छाछ से बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरता, बागवानी में अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय
बागवानी और खेती में प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इसी कड़ी में घरों में आसानी से मिलने वाली छाछ (बटरमिल्क) मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और पौधों को स्वस्थ रखने का एक असरदार उपाय बनकर उभर रही है।

बता दें कि विशेषज्ञों के अनुसार छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड, प्रोबायोटिक्स और खनिज तत्व पौधों की वृद्धि बढ़ाते हैं और मिट्टी में लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ाते हैं।
छाछ के उपयोग से बागवानी को कई फायदे
- प्राकृतिक फफूंदनाशक: छाछ का घोल पत्तियों पर लगने वाले फफूंद रोग—जैसे पाउडरी मिल्ड्यू और ब्लैक स्पॉट—को नियंत्रित करता है।
- मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व जड़ों को मजबूत बनाते हैं और मिट्टी को जैविक रूप से समृद्ध करते हैं।
- पत्तियों में चमक: हल्का घोल पत्तियों पर छिड़कने से वे अधिक हरी और चमकदार दिखती हैं।
- कीट नियंत्रण: इसका तीखा गंध कुछ कीटों को दूर रखता है और पौधों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
- जैविक उर्वरक: छाछ में मौजूद बैक्टीरिया मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाते हैं।
कैसे करें छाछ का उपयोग?
- फफूंदनाशक स्प्रे: 1 लीटर पानी + 250 मि.ली. छाछ। हफ्ते में एक बार छिड़कें।
- जैविक उर्वरक: 1 लीटर पानी + 200 मि.ली. छाछ। महीने में 2–3 बार जड़ों में डालें।
- कीटनाशक मिश्रण: 1 लीटर छाछ + 2 लीटर पानी + 1 चम्मच नीम तेल / नीम रस / हल्दी पाउडर।
इसका उपयोग सब्जी पौधों, फूलदार-फलदार पौधों, मनी प्लांट, तुलसी और खेती की कई फसलों में किया जा सकता है। रसीले (succulent) पौधों में उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।
इन सावधानियों का रखें ध्यान
- नमक या मसाले वाली छाछ का उपयोग न करें।
- हमेशा पानी में घोलकर ही छाछ का प्रयोग करें।
- अधिक मात्रा न डालें, वरना मिट्टी अम्लीय हो सकती है।
मिट्टी की गुणवत्ता जांचने का आसान तरीका: जार मिट्टी परीक्षण
मिट्टी की बनावट जानने के लिए सबसे आसान तरीका है जार मिट्टी परीक्षण, जिसमें रेत, गाद और चिकनी मिट्टी का प्रतिशत पता चल जाता है।
कैसे करें जार मिट्टी परीक्षण?
- जार में 1/4–1/2 तक मिट्टी भरें (3 फुट गहराई से ली गई)
- कंकड़-जड़ें हटा दें और जार में पानी भरें
- कुछ बूंदें लिक्विड सोप डालें
- 2 मिनट तक जोर से हिलाएं
- 1–2 मिनट में रेत (Sand) नीचे बैठ जाती है
- 30 मिनट में गाद (Silt) उसकी ऊपर जमती है
- 24 घंटे में चिकनी मिट्टी (Clay) सबसे ऊपर दिखती है
इसके बाद स्केल से परतों की ऊँचाई मापकर तीनों का प्रतिशत निकाला जा सकता है।
मिट्टी की उर्वरता घटने के मुख्य कारण
- रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग
- जैविक खादों का कम प्रयोग
- मिट्टी की जलधारण क्षमता में गिरावट
- ऑक्सीजन की कमी और गहरी जुताई
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान और बागवानी प्रेमी छाछ जैसे जैविक विकल्प अपनाएं और समय-समय पर मिट्टी की जांच करें, तो न केवल पौधे स्वस्थ रहेंगे बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी लंबे समय तक कायम रहेगी।
बता दें कि विशेषज्ञों के अनुसार छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड, प्रोबायोटिक्स और खनिज तत्व पौधों की वृद्धि बढ़ाते हैं और मिट्टी में लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ाते हैं।
छाछ के उपयोग से बागवानी को कई फायदे
- प्राकृतिक फफूंदनाशक: छाछ का घोल पत्तियों पर लगने वाले फफूंद रोग—जैसे पाउडरी मिल्ड्यू और ब्लैक स्पॉट—को नियंत्रित करता है।
- मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व जड़ों को मजबूत बनाते हैं और मिट्टी को जैविक रूप से समृद्ध करते हैं।
- पत्तियों में चमक: हल्का घोल पत्तियों पर छिड़कने से वे अधिक हरी और चमकदार दिखती हैं।
- कीट नियंत्रण: इसका तीखा गंध कुछ कीटों को दूर रखता है और पौधों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
- जैविक उर्वरक: छाछ में मौजूद बैक्टीरिया मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाते हैं।
कैसे करें छाछ का उपयोग?
- फफूंदनाशक स्प्रे: 1 लीटर पानी + 250 मि.ली. छाछ। हफ्ते में एक बार छिड़कें।
- जैविक उर्वरक: 1 लीटर पानी + 200 मि.ली. छाछ। महीने में 2–3 बार जड़ों में डालें।
- कीटनाशक मिश्रण: 1 लीटर छाछ + 2 लीटर पानी + 1 चम्मच नीम तेल / नीम रस / हल्दी पाउडर।
इसका उपयोग सब्जी पौधों, फूलदार-फलदार पौधों, मनी प्लांट, तुलसी और खेती की कई फसलों में किया जा सकता है। रसीले (succulent) पौधों में उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।
इन सावधानियों का रखें ध्यान
- नमक या मसाले वाली छाछ का उपयोग न करें।
- हमेशा पानी में घोलकर ही छाछ का प्रयोग करें।
- अधिक मात्रा न डालें, वरना मिट्टी अम्लीय हो सकती है।
मिट्टी की गुणवत्ता जांचने का आसान तरीका: जार मिट्टी परीक्षण
मिट्टी की बनावट जानने के लिए सबसे आसान तरीका है जार मिट्टी परीक्षण, जिसमें रेत, गाद और चिकनी मिट्टी का प्रतिशत पता चल जाता है।
कैसे करें जार मिट्टी परीक्षण?
- जार में 1/4–1/2 तक मिट्टी भरें (3 फुट गहराई से ली गई)
- कंकड़-जड़ें हटा दें और जार में पानी भरें
- कुछ बूंदें लिक्विड सोप डालें
- 2 मिनट तक जोर से हिलाएं
- 1–2 मिनट में रेत (Sand) नीचे बैठ जाती है
- 30 मिनट में गाद (Silt) उसकी ऊपर जमती है
- 24 घंटे में चिकनी मिट्टी (Clay) सबसे ऊपर दिखती है
इसके बाद स्केल से परतों की ऊँचाई मापकर तीनों का प्रतिशत निकाला जा सकता है।
मिट्टी की उर्वरता घटने के मुख्य कारण
- रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग
- जैविक खादों का कम प्रयोग
- मिट्टी की जलधारण क्षमता में गिरावट
- ऑक्सीजन की कमी और गहरी जुताई
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान और बागवानी प्रेमी छाछ जैसे जैविक विकल्प अपनाएं और समय-समय पर मिट्टी की जांच करें, तो न केवल पौधे स्वस्थ रहेंगे बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी लंबे समय तक कायम रहेगी।












