अब नहीं उठेगी उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग

अब नहीं उठेगी उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग
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calendar01 Dec 2025 11:33 PM
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उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग हमेशा के लिए बंद होने वाली है। पिछले 30 साल से अनेक बार उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग उठती रही है। उत्तर प्रदेश में दो दर्जन से अधिक संगठन उत्तर प्रदेश का बंटवारा चाहते हैं। उत्तर प्रदेश का बंटवारा चाहने वाले संगठन उत्तर प्रदेश को बांटकर उत्तर प्रदेश के तीन प्रदेश बनाने की मांग उठाने रहते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में कुछ ऐसा काम किया है कि उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग उठनी बंद हो जाएगी।  UP News

उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुदेलखंड तथा पूर्वांचल में बांटने की है मांग

भारत के नागरिक हमेशा बंटवारे के खिलाफ रहे हैं। भारत की बंटवारे के खिलाफ नीति के विरूद्ध उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग लगातार उठाई जाती रही है। उत्तर प्रदेश का बंटवारा चाहने वाले संगठन उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तरप्रदेश (हरित प्रदेश), बुंदेलखंड प्रदेश तथा पूर्वांचल प्रदेश के रूप में बांटने की मांग 30 से भी अधिक सालों से कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में BSP की मुखिया मायावती की सरकार के समय उत्त्र प्रदेश के बंटवारे की मांग ने बड़ा रूप ले लिया था। उस समय BSP की सरकार ने बाकायदा उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उत्तर प्रदेश के बंटवारे का प्रस्ताव पास करा दिया था। उस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार के पास भेजा गया था। यह अलग बात है कि केन्द्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के बंटवारे के प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डाल दिया था।  UP News

विकास के असुंतलन को बताया जाता है उत्तर प्रदेश के बंटवारे का आधार

उत्तर प्रदेश का बंटवारा चाहने वाले संगठन अनेक कारण गिनवाते हैं। सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में विकास का असंतुलन होना बताया जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग प्रदेश बनाने की मांग करने वाले संगठन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जाता है। भारी मात्रा में टैक्स देने के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उसका पूरा फायदा नहीं मिलता है। बुंदेलखंड तथा पूर्वांचल को अलग प्रदेश बनाने की मांग करने वालों का कहना है कि प्रदेश की सरकारें पूरा का पूरा विकास केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश का करती हैं। उनका कहना है कि अलग प्रदेश बन जाने से उनके क्षेत्र का भी पूरा विकास हो सकेगा। इसी प्रकार के अनेक तर्क तथा कुतर्क उत्तर प्रदेश के बंटवारे के लिए दिए जाते हैं।  UP News

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चला बड़ा दांव

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमेशा उत्तर प्रदेश के बंटवारे के विरूद्ध रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री यह जरूर मानते हैं कि उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारों की गलत नीतियों के कारण उत्तर प्रदेश में विकास का असंतुलन रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रयास है कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड पूर्वांचल तथा मध्यांचल का विकास पश्विमी उत्तर प्रदेश की तरह से करके बंटवारे की मांग को हमेशा-हमेशा के लिए बंद कराया जासकता है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार तेजी के साथ आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश सरकार पूरे प्रदेशnका विकास पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद तथा मेरठ आदि शहरों की तरह ही करना चाहती है। उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना जमीन पर उतरती हुई नजर भी आ रही है।  UP News

पूर्वी उत्तर प्रदेश में बढ़ाया गया सरकार का फोकस

पूरे उत्तर प्रदेश में विकास का संतुलन बनाने के मकसद से कम विकसित क्षेत्रों की तरफ औद्योगिक विकास का फोकस बढ़ाया गया है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025 का सबसे बड़ा फोकस प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों—मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर है। योगी सरकार ने इन इलाकों में उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए भूमि लागत अनुदान और पूंजीगत सब्सिडी में विशेष रियायतें दी हैं।   UP News इसका सीधा असर यहां के औद्योगिक विकास, रोजगार और निवेश पर पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट विजन है कि औद्योगिक विकास केवल पश्चिमी यूपी तक सीमित न रहे, बल्कि पूर्वी यूपी और बुंदेलखंड भी देश-विदेश में औद्योगिक मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाएं। नई नीति इसी विज़न को आगे बढ़ाने का ठोस कदम है।  UP News

भूमि लागत अनुदान में पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी रियायत

नीति के तहत, स्टैंड अलोन फुटवियर, लेदर उत्पाद और मशीनरी इकाइयों को मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में 35% तक भूमि लागत अनुदान मिलेगा, जबकि पश्चिमांचल क्षेत्र में यह 25 प्रतिशत होगा। वहीं, मेगा एंकर यूनिट और क्लस्टर को इन क्षेत्रों में 80% तक भूमि लागत अनुदान का लाभ मिलेगा, पश्चिमांचल के लिए यह 75% होगा । यह लाभ विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन इलाकों में उद्योगों की स्थापना की लागत अपेक्षाकृत अधिक मानी जाती है। UP News भूमि सब्सिडी का फायदा सिर्फ उसी जमीन पर मिलेगा जो औद्योगिक प्राधिकरण, राज्य सरकार के संस्थान या इस नीति के तहत बने क्लस्टर से ली गई हो। सब्सिडी की रकम जमीन के वास्तविक आवंटन मूल्य पर तय होगी, लेकिन इसमें स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं जोड़ी जाएगी।

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अगर कोई इकाई भूमि सब्सिडी लेती है, तो आगे मिलने वाली पूंजीगत सब्सिडी की गणना करते समय जमीन की कीमत नहीं गिनी जाएगी। लेदर और फुटवियर बनाने वाली कंपनियों को ज्यादा फायदा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार की मदद के अलावा अतिरिक्त पूंजी निवेश सब्सिडी भी देगी। इसके तहत, स्टैंड अलोन इकाइयों को मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में 30% पूंजीगत सब्सिडी, अधिकतम 45 करोड़ (5 वर्षों में) मिलेगी। पश्चिमांचल के लिए यह 20% और अधिकतम 30 करोड़ रुपए (5 वर्षों) तक का लाभ मिलेगा।  UP News इसी तरह, एलाइड लेदर यूनिट को पूरे प्रदेश में 25% पूंजीगत सब्सिडी मिलेगी, लेकिन इन क्षेत्रों में इसे और ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी। मेगा एंकर यूनिट और क्लस्टर को यहां 35% पूंजीगत सब्सिडी, अधिकतम 700 करोड़ रुपए (5 वर्षों में) तक मिलेगी। एक इकाई को सालाना 140 करोड़ रुपए से अधिक लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, पश्चिमांचल के लिए यह लाभ 120 करोड़ रुपए सालाना होगा। योगी सरकार का लक्ष्य इन क्षेत्रों को नए निवेश और उद्योगों का गढ़ बनाना है। राजधानी लखनऊ समेत कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी, चित्रकूट, आजमगढ़ और बांदा जैसे जिलों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इस नीति से जहां एक ओर स्थानीय स्तर पर लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की वैश्विक पहचान फुटवियर और लेदर उत्पादों के प्रमुख निर्यातक के रूप में बनेगी।  UP News
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सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में बड़ी छलांग

सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में बड़ी छलांग
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calendar01 Dec 2025 07:24 AM
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सबसे बड़ा नारा है ‘‘सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’’। मुख्यमंत्री के इस नारे को उत्तर प्रदेश की सरकार जमीन पर साकार करने का काम कर रही है। शुक्रवार को सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में प्रदेश ने बड़ी छलांग लगा दी है। उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विभाग तथा सेंट्रल इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड यानि CEL के समझौते से प्रदेश का औद्योगिक विकास नएमानक स्थापित करेगा।   UP News

उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने किया बड़ा समझौता

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) की बड़ी भूमिका निभा रहा है। शुक्रवार को UPSIDA ने CEL के साथ एक बड़ा समझौता किया है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने इस समझौते की जानकारी दी है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विज़न “सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश” को साकार करने की दिशा में प्रदेश सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है।  UP News उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) और सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) ने सतत (Sustainable) और स्मार्ट औद्योगिक अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस करार से यूपी न केवल पर्यावरण-अनुकूल औद्योगिक विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा, बल्कि नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को भी हासिल करने की ओर अग्रसर होगा। इस एमओयू पर यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) मयूर महेश्वरी और सीईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD) चेतन प्रकाश जैन ने हस्ताक्षर किए।  UP News

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UPSIDA तथा CEL के समझौते के प्रमुख बिंदु

( 1) नवीकरणीय ऊर्जा समाधान – औद्योगिक क्षेत्रों में छतों और भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए सौर स्ट्रीट लाइटिंग, हाइब्रिड सिस्टम और ऊर्जा भंडारण तकनीकों का विकास होगा। (2) आईटी और स्मार्ट अवसंरचना – स्मार्ट सर्विलांस (सीसीटीवी), एक्सेस कंट्रोल, पब्लिक एड्रेस सिस्टम और केंद्रीकृत मॉनिटरिंग डैशबोर्ड से औद्योगिक क्षेत्रों को सुरक्षित और हाई-टेक बनाया जाएगा। वाई-फाई जोन, आईओटी आधारित एसेट ट्रैकिंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी स्मार्ट सिटी तकनीकें भी शामिल होंगी। (3)  ई-वाहन (EV) अवसंरचना – औद्योगिक क्षेत्रों में ई-व्हीकल चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे, जिन्हें नवीकरणीय ऊर्जा से एकीकृत कर सतत परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। (4)अवसंरचना उन्नयन एवं आधुनिकीकरण – औद्योगिक क्षेत्रों में सिविल, यांत्रिक और विद्युत अवसंरचना का आधुनिकीकरण होगा। हरित भवन, जल संरक्षण और ऊर्जा दक्ष तकनीकों पर विशेष बल दिया जाएगा। (5) क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण – उद्योगों और हितधारकों के लिए प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। सर्वोत्तम प्रथाओं और दिशानिर्देशों का प्रकाशन होगा। (6) परामर्श एवं नीति सहयोग – तकनीकी व्यवहार्यता अध्ययन, डीपीआर और निवेश परामर्श तैयार किए जाएंगे। हरित और स्मार्ट औद्योगिक विकास के लिए नीति सुझाव भी दिए जाएंगे।  UP News
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उत्तर प्रदेश में अव्वल साबित हुई नोएडा पुलिस कमिश्नरी

उत्तर प्रदेश में अव्वल साबित हुई नोएडा पुलिस कमिश्नरी
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calendar01 Dec 2025 01:56 AM
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उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के जिलों के काम-काज की रैकिंग की ताजा रिपोर्ट जारी की है। उत्तर प्रदेश सरकार की ताजा रैकिंग में एक बार फिर नोएडा पुलिस कमिश्नरी (गौतमबुद्धनगर) ने बाजी मारी है। उत्तर प्रदेश सरकार की यह रैकिंग प्रदेश में चल रही जनसुनवाई प्रणाली (IGRS) को लेकर जारी की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार IGRS की हर महीने की समीक्षा करके रिपोर्ट जारी करती है। उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट में जिलों को रैकिंग प्रदान की जाती है।  UP News

जुलाई की रिपोर्ट में नम्बर-1 पर रही नोएडा पुलिस कमिश्नरी

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश की IGRS की जुलाई महीने की रिपोर्ट प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रस्तुत की गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पूरी रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद रिपोर्ट जारी कर दी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार की जुलाई महीने की रिपोर्ट में पुलिस प्रमुख वाली श्रेणी में एक बार फिर नोएडा पुलिस कमिश्नरी (गौतमबुद्धनगर) ने पहला स्थान हासिल किया है।  UP News आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र की कानून व्यवस्था को बेहतरीन बनाए रखने के लिए गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरी काम कर रही है। गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरी नोएडा पुलिस कमिश्नरी के नाम से प्रसिद्ध है। नोएडा की पुलिस कमिश्नरी की कमान महिला IPS अधिकारी श्रीमती लक्ष्मी सिंह के पास है। नोएडा की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह अपने काम के कारण गौतमबुद्धनगर जिले में ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय IPS अधिकारी बनी हुई हैं। श्रीमती लक्ष्मी सिंह को देश की सबसे शानदार महिला पुलिस अधिकारी माना जाता है।  UP News

उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट में प्रशासन के स्तर पर श्रावस्ती जिला रहा नम्बर-1

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जनसुनवाई प्रणाली (IGRS) को बेहतर और पारदर्शी बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जुलाई माह की रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि पुलिस कमिश्नर, एसएसपी और एसपी स्तर पर गौतमबुद्धनगर ने सबसे अधिक संतुष्ट फीडबैक हासिल कर शीर्ष स्थान प्राप्त किया, जबकि जिलाधिकारी स्तर पर श्रावस्ती जिले ने बाजी मारी। गौतमबुद्धनगर 98.72 प्रतिशत संतुष्ट फीडबैक के साथ पहले स्थान पर रहा। इसके बाद पीलीभीत (98.23 % ), बलिया (96.04 %), बस्ती (95.43 %) और श्रावस्ती (95.14 %) का स्थान रहा। इन जिलों ने शिकायतों के समयबद्ध और प्रभावी निस्तारण में बेहतर कार्य किया है। जिलाधिकारी स्तर पर श्रावस्ती जिला 90.2 प्रतिशत संतुष्ट फीडबैक के साथ शीर्ष पर रहा। इसके बाद शाहजहांपुर (89.08 %), बलरामपुर (83.44%), हमीरपुर (82.15%) और बरेली (80.11%) रहे। इन जिलों में डीएम स्तर पर की गई कार्यवाही से शिकायतकर्ताओं को संतुष्टि मिली है।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए कि शिकायत जिस अधिकारी से संबंधित हो, उसकी जांच उसी अधिकारी को न दी जाए। शिकायतों की जांच उच्चाधिकारियों से कराना अनिवार्य किया जाए ताकि न्याय और पारदर्शिता बनी रहे। सीएम योगी ने यह भी कहा कि यदि स्पेशल क्लोज अनुचित पाया जाता है तो प्रस्तावित करने वाले अधिकारी/कर्मचारी पर विभागीय कार्यवाही की जाए। जिलास्तर पर एडीएम/अतिरिक्त मजिस्ट्रेट, एएसपी, डीसीपी या अन्य वरिष्ठ अधिकारी को नामित किया जाए, जो स्पेशल क्लोज करने से पहले शिकायतकर्ता से वार्ता कर उसे संतुष्ट करने का प्रयास करे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दोहराया कि जनसुनवाई प्रणाली को जनता और सरकार के बीच सीधा संवाद बनाने के लिए सशक्त किया जा रहा है। शिकायतों के समाधान में पारदर्शिता, जवाबदेही और संवेदनशीलता योगी सरकार की प्राथमिकता है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश में शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण को लेकर जनता का भरोसा बढ़ा है।  UP News