Tuesday, 7 January 2025

भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज, रचा इतिहास

World Chess Champion : खेल के लिहाज से वर्ष 2024 भारत के लिए एक नहीं दो बार एक ही खेल…

भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज, रचा इतिहास

World Chess Champion : खेल के लिहाज से वर्ष 2024 भारत के लिए एक नहीं दो बार एक ही खेल में ऐसा विश्व विजेता खिताब लेकर आया कि सारी दुनियां देखती रह गई। जाते जाते यह वर्ष चेस के क्षेत्र में भारत के लिए यादगार साबित हो गया, जब डी गुकेश के शतरंज में बादशाहत कायम करने के बाद 2024 के अंत में भारत की महिला चेस खिलाड़ी कोनेरु हम्पी ने भी यह बड़ा कारनामा कर दिया। अभी हाल में ही भारत के 18 वर्षीय चेस खिलाड़ी डी गुकेश वर्ल्ड चैम्पियन बने थे, और अब 37 वर्षीय कोनेरु हम्पी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिला चेस में विश्व रैपिड शतरंज खिताब अपने नाम कर लिया है। और उनकी सबसे खास बात यह है कि इस खिताब पर हम्पी ने दूसरी बार कब्जा जमाया है। भारत की कोनेरु हम्पी ने इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर यह खिताब अपने नाम किया है।

चैंपियन हम्पी को पीएम मोदी ने दी बधाई

पूरा देश डी गुकेश के बाद अब हम्पी की उपलब्धि पर भी गर्व महसूस कर रहा है। भारत की कोनेरु हम्पी ने दूसरी बार इस खिताब पर कब्जा किया है। पहली बार हम्पी ने विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप 2019 में जॉर्जिया में जीती थी। अब पांच साल बाद फिर से उन्होंने इतिहास दोहरा दिया है। हम्पी को ऐतिहासिक जीत पर देशभर से उन्हें बधाई और शुभकामनांए मिल रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें विश्व चैंपियन बनने की बधाई दी है। मात्र पांच साल बाद दोबारा इस खिताब पर कब्जा करके हम्पी ने ये दिखा दिया कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं।

अगर न जीतती तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता

दूसरी बार विश्व रैपिड खिताब अपने नाम करने के बाद कोनेरू हम्पी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं क्योंकि यह मेरा दूसरा विश्व रैपिड खिताब है। मैं 2019 में भी जीती थी। तभी से इसे एक बार और जीतने का मैं सपना देख रही थी। अगर यह मुकाबला ड्रॉ हो जाता तो मेरा पांच साल का सपना टूट जाता। उन्हें जीत की दरकार थी और उन्होंने अपनी विरोधी इरिन सुकंदर को हराकर शानदार जीत हासिल की। भारतीय ग्रैंडमास्टर ने 11 में से 8.5 अंकों के साथ चैम्पियनशिप का अंत किया। शतरंज की इस विश्व विजेता 37 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, मैं अपने करियर में, जब भी मैं निचले स्तर पर होती हूं और सोचती हूं कि मैं हार रही हूं, तो कुछ चमत्कार होता है और मैं वापस आ जाती हूं। इससे मुझे आगे लड़ते रहने करने की प्रेरणा मिलती है, आज उसी का नतीजा है कि मैं एक बार फिर इस विश्व खिताब को जीत सकी।

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