Indo-Pak War : भारत ने 11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए, जिन्हें पोखरण-2 कहा गया। इनमें से एक परीक्षण को भारत सरकार ने “थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस” (हाइड्रोजन बम) बताया। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बम लगभग 43 किलोटन की तीव्रता का था, हालांकि इसकी क्षमता पर कुछ विशेषज्ञों ने सवाल उठाए थे। फिर भी, यह परीक्षण भारत के नाभिकीय त्रिकोण को सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। Indo-Pak War
हाइड्रोजन बम की संरचना और कार्यप्रणाली
हाइड्रोजन बम एक दो-स्तरीय विस्फोट पर आधारित होता है। पहले चरण में यूरेनियम या प्लूटोनियम का नाभिकीय विखंडन होता है, जिससे अत्यधिक गर्मी और दबाव उत्पन्न होता है। दूसरे चरण में यह गर्मी हाइड्रोजन आइसोटोप (ड्यूटीरियम, ट्राइटियम) को संलयन के लिए प्रेरित करती है, जिससे सूर्य जैसी ऊर्जा निकलती है। जिसका परिणाम यह होता है कि एक धमाका जो हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सबकुछ भस्म कर सकता है इमारतें, मानव जीवन, प्रकृति, सब कुछ। Indo-Pak War
ये बम सूरज जितनी चमक और ऊर्जा पैदा करता है
हाइड्रोजन बम की शक्ति का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 10 सेकंड के भीतर ये बम सूरज जितनी चमक और ऊर्जा पैदा करता है, जिससे एक लाख व्यास के क्षेत्र में आग का गोला उठता है। पाकिस्तान ने भले ही परमाणु परीक्षण किए हों (चगाई, 1998), लेकिन अब तक हाइड्रोजन बम का कोई प्रमाणिक परीक्षण नहीं किया है। इसकी मिसाइल प्रणाली (गौरी, शाहीन आदि) सीमित क्षमता के परमाणु हथियारों तक ही सीमित मानी जाती है। Indo-Pak War
यह टेक्नालाजी पाकिस्तान के पास नहीं
तकनीकी विशेषज्ञ मानते हैं कि थर्मोन्यूक्लियर बम बनाना सिर्फ यूरेनियम या प्लूटोनियम जमा करने से संभव नहीं है, बल्कि उसके लिए उन्नत भौतिकी, सुपरकंप्यूटिंग और प्रयोगशालाएं भी चाहिए होती हैं जो फिलहाल पाकिस्तान के पास नहीं है। भारत ने अपनी नीति के तहत वादा किया है कि वह किसी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन यदि भारत पर हमला हुआ तो पूर्ण जवाबी कार्रवाई की जाएगी। हाइड्रोजन बम जैसे हथियार इस नीति को और भी मजबूत बनाते हैं क्योंकि ये डिटरेंस (दुश्मन को डराने वाली शक्ति) का काम करते हैं। शत्रु देश जानता है कि भारत के पास ऐसी क्षमता है जो जवाबी हमले में पूरे देश का अस्तित्व मिटा सकती है। Indo-Pak War
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और संदेश
भारत का थर्मोन्यूक्लियर शक्ति प्रदर्शन निम्न संकेत देता है। एशिया में सामरिक संतुलन बनाए रखना, खासकर चीन और पाकिस्तान के बीच। वैश्विक शक्ति के रूप में भारत की मान्यता। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की दावेदारी को मजबूत आधार। भारत के पास मौजूद हाइड्रोजन बम सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संतुलन का स्तंभ है। यह देश की सुरक्षा नीति, विज्ञान और वैश्विक कूटनीति का पराक्रम है। पाकिस्तान जैसे देश, जिनके पास सिर्फ सीमित परमाणु क्षमता है, वे इस शक्ति का मुकाबला नहीं कर सकते। लेकिन इस शक्ति का प्रयोग सिर्फ आखिरी विकल्प होना चाहिए, क्योंकि इसका परिणाम सिर्फ जीत या हार नहीं बल्कि प्रलय होगा। Indo-Pak War
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