Tuesday, 26 November 2024

2050 तक बुजुर्गों का देश बन सकता है भारत, जानिए चौंकाने वाले आंकड़े…

UNFPA Report : आने वाले समय में दुनिया में बुजुर्गों की आबादी कई गुना बढ़ने वाली है. हैरानी की बात…

2050 तक बुजुर्गों का देश बन सकता है भारत, जानिए चौंकाने वाले आंकड़े…

UNFPA Report : आने वाले समय में दुनिया में बुजुर्गों की आबादी कई गुना बढ़ने वाली है. हैरानी की बात है कि भारत पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ने का अनुमान है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने इंडिया एजिंग रिपोर्ट-2023 जारी की, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो भारत के लिए बेहद चिंताजनक हैं. आइए जानते हैं रिपोर्ट के मुख्य बिंदुः

20 प्रतिशत से ज्यादा होगी बुजुर्ग आबादीः

वर्ष 2050 तक भारत में बुजुर्ग आबादी (60 वर्ष से अधिक) का प्रतिशत 20.8 (34.7 करोड़) तक हो सकता है, जो 2022 की तुलना में दोगुना है. यानी हर पांच में से एक व्यक्ति बुजुर्ग होगा. यह संख्या काफी अधिक है. इस लिहाज से भारत, चीन को भी पछाड़ सकता है.

2046 तक बच्चों से ज्यादा होंगे बुजुर्गः रिपोर्ट के अनुसार, 2046 तक बुजुर्गों की आबादी बच्चों (15 वर्ष से कम आयु) की संख्या से ज्यादा हो सकती है. इसका मतलब है कि भारत बुजुर्ग आबादी बहुल देश कहलाएगा.

28 साल में 279 प्रतिशत ब़ढ़ेगी आबादीः वर्ष 2022 से 2050 के बीच में 80 वर्ष से ज्यादा आयु वाले बुजुर्गों की आबादी लगभग 279 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है.

40 प्रतिशत बुजुर्ग कमजोर वर्ग मेः भारत में रहने वाले 40 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी गरीब वर्ग से है. इस कारण उन्हें शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इससे उनके जीवन स्तर पर भी बुरा असर पड़ता है.

UNFPA Report

बुजुर्ग आबादी बढ़ने से क्या होते हैं नुकसानः

– किसी भी देश में युवा आबादी को देश की पूंजी माना जाता हैए क्योंकि वे उत्पादन एवं सेवा क्षेत्र में नौकरी करते हैं और अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद करते हैं, लेकिन बुजुर्ग व्यक्ति सेवा करने योग्य नहीं होते.
– बुजुर्ग नागरिकों को जीवन यापन में आर्थिक सहायता हेतु केंद्र व राज्य सरकारें पेंशन व अन्य लोककल्याणकारी योजनाएं चलाती हैं. बुजुर्ग आबादी बढ़ने से सरकारों पर भी वित्तीय बोझ बढ़ेगा.
– बुजुर्ग आबादी अधिक होने से भारत में खुशहाली जीवन स्तर पर भी बुरा असर पड़ेगा.
– भविष्य में श्रम संसाधनों का संकट पैदा होने की आशंका बनी रहेगी.
– विदेशी निवेश पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

कौन जारी करता है रिपोर्टः

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA), अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (IIPS) संबंधित देश के सहयोग से समय-समय पर यह ‘एजिंग रिपोर्ट’ जारी करते है. इसका उद्देश्य यह है कि विश्व के समस्त देशों में हो रहे जनसांख्यिकी परिवर्तनों को सामने लाया जा सके, ताकि उनसे उत्पन्न चुनौतियों से समय पर निपटा जा सके.

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