Saturday, 18 May 2024

Hindi Kavita – पकी फसल पर चोट

Hindi Kavita – पकी फसल पर चोट कर रहे घन जैसे ‘घन’। घन गरजें, धमका रहे, हैं जैसे बे –…

Hindi Kavita – पकी फसल पर चोट

Hindi Kavita –

पकी फसल पर चोट कर रहे घन जैसे ‘घन’।

घन गरजें, धमका रहे, हैं जैसे बे – बात।
पानी के संग हो रही, ओलों की बरसात।
ओलों की बरसात, लगे मौसम मन-भावन,
अटक-भटककर पुनः लौट आया ज्यों सावन।
‘बाबा’ देख बढ़े कृषकों के दिल की धड़कन,
पकी फसल पर चोट कर रहे घन जैसे ‘घन’।।

– बाबा कानपुरी

Hindi Kavita
Baba Kanpuri

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