Tuesday, 3 December 2024

इन 5 मौकों ने साबित किया क्यों अपराजेय हैं नरेंद्र मोदी!

सितंबर के पहले हफ्ते में अमेरिका की प्रतिष्ठित डाटा इंटैलिजेंस कंपनी, मॉर्निंग कंसल्ट (Morning Consult) ने दुनिया के 13 प्रमुख…

इन 5 मौकों ने साबित किया क्यों अपराजेय हैं नरेंद्र मोदी!

सितंबर के पहले हफ्ते में अमेरिका की प्रतिष्ठित डाटा इंटैलिजेंस कंपनी, मॉर्निंग कंसल्ट (Morning Consult) ने दुनिया के 13 प्रमुख राजनेताओं की लोकप्रियता रेटिंग जारी की जिसमें नरेंद्र मोदी शिखर पर थे। मोदी की लोकप्रियता रेटिंग 70 रही जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जर्मन चांसलर अंजेला मर्केल से भी ज्यादा थी।

भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के उदय के साथ ही आजादी के बाद भारत में पहली बार कांग्रेस से अलग किसी राजनीतिक दल (बीजेपी) को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत मिला। ऐसा एक नहीं, लगातार दो बार हुआ। भारतीय जनता पार्टी को 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में 282 और 303 सीटें मिलीं।

आज नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। 17 सितंबर 1950 में गुजरात के वडनगर में जन्मे नरेंद्र दामोदर दास मोदी की 18 साल की उम्र में ही शादी हो गई थी। हालांकि, शादी के कुछ दिन बाद ही उन्होंने घर-बार छोड़ दिया। दो साल तक मठ, मंदिरों और देश भ्रमण के बाद 1971 में वह वापस गुजरात आए और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के पूर्णकालिक स्वयं सेवक बन गए।

ऐसे हुई राजनीतिक जीवन की शुरुआत

1. आरएसएस ने 1985 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी को सौंप दिया। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन की औपचारिक शुरुआत हुई। आपातकाल के दौरान ही नरेंद्र मोदी ने गुजरात के बड़े नेताओं को अपनी क्षमता से ​परिचित करा दिया था। नेताओं को गिरफ्तारी के बचाने और उन्हें सुरक्षित आश्रय दिलाने, आपातकाल के खिलाफ पर्चे छपवाने और दिल्ली में बंटवाने जैसे काम ने उनकी सांग​ठनिक क्षमता को स्थापित कर दिया था।

2. मोदी की चुनावी रणनीति और कार्यकुशलता को आंकने के लिए 1987 में उन्हें अहमदाबाद म्यूनिसिपल कार्पोरेशन (एएमसी) के कैंपेन की जिम्मेदारी दी गई। उस वक्त गुजरात में कांग्रेस को चुनौती देना लगभग नामुमकिन था। एएमसी के चुनाव नतीजों ने सबको चौंका दिया। बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली और वह रूलिंग पार्टी बन गई।

3. इसके बाद 1995 में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई। मोदी को गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने का दायित्व सौंपा गया। इस बार भी मोदी की सांगठनिक और राजनीतिक सूझबूझ के चलते पार्टी को 182 में से 121 सीटों पर जीत मिली। मोदी की परफॉर्मेंस ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को उनकी प्रतिभा का कायल बना दिया।

4. बीजेपी ने गुजरात में पार्टी की गिर रही साख को बचाने के लिए 2001 में उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की जगह नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। गुजरात की तत्कालीन केशुभाई सरकार पर भ्रष्टाचार और कुशासन के गंभीर आरोप लग रहे थे। मोदी ने 2001 में गुजरात की सत्ता संभाली और तब से लेकर आज तक गुजरात में बीजेपी की सरकार कायम है।

5. मोदी की राजनीतिक समझ और सांगठनिक कौशल की सबसे बड़ी परीक्षा 2013 में हुई। बीजेपी ने 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जो हुआ उसे सब जानते हैं। भारत में पहली बार कांग्रेस से अलग किसी पार्टी को लोकसभा में एक नहीं बल्कि, दो बार स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ।

राजनीतिक जीवन में आने के बाद से ही मोदी और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है। गुजरात में दंगों से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक ध्रुवीकरण को उकसावा देने के आरोप मोदी पर लगातार लगते रहे हैं। इन आलोचनाओं के बावजूद, 1985 में शुरू हुआ मोदी का राजनीतिक सफर सफलतापूर्वक जारी है। 1985 में अहमदाबाद के स्थानीय चुनाव से लेकर 2014 में लोकसभा चुनाव तक के सफर में मोदी ने हर मौके पर पार्टी की जीत सुनिश्चित की है। ऐसे में ये सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या सच में मोदी अपराजेय हैं?

– संजीव श्रीवास्तव

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