Pahalgam Terror Attack : पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन द्वारा फ्रंट संगठनों के जरिए अपनी गतिविधियों को छुपाना और जारी रखता है। यहां मुख्य बिंदुओं को स्पष्ट रूप से संक्षेप में प्रस्तुत किया जा रहा है। लश्कर-ए-तैयबा की संरचना और संचालन का जिम्मा हाफिज सईद के बाद उसका बेटा तल्हा सईद संगठन की गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जकी-उर-रहमान लखवी, जो मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड था, एक बार फिर पृष्ठभूमि में सक्रिय माना जाता है।
फ्रंट संगठनों की आड़
लश्कर अपनी गतिविधियों को छुपाने के लिए कई संगठनों का सहारा लेता है। जमात-उद-दावा, इसे “चैरिटेबल” संगठन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन भारत और अमेरिका इसे आतंकी संगठन मानते हैं। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, अल मदीना, ऐसर फाउंडेशन, ये प्रतिबंध के बाद उभरे और वही काम कर रहे हैं। आतंकियों को पनाह और फंड मुहैय्या कराते हैं। मिल्लि मुस्लिम लीग, लश्कर की राजनीतिक शाखा, जो पाकिस्तान में वैधता हासिल करने की कोशिश करती रही है। जमात-ए-इस्लामी का हवाला नेटवर्क पूरे उपमहाद्वीप में फैला हुआ है। भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और इन्हीं रास्तों से फंड लश्कर जैसे संगठनों तक पहुंचता है।
हालिया हमला पहलगाम
आदिल ठोकर, एक स्थानीय लेकिन पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकी, इस हमले में शामिल था। इससे पता चलता है कि स्थानीय आतंकियों को भी बड़े हमलों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। यह नेटवर्क केवल आतंकवाद के लिए फंडिंग और संचालन का जरिया ही नहीं, बल्कि विचारधारात्मक जहर भी फैला रहा है। भारत और अन्य देशों के लिए यह बेहद जरूरी है कि ऐसे फ्रंट संगठनों और हवाला चैनलों पर प्रभावी निगरानी और कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। Pahalgam Terror Attack
आखिर पाकिस्तान से क्या-क्या मंगवाता था भारत, लगा पूर्ण प्रतिबंध
ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।