असली धुरंधर को नहीं जानते है तो जान लीजिए
लेकिन लोग जिस धुरंधर फिल्म को परदे पर देख रहे है वह वास्तव में असली धुरंधर है ही नहीं। असल धुरंधर तो भारत माँ का वो लाडला बेटा था जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से काम नहीं था।

Ravindra Kaushik : धुरंधर शब्द तो आप सभी ने सुना होगा। आजकल सोशल मीडिया पर धुरंधर शब्द खूब ट्रेंड कर रहा है। हर जगह धुरंधर शब्द की खूब चर्चा है। सोशल मीडिया से लेकर टीवी और अखबारों में इस शब्द की खूब चर्चा हो रही है। जी हां हम बात कर रहे है हाल में रिलीज हुई धुरंधर फिल्म की। आजकल सोशल मीडिया से लेकर टीवी और अखबारों तक इस फिल्म का जबरदस्त क्रेज दिख रहा है। इस फिल्म को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। लेकिन लोग जिस धुरंधर फिल्म को परदे पर देख रहे है वह वास्तव में असली धुरंधर है ही नहीं। असल धुरंधर तो भारत माँ का वो लाडला बेटा था जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से काम नहीं था।
भारत माँ के लाडले बेटे थे रविंद्र कौशिक
भारत माँ के लाडले बेटे तथा असली धुरंधर का नाम रविंद्र कौशिक था। भारत माँ के लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक की असल जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। आपको बता दें कि भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर का जन्म भारत में योद्धाओ की भूमि कहे जाने वाले राजस्थान में हुआ था। भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की पुलिस, पाकिस्तान की सेना यहाँ तक की सरकार भी डरती थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत माँ की सेवा करते हुए भारत माँ के इस सुपुत्र ने पाकिस्तान के जेल में ही शहादत दे दी थी। भारत माँ के सुपुत्र रविंद्र कौशिक शहीद तो हो गए लेकिन अपने पीछे अपनी वीर पुरुष की छवि छोड़ गए।
जब भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ की नजर पड़ी थी इस धुरंधर के ऊपर
भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा धुरंधर रविंद्र कौशिक को एक्टिंग का काफी शौक था। उनका यही शौक उनके असल जिंदगी के धुरंधर बनने का कारण बना। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक बार एक थिएटर प्रस्तुतीकरण के दौरान रविंद्र कौशिक की अभिनय प्रतिभा पर भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ (R&AW) की नजर पड़ी। भारत माँ के लाडले रविंद्र कौशिक ने अपने नाटक में एक भारतीय सेना के अधिकारी की भूमिका निभाई थी, जिसे दुश्मन देश के सैनिक पकड़ लेते है। लेकिन वो किसी भी हालात में देश से जुड़ी अहम् जानकारी को साझा नहीं करते है। उनके इस अभिनय से प्रभावित होकर भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें अपनी गुप्त सेवाओं के लिए उपयुक्त माना। रॉ में चयन होने के बाद भारत माँ के लाडले बेटे रविंद्र कौशिक को करीब दो साल तक कड़ी और गोपनीय प्रशिक्षण प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ा। उन्हें इस्लाम से जुड़ी अहम शिक्षा दी गई। उर्दू भाषा की समझ होने के कारण उन्होंने बहुत जल्दी ही नई भाषा और संस्कृति को आसानी से आत्मसात कर ली। इसके साथ - साथ उन्हें कई गुप्त मिशन पर भी भेजा गया, जहा उन्होंने सौपें गए हर काम को बड़ी ही कुशलतापूर्वक निभाया। उनकी इन सफलताओ को देखते हुए भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें साल 1975 में पड़ोसी मुल्क तथा भारत के सबसे बड़े दशम पाकिस्तान में एक बेहद ही संवेदनशील मिशन के लिए भेजा। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य एक बनावटी तथा गुप्त पहचान के साथ पाकिस्तान में रहते हुए भारत को पाकिस्तान की हर सैन्य जानकारी तथा उनकी हर गतिविधि की जानकारी उपलब्ध करना था। भारत की सबसे बड़ी ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ ने उन्हें इस मिशन के लिए एक खाकास नाम भी दिया था। भारत माँ के इस लाडले बेटे को इस मिशन के लिए नबी अहमद शाकिर नाम की एक नई पहचान दी गई। सत्तर के दशक के करीब भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें पाकिस्तानी पहचान के साथ साथ पाकिस्तान से जुड़े अहम् दस्तावेज भी उपलब्ध कराए। रॉ ने उन्हें जन्म प्रमाणपत्र से लेकर शैक्षणिक प्रमाण-पत्र और पासपोर्ट वीजा तक हर कागजात पूरी तरह वैध रूप में तैयार करके दिए। अपनी इसी पहचान के साथ वह पाकिस्तान के इस्लामाबाद शहर के निवासी नबी अहमद के रूप में जाने जाने लगे।
पाकिस्तान का छात्र तक बन गया था भारत माँ का लाडला धुरंधर
पाकिस्तान पहुंचने के बाद भारत माँ के लाडले बेटे रविंद्र कौशिक ने पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची के एक प्रमुख लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेकर वहां कानून से जुड़ी पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई पूरी होते ही उन्हें पकिस्ता की सेना में कमीशन मिला और बाद में कार्यशैली से प्रभावित होकर पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पाकिस्तानी सेना में मेजर की उपाधि तक प्राप्त की। अपने मिशन के दौरान रविंद्र कौशिक ने एक पाकिस्तानी महिला से विवाह भी किया और एक बेटी के पिता भी बने। साल 1979 से लेकर 1983 के बीच उन्होंने लगातार पाकिस्तान तथा पाकिस्तानी सेना से जुड़ी अहम जानकारी भारत को महत्वपूर्ण को भेजीं, जिससे भारत की रक्षा रणनीति को मजबूती मिली। आपको बता दें कि उनका यह मिशन इतना खुफिया था कि उनके माँ बाप तक को उनके जासूस बनने की भनक तक नहीं थी। उन्होंने अपने माता से झूट बोलते हुए यह कहा था कि वो दुबई में कारोबार करते है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक मौके पर उन्हें बहुत ही गोपनीय ढंग से कुछ वक्त के लिए अपने देश भारत आने की इजाजत दी गई। इस दौरान वो अपने साथ कुछ उपहार लेकर आए, लेकिन अपने मिशन से जुड़ा रहस्य किसी के साथ साझा नहीं किया। परिवार की तरफ से शादी की बात को लेकर दबाब बढ़ते देखकर उन्होंने अपनी शादी दुबई में होने की बात कहकर मामले की गंभीरता को संभाला।
1983 में बदला खेल
हालाकिं साल 1983 में परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई। भारत पाक सीमा पार करते वक्त भारतीय जासूस इनायत मसीहा गिरफ्तार हो गए। भारतीय जासूस इनायत मसीहा की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में उन्होंने रविंद्र कौशिक की पहचान उजागर कर दी। इसके बाद रविंद्र कौशिक को गिरफ्तार कर पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में से एक मुल्तान के जेल में दाल दिया गया। रविंद्र कौशिक को जासूसी के जुर्म में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई। हलाकि बाद में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को बदलते हुए रविंद्र कौशिक को आजीवन कारावास कर दिया। पाकिस्तान जेल में लंबे समय तक खराब स्वास्थ्य के चलते उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती गई , इसके बाद साल 2001 में दिल का दौरा पड़ने से भारत माँ के लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक पाकिस्तानी जेल में ही शहीद हो गए। अपने देश के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। रविंद्र कौशिक को उनके इस जज्बे के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत ब्लैक टाइगर की उपाधि से सम्मानित किया। Ravindra Kaushik
Ravindra Kaushik : धुरंधर शब्द तो आप सभी ने सुना होगा। आजकल सोशल मीडिया पर धुरंधर शब्द खूब ट्रेंड कर रहा है। हर जगह धुरंधर शब्द की खूब चर्चा है। सोशल मीडिया से लेकर टीवी और अखबारों में इस शब्द की खूब चर्चा हो रही है। जी हां हम बात कर रहे है हाल में रिलीज हुई धुरंधर फिल्म की। आजकल सोशल मीडिया से लेकर टीवी और अखबारों तक इस फिल्म का जबरदस्त क्रेज दिख रहा है। इस फिल्म को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। लेकिन लोग जिस धुरंधर फिल्म को परदे पर देख रहे है वह वास्तव में असली धुरंधर है ही नहीं। असल धुरंधर तो भारत माँ का वो लाडला बेटा था जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से काम नहीं था।
भारत माँ के लाडले बेटे थे रविंद्र कौशिक
भारत माँ के लाडले बेटे तथा असली धुरंधर का नाम रविंद्र कौशिक था। भारत माँ के लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक की असल जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। आपको बता दें कि भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर का जन्म भारत में योद्धाओ की भूमि कहे जाने वाले राजस्थान में हुआ था। भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की पुलिस, पाकिस्तान की सेना यहाँ तक की सरकार भी डरती थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत माँ की सेवा करते हुए भारत माँ के इस सुपुत्र ने पाकिस्तान के जेल में ही शहादत दे दी थी। भारत माँ के सुपुत्र रविंद्र कौशिक शहीद तो हो गए लेकिन अपने पीछे अपनी वीर पुरुष की छवि छोड़ गए।
जब भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ की नजर पड़ी थी इस धुरंधर के ऊपर
भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा धुरंधर रविंद्र कौशिक को एक्टिंग का काफी शौक था। उनका यही शौक उनके असल जिंदगी के धुरंधर बनने का कारण बना। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक बार एक थिएटर प्रस्तुतीकरण के दौरान रविंद्र कौशिक की अभिनय प्रतिभा पर भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ (R&AW) की नजर पड़ी। भारत माँ के लाडले रविंद्र कौशिक ने अपने नाटक में एक भारतीय सेना के अधिकारी की भूमिका निभाई थी, जिसे दुश्मन देश के सैनिक पकड़ लेते है। लेकिन वो किसी भी हालात में देश से जुड़ी अहम् जानकारी को साझा नहीं करते है। उनके इस अभिनय से प्रभावित होकर भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें अपनी गुप्त सेवाओं के लिए उपयुक्त माना। रॉ में चयन होने के बाद भारत माँ के लाडले बेटे रविंद्र कौशिक को करीब दो साल तक कड़ी और गोपनीय प्रशिक्षण प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ा। उन्हें इस्लाम से जुड़ी अहम शिक्षा दी गई। उर्दू भाषा की समझ होने के कारण उन्होंने बहुत जल्दी ही नई भाषा और संस्कृति को आसानी से आत्मसात कर ली। इसके साथ - साथ उन्हें कई गुप्त मिशन पर भी भेजा गया, जहा उन्होंने सौपें गए हर काम को बड़ी ही कुशलतापूर्वक निभाया। उनकी इन सफलताओ को देखते हुए भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें साल 1975 में पड़ोसी मुल्क तथा भारत के सबसे बड़े दशम पाकिस्तान में एक बेहद ही संवेदनशील मिशन के लिए भेजा। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य एक बनावटी तथा गुप्त पहचान के साथ पाकिस्तान में रहते हुए भारत को पाकिस्तान की हर सैन्य जानकारी तथा उनकी हर गतिविधि की जानकारी उपलब्ध करना था। भारत की सबसे बड़ी ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ ने उन्हें इस मिशन के लिए एक खाकास नाम भी दिया था। भारत माँ के इस लाडले बेटे को इस मिशन के लिए नबी अहमद शाकिर नाम की एक नई पहचान दी गई। सत्तर के दशक के करीब भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें पाकिस्तानी पहचान के साथ साथ पाकिस्तान से जुड़े अहम् दस्तावेज भी उपलब्ध कराए। रॉ ने उन्हें जन्म प्रमाणपत्र से लेकर शैक्षणिक प्रमाण-पत्र और पासपोर्ट वीजा तक हर कागजात पूरी तरह वैध रूप में तैयार करके दिए। अपनी इसी पहचान के साथ वह पाकिस्तान के इस्लामाबाद शहर के निवासी नबी अहमद के रूप में जाने जाने लगे।
पाकिस्तान का छात्र तक बन गया था भारत माँ का लाडला धुरंधर
पाकिस्तान पहुंचने के बाद भारत माँ के लाडले बेटे रविंद्र कौशिक ने पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची के एक प्रमुख लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेकर वहां कानून से जुड़ी पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई पूरी होते ही उन्हें पकिस्ता की सेना में कमीशन मिला और बाद में कार्यशैली से प्रभावित होकर पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पाकिस्तानी सेना में मेजर की उपाधि तक प्राप्त की। अपने मिशन के दौरान रविंद्र कौशिक ने एक पाकिस्तानी महिला से विवाह भी किया और एक बेटी के पिता भी बने। साल 1979 से लेकर 1983 के बीच उन्होंने लगातार पाकिस्तान तथा पाकिस्तानी सेना से जुड़ी अहम जानकारी भारत को महत्वपूर्ण को भेजीं, जिससे भारत की रक्षा रणनीति को मजबूती मिली। आपको बता दें कि उनका यह मिशन इतना खुफिया था कि उनके माँ बाप तक को उनके जासूस बनने की भनक तक नहीं थी। उन्होंने अपने माता से झूट बोलते हुए यह कहा था कि वो दुबई में कारोबार करते है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक मौके पर उन्हें बहुत ही गोपनीय ढंग से कुछ वक्त के लिए अपने देश भारत आने की इजाजत दी गई। इस दौरान वो अपने साथ कुछ उपहार लेकर आए, लेकिन अपने मिशन से जुड़ा रहस्य किसी के साथ साझा नहीं किया। परिवार की तरफ से शादी की बात को लेकर दबाब बढ़ते देखकर उन्होंने अपनी शादी दुबई में होने की बात कहकर मामले की गंभीरता को संभाला।
1983 में बदला खेल
हालाकिं साल 1983 में परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई। भारत पाक सीमा पार करते वक्त भारतीय जासूस इनायत मसीहा गिरफ्तार हो गए। भारतीय जासूस इनायत मसीहा की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में उन्होंने रविंद्र कौशिक की पहचान उजागर कर दी। इसके बाद रविंद्र कौशिक को गिरफ्तार कर पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में से एक मुल्तान के जेल में दाल दिया गया। रविंद्र कौशिक को जासूसी के जुर्म में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई। हलाकि बाद में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को बदलते हुए रविंद्र कौशिक को आजीवन कारावास कर दिया। पाकिस्तान जेल में लंबे समय तक खराब स्वास्थ्य के चलते उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती गई , इसके बाद साल 2001 में दिल का दौरा पड़ने से भारत माँ के लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक पाकिस्तानी जेल में ही शहीद हो गए। अपने देश के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। रविंद्र कौशिक को उनके इस जज्बे के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत ब्लैक टाइगर की उपाधि से सम्मानित किया। Ravindra Kaushik












