ईमानदारी सब पर है भारी, इससे बड़ा कुछ भी नहीं

Honesty
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 10:45 AM
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ईमानदारी (Honesty) मानव जीवन का सबसे बड़ा गुण है। दुनिया के प्रत्येक महान व्यक्ति ने अनुभव किया है कि ईमानदारी से बड़ा कोई दूसरा गुण होता ही नहीं है। प्रसिद्ध दार्शनिक स्वेट मार्डेन का कहना है कि ईमानदारी से बड़ी खोज मानवता के इतिहास में कोई दूसरी खोज नहीं हुई है। प्रसिद्ध संत आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुनिया में जो कुछ भी खोजा गया है उसमें ईमानारी से बड़ी कोई दूसरी खोज नहीं है। Honesty 

ईमानदारी धोखे पर पड़ती है भारी

एक कवि ने बहुत ही आसान शब्दों में ईमानदारी का वर्णन किया है। कवि लिखता है कि- हम जा रहे थे ओके, रास्ते में मिल गए धोखे। हमने धोखे को मारा मुक्का, धोखा बिल्कुल भी नहीं झुका। मजबूरी में हम चले धोखे के संग, चल रहे थे उसके अंग-संग। तभी सामने से आई ईमानदारी, ईमानदारी ने धोखे को चपत मारी, धोखे की निकल गई हेकड़ी सारी। हम फिर से हो गए ओके, अब नहीं मिलते हैं हमें धोखे। इन आसान शब्दों का सार यही है कि ईमानदारी हर प्रकार के घोड़े पर भारी पड़ती है। ईमानदारी से जीवन जीने वाला व्यक्ति हमेशा जीत जाता है तथा धोखेबाज एक ना एक दिन हार ही जाता है।

जीवन जीने का सर्वोत्तम तरीका है ईमानदारी

बार-बार बताया जा चुका है कि ईमानदारी जीवन जीने का सर्वोत्तम तरीका है। ईमानदारी आपको मजबूत, जिम्मेदार, साहसी और दयालु बनाती है। ईमानदारी किसी भी नियम और कानून को नहीं तोड़ती। अनुशासित, अच्छा व्यवहार, समय की पाबंदी, सच बोलना और दूसरों की मदद करने जैसे गुणों में वस्तुत: ईमानदारी के लक्षण ही प्रतिङ्क्षबबित होते है। बुरी आदतों, अनैतिक गतिविधियों और खराब व्यवहार करने से भी ईमानदारी ही हमें बचाती है। ईमानदार व्यक्ति अपने जीवन में तमाम खुशियां प्राप्त कर सकता है, क्योंकि उसे किसी असुरक्षा का कोई भय नहीं सताएगा। ऐसा व्यक्ति सर्वोच्च शक्ति से आशीर्वाद और कई चीजों में विश्वास भी आसानी से प्राप्त कर सकता है। ईमानदारी के मार्ग पर चलना थोड़ा कठिन अवश्य है, लेकिन यह मार्ग बहुत आगे जाता है और हमें हमारे लक्ष्य पहुंचाता है। बेईमान होना आसान है, लेकिन उससे कम समय के लिए ही लाभ होता है। साथ ही उससे जीवन कष्टदायक भी बन जाता है। बेईमानी का रास्ता अधिक सरल लगता है, लेकिन आगे चलकर व्यक्ति को बदनामी और नफरत के सिवा कुछ नही मिलता। बेईमान व्यक्ति की मान, प्रतिष्ठा और मन की शांति समाप्त हो जाती है।
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हाईकोर्ट में टूटा सत्ता का घमंड, रेप केस में दोषी निकले देवेगौड़ा के वारिस

Prajwal Revanna
Prajwal Revanna
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 04:22 PM
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कर्नाटक की सियासत में गूंज पैदा करने वाले बहुचर्चित यौन उत्पीड़न और बलात्कार मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जनता दल (एस) के पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को अदालत ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों में दोषी करार दिया है। फैसले के दौरान कोर्ट में मौजूद रेवन्ना अपनी भावनाएं रोक नहीं पाए और रोने लगे। सजा की अवधि का ऐलान कल किया जाएगा।  प्रज्वल रेवन्ना पर दर्जनों महिलाओं के यौन शोषण, बलात्कार और ब्लैकमेलिंग के आरोप लगे थे। कोर्ट में पेश की गई वीडियो फुटेज और पीड़िताओं के बयान इस केस की संवेदनशीलता और गंभीरता को रेखांकित करते हैं।  Prajwal Revanna

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सेक्स टेप और पेन ड्राइव से खुली परतें

मामला तब सामने आया जब रेवन्ना के घर में काम करने वाली एक महिला ने उनके खिलाफ यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराई। इसके कुछ ही समय बाद बेंगलुरु की कई सार्वजनिक जगहों से संदिग्ध पेन ड्राइव बरामद की गईं, जिनमें कथित तौर पर 3,000 से 5,000 तक वीडियो क्लिप्स थे। इन वीडियो में रेवन्ना को कई महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थितियों में देखा गया, और कई मामलों में पीड़िताओं की पहचान भी स्पष्ट थी। वीडियो सामने आने के बाद राज्यभर में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में उथल-पुथल मच गई। महिलाओं के अधिकारों से जुड़े संगठनों ने सख्त कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया।

SIT की जांच के बाद प्रज्वल रेवन्ना पर बलात्कार, छेड़छाड़, ब्लैकमेलिंग और धमकी देने जैसी धाराओं के तहत तीन आपराधिक मामले दर्ज किए गए। आरोपों के मुताबिक, रेवन्ना कथित तौर पर पीड़िताओं को सरकारी नौकरी का लालच देकर फंसाते थे और बाद में वीडियो के जरिए उन्हें धमकाते थे। इस प्रकरण के सार्वजनिक होने के बाद जनता दल (एस) ने भी पार्टी की छवि को देखते हुए प्रज्वल रेवन्ना को निलंबित कर दिया था।  Prajwal Revanna

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26 साल बाद फिर वही कहानी: इस बार चाय नहीं, मॉर्निंग वॉक पर पालाबदल!

O. Panneerselvam
O. Panneerselvam
locationभारत
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calendar27 Nov 2025 02:46 AM
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तमिलनाडु की राजनीति में एक बार फिर इतिहास खुद को दोहराता नजर आ रहा है। कभी जयललिता ने सोनिया गांधी के साथ चाय पार्टी कर बीजेपी की सरकार गिराई थी, अब उनके उत्तराधिकारी माने जाने वाले ओ. पन्नीरसेल्वम (OPS) ने मॉर्निंग वॉक के बहाने बीजेपी से नाता तोड़कर एक बड़ा सियासी संकेत दे दिया है। O Panneerselvam

तमिलनाडु में बीजेपी को तगड़ा झटका

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को करारा झटका देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने गुरुवार को एनडीए (NDA) गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी। दिलचस्प बात यह रही कि इस घोषणा से कुछ घंटे पहले ही ओपीएस की मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन से मॉर्निंग वॉक के दौरान मुलाकात हुई थी। इसके बाद ओपीएस ने अपने करीबी नेताओं के साथ बैठक कर यह अहम फैसला लिया।

1999 की चाय पार्टी से 2025 की मॉर्निंग वॉक तक

यह सियासी घटनाक्रम 1999 की उस चाय पार्टी की याद दिलाता है जब जयललिता ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को गिराने की पटकथा लिखी गई थी। आज ठीक 26 साल बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी OPS ने मॉर्निंग वॉक पर स्टालिन से मिलकर एक नई कहानी की शुरुआत कर दी।

पीएम मोदी से मुलाकात न होना बना बड़ी वजह

ओपीएस की नाराजगी काफी समय से भीतर ही भीतर सुलग रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की कोशिश के बावजूद उन्हें समय नहीं मिला, जिससे वे बेहद आहत थे। उन्होंने मोदी को पत्र भी लिखा लेकिन मुलाकात न हो पाने से उनका भरोसा कमजोर हुआ। इसके बाद ही उन्होंने एनडीए से अलग होने की ठान ली।

स्टालिन के साथ ठहलकशी और रणनीति?

गुरुवार सुबह ओपीएस और स्टालिन की साथ मॉर्निंग वॉक पर हुई मुलाकात अब चर्चा का विषय बन चुकी है। दोनों नेताओं के बीच हुई अनौपचारिक बातचीत के बाद ओपीएस ने अचानक बीजेपी से नाता तोड़ने की घोषणा कर दी। क्या यह केवल संयोग था या फिर एक रणनीतिक मुलाकात? इस पर तमिलनाडु की सियासत में बहस तेज हो चुकी है।

अब ओपीएस का अगला कदम क्या?

ओपीएस के करीबी सलाहकार पंरुती एस रामचंद्रन ने ऐलान किया कि अब उनकी समिति एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि पन्नीरसेल्वम जल्द ही तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे और भविष्य में गठबंधन को लेकर फैसला लेंगे। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में ओपीएस के पास दो बड़े विकल्प नजर आ रहे हैं। पहला अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके और दूसरा मुख्यमंत्री स्टालिन की डीएमके। सूत्रों की मानें तो ओपीएस, शशिकला के भतीजे और AIADMK से बागी नेता टीटीवी दिनाकरण को भी अपने साथ ला सकते हैं।

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बीजेपी की मुश्किलें बढ़ीं

तमिलनाडु में बीजेपी के लिए यह एक और बड़ा झटका है। AIADMK से पहले ही रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं और अब ओपीएस का समर्थन भी खोना, चुनावी रणनीति को कमजोर बना सकता है। ओपीएस तमिलनाडु के प्रभावशाली थेवर समुदाय से आते हैं, जिनकी आबादी राज्य में 10-12% है। यह वोटबैंक बीजेपी और AIADMK के लिए अहम था। अगर ओपीएस अकेले या डीएमके के साथ चुनाव लड़ते हैं, तो विपक्ष को सीधी बढ़त मिल सकती है। वहीं अगर वो तीसरा मोर्चा बनाते हैं, तो वोटों का बंटवारा तय है।