, गन्ना, गुड़, चावल और पूजा सामग्री की खरीदारी तेज हो गई है। बांस के सूप, दौरे और पारंपरिक टोकरी की दुकानों पर भीड़ लगी हुई है। महिलाएं पारंपरिक साड़ी में सजी-धजी व्रत की तैयारियों में जुटी हैं तो पुरुष घाटों की सफाई और सजावट में व्यस्त हैं। हर गली-गली में “छठ मइया आइलें” के गीत गूज रहे हैं वहीं घर-घर प्रसाद बनाने की खुशबू फैली हुई है। Chhath Puja

छठ पूजा का इतिहास और महत्व

छठ पूजा का इतिहास बेहद प्राचीन है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मइया की आराधना के लिए मनाया जाता है। मान्यता है कि महाभारत काल में कुंती और द्रौपदी ने इसे शुरू किया था। वैदिक काल में इसे सूर्यषष्ठी कहा जाता था। लोग सूर्य की उपासना कर अपने और परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते थे। यह पर्व प्रकृति, जल और ऊर्जा का सम्मान भी है जो आधुनिक जीवन में संतुलन का संदेश देता है।

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घाटों और घरों की सजावट

इस बार छठ घाटों की सजावट बेहद आकर्षक है। रंग-बिरंगी लाइटें, फूलों की माला और मिट्टी के दीयों से घाटों को सजाया गया है। महिलाएं ‘नहाए-खाय’ से व्रत की शुरुआत कर रही हैं वहीं घरों में खरना की तैयारियों से त्योहार का माहौल बन गया है। गुड़, दूध और चावल से बनने वाला प्रसाद पूरे घरों में भक्ति और पवित्रता का अनुभव कराता है।

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बाजारों में त्योहार की रौनक

छठ पूजा के आते ही बाजारों में भीड़ बढ़ गई है। बांस के सूप, दौरे, पूजा की टोकरी, फल और नई साड़ियां खूब बिक रही हैं। मिठाइयों की दुकानों पर भीड़ लगी हुई है। सोशल मीडिया पर #ChhathPuja2025 ट्रेंड कर रहा है और लोग अपने घाट की तैयारियों, पारंपरिक लुक और पूजा गीतों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं। छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सामाजिक एकता और स्वच्छता का भी प्रतीक है। युवा और बुजुर्ग मिलकर घाटों की सफाई और सजावट में योगदान दे रहे हैं। प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। Chhath Puja
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लौकी-भात से क्यों होती है छठ पूजा की शुरुआत? जानिए धार्मिक महत्व

लौकी-भात से क्यों होती है छठ पूजा की शुरुआत? जानिए धार्मिक महत्व
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calendar24 Oct 2025 03:45 PM
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दीपावली के बाद छठ पूजा का पर्व अपने पूरे उल्लास और भक्ति के साथ शुरू होता है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का प्रतीक है। छठ पूजा का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ कहलाता है जिसमें श्रद्धालु पवित्र स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह पर्व केवल पूजा का दिन नहीं, बल्कि परिवार और समुदाय की भक्ति, सादगी और परंपरा का उत्सव है। इस दिन खासतौर पर लौकी की सब्जी और चावल यानी लौकी-भात बनाया जाता है। छठ पूजा की सुबह घर-आंगन में दीयों की रौशनी, पारंपरिक गीतों की गूंज और घी की खुशबू पूरे माहौल को पवित्र बना देती है। Lauki Bhaat 

नहाय-खाय में लौकी-भात खाने की धार्मिक मान्यता

छठ पूजा में शुद्धता और सादगी को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। नहाय-खाय के दिन लौकी-भात खाने के पीछे धार्मिक और आयुर्वेदिक दोनों ही कारण हैं। शुद्धता का प्रतीक: लौकी और चावल सात्विक और हल्के भोजन माने जाते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करता है और व्रत की शुरुआत को पवित्र बनाता है। पाचन के लिए लाभकारी: पूजा से पहले हल्का भोजन लेना जरूरी होता है। लौकी में पानी और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पेट को साफ रखता है। ऊर्जा का स्रोत: दिनभर के उपवास और पूजा में ऊर्जा बनाए रखने के लिए चावल शरीर को आवश्यक ग्लूकोज प्रदान करता है। आस्था और परंपरा: यह भोजन सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं बल्कि छठी मैया के प्रति भक्ति और सादगी का प्रतीक है।

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नहाय-खाय के लिए आसान लौकी-भात रेसिपी

सामग्री लौकी (कद्दू) – 1 छोटी चावल – 1 कप घी – 1 चम्मच जीरा – ½ चम्मच सेंधा नमक – स्वादानुसार पानी – आवश्यकतानुसार

विधि

लौकी को छीलकर छोटे टुकड़ों में काट लें। एक भगौने में घी गर्म करें और उसमें जीरा डालें। लौकी के टुकड़े डालकर 2 मिनट तक हल्का भूनें। अब धोए हुए चावल डालें और हल्का मिलाएं। 2 कप पानी और सेंधा नमक डालकर धीमी आंच पर पकने दें। जब चावल और लौकी नरम हो जाएं, गैस बंद कर दें।

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छठ पूजा की सुबह का दृश्य बेहद मनोहारी होता है। सूरज की पहली किरण के साथ घर-आंगन दीयों की रौशनी से जगमगा उठता है। मिट्टी के दीयों की लौ अंधकार पर प्रकाश की विजय और मन की शुद्धता का प्रतीक बन जाती है। नहाय-खाय से लेकर संध्या अर्घ्य तक महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं जिसमें परिवार के कल्याण और भक्ति की भावना झलकती है। साथ ही रसोई से आती घी, ठेकुआ और रसियाव की खुशबू पूरे वातावरण को दिव्य बना देती है। हर व्यंजन बिना लहसुन-प्याज के तैयार किया जाता है ताकि सात्विकता और पवित्रता बनी रहे। इस पावन माहौल में हर घर में सूर्य देव और छठी मैया के प्रति अटूट विश्वास और भक्ति की लहर दौड़ जाती है। Lauki Bhaat