Sunday, 19 May 2024

होलाष्टक आखिर क्यों है तांत्रिक कार्यों के लिए बेहद विशेष समय ?

Holashtak 2024 : होलाष्टक होली से पहले आने वाले आठ दिन जिन्हें ज्योतिष अनुसार एवं धार्मिक पौराणिक रुप से अनुकूल…

होलाष्टक आखिर क्यों है तांत्रिक कार्यों के लिए बेहद विशेष समय ?

Holashtak 2024 : होलाष्टक होली से पहले आने वाले आठ दिन जिन्हें ज्योतिष अनुसार एवं धार्मिक पौराणिक रुप से अनुकूल नहीं माना  यह वो दिन हैं। जब हर प्रकार के शुभ कामों जैसे विवाह करने, सगाई इत्याइ करने, गृह प्रवेश, नए घर के निर्माण अथवा किसी नए काम की शुरुआत हेतु अच्छा नही माना जाता है। लेकिन इसके विपरित ये आठ दिन तंत्र में बेहद खास माने गए हैं। इन दिनों को तंत्र सिद्धि के लिए बहुत ही उपयोगी समय कहा गया है। साधना सिद्धि के लिए इन दिनों को उत्तम कहा गया है।

होलाष्टक के आठ दिनों का महत्व

होलाष्टक होली के आठ दिन पहले से शुरु हो जाते हैं। इनका आरंभ पंचांग अनुसार फाल्गुन माह की अष्टमी से माना गया है। यह अष्टमी जहां दुर्गा अष्टमी के रुप में पूजनीय है। वहीं इस दिन अन्न पूर्णा माता का पूजन भी होता है। होलाष्टक अष्टमी तिथि से शुरू होते हैं और पूर्णिमा तिथि पर इनकी समाप्ति होती है।

होलाष्टक में नकारात्मकता से बचाव के उपाय

होलाष्टक में किसी भी नकारात्मकता से बचने हेतु कुछ विशेष कार्यों को किया जा सकता है। जिसके द्वारा कोई भी खराब असर अपना प्रभाव नहीं डाल पाता है। इस समय के दौरान रुद्राष्टक का पाठ, शिव मंत्र करना तथा कृष्ण मंत्र करने से हर प्रकार की नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।

ज्योतिष अनुसार होलाष्टक के आठ दिन तांत्रिक कर्म के लिए होते हैं विशेष

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक की तिथियों में आठ दिन में प्रत्येक ग्रह की स्थिति विशेष होती है। इस समय पर ग्रहों की स्थिति जिस प्रकार होती है वह ऊर्जा सिद्धियों को प्रदान करने में सहायक होती है। ग्रह इस समय पर अपनी प्रबल स्थिति में होते हैं और इनका प्रभाव भी काफी प्रभावी रुप से मिलता है। इस कारण साधना के लिए ये दिन विशेष रुप से तंत्र, सिद्धि एवं मंत्र सिद्धि के लिए अच्छे माने गए हैं।

Holashtak 2024

अष्टमी तिथि का समय चंद्रमा की अवस्था हेतु विशेष होता है। इस समय मानसिक रुप से बल की प्राप्ति होती है आत्मिक रुप से चेतना नई अनुभूतियों के लिए जागृत होती है। इसके बाद नवमी तिथि का समय व्यक्ति के प्रभामण्डल पर असर डालता है। सूर्य की स्थिति इस समय शरीर में मौजूद चक्रों को आंदोलित करती है। दशमी का समय शनि के प्रभाव से भरा होता है। एकादशी तिथि का समय शुक्र ग्रह का असर पड़ता है।

द्वादशी के दिन गुरु ग्रह का असर। त्रयोदशी तिथि के दिन बुध ग्रह की स्थिति। चतुर्दशी तिथि के दिन मंगल ग्रह की स्थिति एवं पूर्णिमा तिथि के समय पर राहु-केतु का प्रभाव काफी विशेष होता है। इसी कारण से तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए ये दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं ग्रहों की ऊर्जाएं अपने उच्च स्तर पर होने के कारण इस समय साधना को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसी के साथ तांत्रिक कर्म की सिद्धि में इन दिनों का उपयोग इसी कारण से बहुत अधिक किया जाता रहा है। Holashtak 2024

आचार्या राजरानी 

होली तो हमने खेली है, अब कैसी होली ?

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