अब नहीं उठेगी उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग

उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुदेलखंड तथा पूर्वांचल में बांटने की है मांग
भारत के नागरिक हमेशा बंटवारे के खिलाफ रहे हैं। भारत की बंटवारे के खिलाफ नीति के विरूद्ध उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग लगातार उठाई जाती रही है। उत्तर प्रदेश का बंटवारा चाहने वाले संगठन उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तरप्रदेश (हरित प्रदेश), बुंदेलखंड प्रदेश तथा पूर्वांचल प्रदेश के रूप में बांटने की मांग 30 से भी अधिक सालों से कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में BSP की मुखिया मायावती की सरकार के समय उत्त्र प्रदेश के बंटवारे की मांग ने बड़ा रूप ले लिया था। उस समय BSP की सरकार ने बाकायदा उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उत्तर प्रदेश के बंटवारे का प्रस्ताव पास करा दिया था। उस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार के पास भेजा गया था। यह अलग बात है कि केन्द्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के बंटवारे के प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डाल दिया था। UP Newsविकास के असुंतलन को बताया जाता है उत्तर प्रदेश के बंटवारे का आधार
उत्तर प्रदेश का बंटवारा चाहने वाले संगठन अनेक कारण गिनवाते हैं। सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में विकास का असंतुलन होना बताया जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग प्रदेश बनाने की मांग करने वाले संगठन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जाता है। भारी मात्रा में टैक्स देने के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उसका पूरा फायदा नहीं मिलता है। बुंदेलखंड तथा पूर्वांचल को अलग प्रदेश बनाने की मांग करने वालों का कहना है कि प्रदेश की सरकारें पूरा का पूरा विकास केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश का करती हैं। उनका कहना है कि अलग प्रदेश बन जाने से उनके क्षेत्र का भी पूरा विकास हो सकेगा। इसी प्रकार के अनेक तर्क तथा कुतर्क उत्तर प्रदेश के बंटवारे के लिए दिए जाते हैं। UP Newsउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चला बड़ा दांव
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमेशा उत्तर प्रदेश के बंटवारे के विरूद्ध रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री यह जरूर मानते हैं कि उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारों की गलत नीतियों के कारण उत्तर प्रदेश में विकास का असंतुलन रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रयास है कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड पूर्वांचल तथा मध्यांचल का विकास पश्विमी उत्तर प्रदेश की तरह से करके बंटवारे की मांग को हमेशा-हमेशा के लिए बंद कराया जासकता है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार तेजी के साथ आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश सरकार पूरे प्रदेशnका विकास पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद तथा मेरठ आदि शहरों की तरह ही करना चाहती है। उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना जमीन पर उतरती हुई नजर भी आ रही है। UP Newsपूर्वी उत्तर प्रदेश में बढ़ाया गया सरकार का फोकस
पूरे उत्तर प्रदेश में विकास का संतुलन बनाने के मकसद से कम विकसित क्षेत्रों की तरफ औद्योगिक विकास का फोकस बढ़ाया गया है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025 का सबसे बड़ा फोकस प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों—मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर है। योगी सरकार ने इन इलाकों में उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए भूमि लागत अनुदान और पूंजीगत सब्सिडी में विशेष रियायतें दी हैं। UP News इसका सीधा असर यहां के औद्योगिक विकास, रोजगार और निवेश पर पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट विजन है कि औद्योगिक विकास केवल पश्चिमी यूपी तक सीमित न रहे, बल्कि पूर्वी यूपी और बुंदेलखंड भी देश-विदेश में औद्योगिक मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाएं। नई नीति इसी विज़न को आगे बढ़ाने का ठोस कदम है। UP Newsभूमि लागत अनुदान में पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी रियायत
नीति के तहत, स्टैंड अलोन फुटवियर, लेदर उत्पाद और मशीनरी इकाइयों को मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में 35% तक भूमि लागत अनुदान मिलेगा, जबकि पश्चिमांचल क्षेत्र में यह 25 प्रतिशत होगा। वहीं, मेगा एंकर यूनिट और क्लस्टर को इन क्षेत्रों में 80% तक भूमि लागत अनुदान का लाभ मिलेगा, पश्चिमांचल के लिए यह 75% होगा । यह लाभ विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन इलाकों में उद्योगों की स्थापना की लागत अपेक्षाकृत अधिक मानी जाती है। UP News भूमि सब्सिडी का फायदा सिर्फ उसी जमीन पर मिलेगा जो औद्योगिक प्राधिकरण, राज्य सरकार के संस्थान या इस नीति के तहत बने क्लस्टर से ली गई हो। सब्सिडी की रकम जमीन के वास्तविक आवंटन मूल्य पर तय होगी, लेकिन इसमें स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं जोड़ी जाएगी।यह भी पढ़े:सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में बड़ी छलांग
अगर कोई इकाई भूमि सब्सिडी लेती है, तो आगे मिलने वाली पूंजीगत सब्सिडी की गणना करते समय जमीन की कीमत नहीं गिनी जाएगी। लेदर और फुटवियर बनाने वाली कंपनियों को ज्यादा फायदा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार की मदद के अलावा अतिरिक्त पूंजी निवेश सब्सिडी भी देगी। इसके तहत, स्टैंड अलोन इकाइयों को मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में 30% पूंजीगत सब्सिडी, अधिकतम 45 करोड़ (5 वर्षों में) मिलेगी। पश्चिमांचल के लिए यह 20% और अधिकतम 30 करोड़ रुपए (5 वर्षों) तक का लाभ मिलेगा। UP News इसी तरह, एलाइड लेदर यूनिट को पूरे प्रदेश में 25% पूंजीगत सब्सिडी मिलेगी, लेकिन इन क्षेत्रों में इसे और ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी। मेगा एंकर यूनिट और क्लस्टर को यहां 35% पूंजीगत सब्सिडी, अधिकतम 700 करोड़ रुपए (5 वर्षों में) तक मिलेगी। एक इकाई को सालाना 140 करोड़ रुपए से अधिक लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, पश्चिमांचल के लिए यह लाभ 120 करोड़ रुपए सालाना होगा। योगी सरकार का लक्ष्य इन क्षेत्रों को नए निवेश और उद्योगों का गढ़ बनाना है। राजधानी लखनऊ समेत कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी, चित्रकूट, आजमगढ़ और बांदा जैसे जिलों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इस नीति से जहां एक ओर स्थानीय स्तर पर लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की वैश्विक पहचान फुटवियर और लेदर उत्पादों के प्रमुख निर्यातक के रूप में बनेगी। UP Newsअगली खबर पढ़ें
उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुदेलखंड तथा पूर्वांचल में बांटने की है मांग
भारत के नागरिक हमेशा बंटवारे के खिलाफ रहे हैं। भारत की बंटवारे के खिलाफ नीति के विरूद्ध उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग लगातार उठाई जाती रही है। उत्तर प्रदेश का बंटवारा चाहने वाले संगठन उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तरप्रदेश (हरित प्रदेश), बुंदेलखंड प्रदेश तथा पूर्वांचल प्रदेश के रूप में बांटने की मांग 30 से भी अधिक सालों से कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में BSP की मुखिया मायावती की सरकार के समय उत्त्र प्रदेश के बंटवारे की मांग ने बड़ा रूप ले लिया था। उस समय BSP की सरकार ने बाकायदा उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उत्तर प्रदेश के बंटवारे का प्रस्ताव पास करा दिया था। उस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार के पास भेजा गया था। यह अलग बात है कि केन्द्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के बंटवारे के प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डाल दिया था। UP Newsविकास के असुंतलन को बताया जाता है उत्तर प्रदेश के बंटवारे का आधार
उत्तर प्रदेश का बंटवारा चाहने वाले संगठन अनेक कारण गिनवाते हैं। सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में विकास का असंतुलन होना बताया जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग प्रदेश बनाने की मांग करने वाले संगठन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जाता है। भारी मात्रा में टैक्स देने के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उसका पूरा फायदा नहीं मिलता है। बुंदेलखंड तथा पूर्वांचल को अलग प्रदेश बनाने की मांग करने वालों का कहना है कि प्रदेश की सरकारें पूरा का पूरा विकास केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश का करती हैं। उनका कहना है कि अलग प्रदेश बन जाने से उनके क्षेत्र का भी पूरा विकास हो सकेगा। इसी प्रकार के अनेक तर्क तथा कुतर्क उत्तर प्रदेश के बंटवारे के लिए दिए जाते हैं। UP Newsउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चला बड़ा दांव
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमेशा उत्तर प्रदेश के बंटवारे के विरूद्ध रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री यह जरूर मानते हैं कि उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारों की गलत नीतियों के कारण उत्तर प्रदेश में विकास का असंतुलन रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रयास है कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड पूर्वांचल तथा मध्यांचल का विकास पश्विमी उत्तर प्रदेश की तरह से करके बंटवारे की मांग को हमेशा-हमेशा के लिए बंद कराया जासकता है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार तेजी के साथ आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश सरकार पूरे प्रदेशnका विकास पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद तथा मेरठ आदि शहरों की तरह ही करना चाहती है। उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना जमीन पर उतरती हुई नजर भी आ रही है। UP Newsपूर्वी उत्तर प्रदेश में बढ़ाया गया सरकार का फोकस
पूरे उत्तर प्रदेश में विकास का संतुलन बनाने के मकसद से कम विकसित क्षेत्रों की तरफ औद्योगिक विकास का फोकस बढ़ाया गया है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025 का सबसे बड़ा फोकस प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों—मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर है। योगी सरकार ने इन इलाकों में उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए भूमि लागत अनुदान और पूंजीगत सब्सिडी में विशेष रियायतें दी हैं। UP News इसका सीधा असर यहां के औद्योगिक विकास, रोजगार और निवेश पर पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट विजन है कि औद्योगिक विकास केवल पश्चिमी यूपी तक सीमित न रहे, बल्कि पूर्वी यूपी और बुंदेलखंड भी देश-विदेश में औद्योगिक मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाएं। नई नीति इसी विज़न को आगे बढ़ाने का ठोस कदम है। UP Newsभूमि लागत अनुदान में पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी रियायत
नीति के तहत, स्टैंड अलोन फुटवियर, लेदर उत्पाद और मशीनरी इकाइयों को मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में 35% तक भूमि लागत अनुदान मिलेगा, जबकि पश्चिमांचल क्षेत्र में यह 25 प्रतिशत होगा। वहीं, मेगा एंकर यूनिट और क्लस्टर को इन क्षेत्रों में 80% तक भूमि लागत अनुदान का लाभ मिलेगा, पश्चिमांचल के लिए यह 75% होगा । यह लाभ विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन इलाकों में उद्योगों की स्थापना की लागत अपेक्षाकृत अधिक मानी जाती है। UP News भूमि सब्सिडी का फायदा सिर्फ उसी जमीन पर मिलेगा जो औद्योगिक प्राधिकरण, राज्य सरकार के संस्थान या इस नीति के तहत बने क्लस्टर से ली गई हो। सब्सिडी की रकम जमीन के वास्तविक आवंटन मूल्य पर तय होगी, लेकिन इसमें स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं जोड़ी जाएगी।यह भी पढ़े:सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में बड़ी छलांग
अगर कोई इकाई भूमि सब्सिडी लेती है, तो आगे मिलने वाली पूंजीगत सब्सिडी की गणना करते समय जमीन की कीमत नहीं गिनी जाएगी। लेदर और फुटवियर बनाने वाली कंपनियों को ज्यादा फायदा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार की मदद के अलावा अतिरिक्त पूंजी निवेश सब्सिडी भी देगी। इसके तहत, स्टैंड अलोन इकाइयों को मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में 30% पूंजीगत सब्सिडी, अधिकतम 45 करोड़ (5 वर्षों में) मिलेगी। पश्चिमांचल के लिए यह 20% और अधिकतम 30 करोड़ रुपए (5 वर्षों) तक का लाभ मिलेगा। UP News इसी तरह, एलाइड लेदर यूनिट को पूरे प्रदेश में 25% पूंजीगत सब्सिडी मिलेगी, लेकिन इन क्षेत्रों में इसे और ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी। मेगा एंकर यूनिट और क्लस्टर को यहां 35% पूंजीगत सब्सिडी, अधिकतम 700 करोड़ रुपए (5 वर्षों में) तक मिलेगी। एक इकाई को सालाना 140 करोड़ रुपए से अधिक लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, पश्चिमांचल के लिए यह लाभ 120 करोड़ रुपए सालाना होगा। योगी सरकार का लक्ष्य इन क्षेत्रों को नए निवेश और उद्योगों का गढ़ बनाना है। राजधानी लखनऊ समेत कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, झांसी, चित्रकूट, आजमगढ़ और बांदा जैसे जिलों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इस नीति से जहां एक ओर स्थानीय स्तर पर लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की वैश्विक पहचान फुटवियर और लेदर उत्पादों के प्रमुख निर्यातक के रूप में बनेगी। UP Newsसंबंधित खबरें
अगली खबर पढ़ें







