MP Election 2023 मध्य प्रदेश के पिछोर विधानसभा में प्रचार के लिए घूमते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने सिक्योरिटी गार्ड से यह कहते नजर आए “आप लोग जरा साइड पर बैठिये, मैं अपनी सेनापति के साथ हूं और वह भली भांति जानते हैं कि मेरी सुरक्षा किस तरह करनी है”। सिंधिया अपने बीजेपी बूथ प्रेसिडेंट को अपना सेनापति कह रहे थे और उनके ऐसा कहते ही भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ उत्साह में नारे लगाने लगती है । आज कल सिंधिया विभिन्न विधानसभा क्षेत्रो में जनता के साथ खूब घुल मिल रहे हैं, उन्हें गले लगा रहे हैं उनकी बातें सुन रहे हैं।
बदले बदले से महाराज नज़र आते हैं
हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश की पिछोर विधानसभा की, जहां बीजेपी के लगभग 300 कार्यकर्ता एक पंडालनुमा स्टेडियम में जुटे हुए हैं । पिछोर वह क्षेत्र है जहां सिंधिया महाराज का गहरा प्रभाव रहा है और इस इलाके में ज्योतिरादित्य का खुद पहुंचना और इतने खुलेपन के साथ लोगों से घुलना मिलना, उन्हें गले लगाना, चुनाव प्रचार का यह तरीका वाकई बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने जैसा है। हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि अक्सर लोग ये आरोप लगाते हैं कि मैं बीजेपी में सहज नहीं हूं जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है बीजेपी मेरा दूसरा घर है और यहां मैं पहले ही दिन से सहज महसूस कर रहा हूं । ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति को लंबे समय से देखने वाले लोगों का भी कहना है कि सिंधिया के कैंपेनिंग स्टाइल में यह बदलाव वाकई देखने लायक है क्योंकि मंच से उतरकर लोगों के बीच घुलना मिलना यह उनके जुदा अंदाज को बयां कर रहा है और ऐसा पहले ज्यादातर नहीं देखा गया है । सिंधिया खुद लोगों के पास जाकर उनसे बात कर रहे हैं उनकी परेशानियों को पूछ रहे हैं उन्हें क्या चाहिए यह जानने की कोशिश कर रहे हैं वह एक-एक कार्यकर्ता से मिल रहे हैं और पर्सनली उनसे पूछ रहे हैं कि किस चीज की आवश्यकता है, उन्हें क्या चाहिए
3 दशक से काँग्रेस की अभेद सीट है पिछोर
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की पिछोर विधानसभा सीट वह सीट है जहां बीजेपी पिछले तीन दशक में कभी जीत नहीं सकी है। और इस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया का वहां एड़ी चोटी का जोर लगाना बताता है कि वह बीजेपी को जीत दिलाने के लिए किस कदर मेहनत कर रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा पिछले दिनों ग्वालियर के सिंधिया स्कूल की 125वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की तारीफ की और साथ ही उनके पिता के भी प्रयासों की सराहना की थी ।
MP Election 2023 बीजेपी में बढ़ा कद
वह यह दिखाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की बीजेपी के शीर्ष नेताओं से किस तरह की निकटता है और बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उन पर किस तरह विश्वास जता रहा है। पिछोर के इसी इलाके के एक लोकल कार्यकर्ता का कहना है की ज्योतिरादित्य सिंधिया महाराज में यह परिवर्तन बहुत ही अनोखा है। हमें याद है किस तरह जब वह पहले आते थे तो लोग उनके अभिवादन में झुकते थे कोई उनके पैर छूता था, लोग हाथ जोड़कर उनके सामने खड़े रहते और वे बस देख कर निकल जाते थे। लेकिन आज तस्वीर बदली हुई है वह लोगों के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं उन्हें गले लगा रहे हैं, उनकी बातें सुन रहे हैं, उनका तौर तरीका और मिजाज पूरी तरह बदला हुआ है
बीजेपी में जगह बनाने के लिए करना पड़ा संघर्ष
इसमें कोई शक नहीं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में अपनी जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। 2020 में जब सिंधिया की बीजेपी में एंट्री हुई थी और वह अपनी गुना लोकसभा सीट खो बैठे थे, तो लोगों का मानना था कि बीजेपी में फिट होना उनके लिए मुश्किल होगा। लेकिन वो साल 2020 था और अब 2023 में सिंधिया का बीजेपी में कद किस तरह बढ गया है यह हाल ही में प्रधानमंत्री के द्वारा सिंधिया स्कूल की 125वीं जयंती पर दिए गए भाषण में दिखता है,प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंधिया परिवार ने न केवल इस स्कूल की स्थापना की बल्कि वाराणसी के विकास में भी सिंधिया घराने का योगदान रहा है और साथ ही उन्होंने सिंधिया को गुजरात का दामाद भी बताया।
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बदल गया मिजाज और तौर तरीका,हाथ जोड़ने लगे और गले लगाने लगे
विशेषज्ञ कहते हैं कि बीजेपी में आने के बाद कुछ लोगों ने उन्हें ऐसी सलाह दी थी कि बीजेपी में आगे बढ़ने के लिए उन्हें अपना महाराज वाला चोगा उतारना ही होगा, तभी वे बीजेपी में काम कर पाएंगे, क्योंकि बीजेपी में विचारधारा को प्रमुखता दी जाती है, और लगता है कि महाराज ने भी इस सलाह को काफी गंभीरता से लिया है । पिछोर में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया बूथ कार्यकर्ताओं और बाकी बीजेपी समर्थको से मिल रहे थे तो उनका मिजाज और तौर तरीका बदला हुआ था । अपने भाषाण में उन्होंने बीजेपी की नीतियों का बखान तो किया ही और साथ ही साथ कांग्रेस की बखिया उधेड्ने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि 2003 तक बीजेपी के आने से पहले मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य था जब हमें पता नहीं चलता था कि गटर कहां है और सड़क कहां से शुरू हो रही है।
प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ
फिर उन्होने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा यदि हमारे प्रधानमंत्री दिन में 18 घंटे काम कर सकते तो हम अपने महीने के 25 दिन मध्य प्रदेश को क्यों नहीं दे सकते । उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री भारत का झंडा चांद तक ले जा सकते हैं तो हम कम से कम पार्टी का झंडा पिछोर में तो कायम कर ही सकते हैं। सिंधिया ने कार्यकर्ताओं से कहा कि यह हमारे लिए एक जंग है और हमें इस जंग को जीतना होगा। आपको बताते हैं कि ग्वालियर- चंबल बेल्ट में सिंधिया राजघराने का हमेशा ही प्रभाव रहा है और जिस वजह से कांग्रेस को यहां काफी प्रतिनिधित्व मिला है और वोट मिले हैं और यही वजह है कि 2018 में भी इस क्षेत्र से कांग्रेस को बहुत वोट मिला था और यह उम्मीद थी कि पार्टी सिंधिया को ही मुख्यमंत्री बनाएगी लेकिन कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के कारण सिंधिया का कांग्रेस से मोहभंग हो गया था बगावत करके उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे। पिछोर भी ऐसी ही विधानसभा सीट है जहां पिछले 30 साल में कभी बीजेपी को वोट नहीं दिया गया । 1993 से ही यहां कांग्रेस की केपी सिंह कक्काजू जीतते आ रहे हैं। हालांकि इस बार कांग्रेस के द्वारा कक्काजू को ग्वालियर शिफ्ट कर दिया गया है। देखने वाली बात होगी कि सिंधिया अपने ही गढ़ को क्या इस बार बीजेपी के लिए जीत पाते हैं ?
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