MSP : केंद्र सरकार ने लोकसभा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट की है। हालांकि, सरकार ने एमएसपी को कानूनी दर्जा देने पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है, लेकिन यह बताया कि किसानों को उनकी उपज की लागत का न्यूनतम 50% अधिक मूल्य प्रदान करने की नीति पर काम किया जा रहा है।
MSP पर सरकार का रुख
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने 2018-19 के केंद्रीय बजट में घोषणा की थी कि एमएसपी को उत्पादन लागत का 1.5 गुना रखा जाएगा। इस दिशा में सभी खरीफ, रबी और अन्य व्यावसायिक फसलों के लिए एमएसपी में लगातार वृद्धि की गई है।
उन्होंने आगे बताया कि सरकार किसानों को मूल्य समर्थन देने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और अन्य राज्य एजेंसियों के माध्यम से अनाज और मोटे अनाज की खरीद करती है।
खरीद प्रक्रिया और आंकड़े
सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 से 2024-25 (फरवरी 2025 तक) के बीच कुल 7574.18 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई, जिसका एमएसपी मूल्य 14.08 लाख करोड़ रुपये रहा। इसी अवधि में:
- 3057.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई, जिसका मूल्य 5.65 लाख करोड़ रुपये रहा।
- 172.47 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद 92.8 हजार करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य पर की गई।
- 121.48 लाख मीट्रिक टन तिलहन की खरीद 61.8 हजार करोड़ रुपये में हुई।
MSP लागू करने की प्रक्रिया
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान योजना के तहत जब बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे चला जाता है । तो दालों, तिलहन और नारियल की खरीद की जाती है। इसके लिए नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नैफेड) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) जैसी एजेंसियां जिम्मेदार होती हैं। कपास और जूट की खरीद कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से एमएसपी पर की जाती है।
MSP पर अधिक पारदर्शिता के लिए उठाए गए कदम
एमएसपी को और अधिक प्रभावी व पारदर्शी बनाने के लिए जुलाई 2022 में एक समिति का गठन किया गया। इस समिति का कार्य कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को अधिक स्वायत्त बनाना और कृषि विपणन प्रणाली को मजबूत करना है, ताकि किसान अपने उत्पाद का अधिकतम लाभ उठा सकें।
किसानों के साथ सरकार की वार्ता
न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसानों द्वारा 26 नवंबर 2024 से आंदोलन शुरू किया गया। इस पर सरकार ने 8 फरवरी 2024 को किसान नेताओं के साथ बातचीत शुरू की। इसके बाद 12, 15, 18 फरवरी 2024, 14 और 22 फरवरी 2025 को भी वार्ताएं आयोजित की गईं, जिनमें एमएसपी और कृषि नीतियों पर विस्तृत चर्चा की गई। MSP
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