Rusia Ukraine War : यूक्रेन युद्ध के आरंभ से ही राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने मुस्लिम देशों का समर्थन प्राप्त करने के लिए प्रयास किए थे। मई 2023 में, उन्होंने जेद्दा में आयोजित अरब शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जहां उन्होंने मुस्लिम देशों के नेताओं से मुलाकात की और क्रीमिया के मुस्लिम समुदाय की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने क्रीमिया के मुसलमानों को यूक्रेनी मुस्लिम संस्कृति का केंद्र बताते हुए वैश्विक इस्लामी दुनिया का अभिन्न अंग कहा।
शांति वार्ता के लिए रख दी अपनी शर्त
उस समय, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी, जिसे जेलेंस्की ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि शांति तभी संभव है जब रूसी सैनिक यूक्रेनी क्षेत्र छोड़ दें। इस तरह जब भी शांति वार्ता की बात कोई देश करता है तो यूक्रेन उसमें कुछ न कुछ अड़ंंगा लगा देता है। अब अमेरिका जब आगे बढ़ा तो उसके भी शांति वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा कर उससे भी पंगा ले लिया।
सऊदी अरब ने अमेरिका और रूस के बीच शांति वार्ता की मध्यस्थता की
हालांकि, हालिया घटनाक्रम में, सऊदी अरब ने अमेरिका और रूस के बीच शांति वार्ता की मध्यस्थता की है, जिसमें यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया है। 18 फरवरी 2025 को, सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अमेरिका और रूस के शीर्ष अधिकारियों के बीच बैठक आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा करना था। इस बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए उच्च स्तरीय टीम के गठन पर सहमति बनी।
मुस्लिम देशों से समर्थन की थी उम्मीद
यह घटनाक्रम जेलेंस्की के लिए अप्रत्याशित था, क्योंकि उन्होंने मुस्लिम देशों से समर्थन की उम्मीद की थी, लेकिन अब वही देश रूस और अमेरिका के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं, जिसमें यूक्रेन को वार्ता से बाहर रखा गया है। यूक्रेन को मुस्लिम देशों से काफी उम्मीद थी जो उसकी नैया को पार लगाने में मदद कर सकते थे। अब वो उम्मीद भी नहीं रही, और तो और उसने अमेरिका जैसे देश को जो उसकी भरपूर मदद कर रहा था को भी नाराज कर दिया है।
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