Sunday, 20 April 2025

भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और बांग्लादेश : जानें पहले क्या हुआ अब भविष्य की रणनीति

India Bangladesh Relatiobship : 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध सिर्फ सैन्य युद्ध नहीं था, यह एक खुफिया युद्ध भी था। रॉ…

भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और बांग्लादेश : जानें पहले क्या हुआ अब भविष्य की रणनीति

India Bangladesh Relatiobship : 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध सिर्फ सैन्य युद्ध नहीं था, यह एक खुफिया युद्ध भी था। रॉ ने बांग्लादेश की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाई थी। रॉ ने मुक्ति बाहिनी को ट्रेनिंग देना, उन्हें हथियार मुहैया कराया था। इसके साथ ही पाकिस्तान की सेना की गतिविधियों पर नजर रखना भी उसका काम था। रॉ ने जनमत को बांग्लादेश की आजादी की तरफ मोड़ना भी रॉ का काम था। भारत के साथ रिश्ता बेहतर करने में भी उसकी महती भूमिका थी।

1975 के बाद संकट : शेख मुजीब की हत्या और सीआईए की भूमिका

15 अगस्त 1975 को शेख मुजीब की हत्या बांग्लादेश के लिए एक बड़े राजनीतिक भूकंप की तरह थी। किताबों और रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यह सीआईए द्वारा समर्थित साजिश हो सकती थी। इसके बाद बांग्लादेश की सत्ता में भारत-विरोधी तत्वों का वर्चस्व बढ़ा, जिसने रॉ को एक नई रणनीति अपनाने पर मजबूर किया।

आपरेशन फेयरवेल : रॉ की मास्टर क्लास

इरशाद की सरकार भारत विरोधी थी, और आईएसआई तथा सीआईए के इशारे पर काम कर रही थी। रॉ ने आॅपरेशन फेयरवेल नाम से एक रणनीति बनाई। राजनीतिक पार्टियों को एकजुट करना (खालिदा जिया + शेख हसीना) को। फंडिंग, प्रोपेगेंडा और जमीनी आंदोलन के जरिए जनता का समर्थन जुटाना भी उसका काम था। रॉ एजेंटों ने इरशाद को 11 दिसंबर 1990 को नजरबंद कराने में अहम भूमिका निभाई।

बांग्लादेश में रॉ के चार बड़े उद्देश्य

भारत-विरोधी विदेशी शक्तियों (आईएसआई, सीआईए, चीन) को रोकना। भारत की सीमाओं पर मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों की घुसपैठ को रोकना और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी उसका काम था। भारत-बांग्लादेश के आपसी संबंधों को मजबूत बनाए रखना उसका काम था।

वर्तमान संकट : मोहम्मद यूनुस की नीतियां और रॉ की अगली चाल

शेख हसीना सरकार के हटने के बाद मोहम्मद यूनुस जैसे नेता सामने आए हैं, जो पाकिस्तान और चीन के करीब हैं। भारत के विरोध में खुलेआम बयानबाजी कर रहे हैं। आईएसआई और लश्कर जैसे संगठनों के लिए जगह बना रहे हैं। इन सब बातों को देखते हुए भारत ने बांग्लादेश को दी जाने वाली ट्रांस-शिपमेंट फैसिलिटी वापस ले ली है। इससे यूनुस सरकार को व्यापारिक, राजनीतिक और रणनीतिक दबाव का सामना करना पड़ेगा।

रॉ की मौजूदा रणनीति : घर में घुसकर जवाब

रॉ अब सिर्फ निगरानी नहीं कर रही, एक्टिव जवाबी कार्रवाई में यकीन कर रही है। यूनुस सरकार के भीतर असंतुष्ट गुटों को साधकर यूनुस पर लगाम लगाना। आईएसआई के नेटवर्क का भंडाफोड़ करना। सीमा के दोनों ओर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट करना उसके काम में शामिल है। साथ ही बांग्लादेश में भारत समर्थक नेताओं को फिर से स्थापित करना उसके काम में शामिल है।

भविष्य में क्या हो सकता है?

अगर बांग्लादेश में भारत विरोधी शासन लंबे समय तक बना रहता है, तो नार्थ ईस्ट इंडिया में उग्रवाद को बल मिल सकता है। चीन का प्रभाव बंगाल की खाड़ी तक बढ़ सकता है। लश्कर और जमात-उद-दावा जैसे संगठनों की सक्रियता बढ़ सकती है। इसलिए रॉ के लिए यह समय कूटनीति + खुफिया कार्रवाई + सॉफ्ट पावर के संतुलन का है।

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