पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटील का मंत्रालय सबसे ज्यादा चर्चा में क्यों रहा?

हालांकि विरोधियों ने इसे लेकर सवाल उठाए। दावा किया गया कि चुनाव हारने के बावजूद पार्टी नेतृत्व से नजदीकी के चलते उन्हें इतना अहम मंत्रालय मिला। बाद में वही कार्यकाल उनके राजनीतिक जीवन का सबसे ज्यादा चर्चा और बहस वाला अध्याय बन गया।

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज विश्वनाथ पाटील
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज विश्वनाथ पाटील
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar12 Dec 2025 10:39 AM
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Shivraj Patil : भारतीय राजनीति में कुछ नेता अपने दशकों लंबे अनुभव से पहचाने जाते हैं, लेकिन कुछ की सार्वजनिक छवि किसी एक विवाद की परछाईं में हमेशा के लिए कैद हो जाती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज विश्वनाथ पाटील का नाम भी इसी वजह से अक्सर चर्चा में रहा। शुक्रवार सुबह उनके निधन की खबर के साथ एक दौर की यादें फिर ताज़ा हो गईं। मनमोहन सिंह सरकार के पहले कार्यकाल (2004–2008) में देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी, मगर उसी अवधि में लगातार हुए आतंकी हमलों ने सुरक्षा तंत्र पर तीखे सवाल खड़े किए। और फिर ‘सूट बदलने’ वाला विवाद जिसने उनके प्रशासनिक कामकाज से ज़्यादा, उनकी छवि पर सबसे गहरी छाप छोड़ दी और उन्हें लंबे समय तक सुर्खियों में बनाए रहा।

गृह मंत्रालय बना सबसे विवादित अध्याय

1935 में महाराष्ट्र के लातूर जिले के चाकूर में जन्मे शिवराज विश्वनाथ पाटील ने सियासत में लंबी और असरदार पारी खेली। लातूर की जनता ने उन्हें सात बार लोकसभा पहुंचाया और वे लोकसभा अध्यक्ष जैसे प्रतिष्ठित पद तक भी पहुंचे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के दौर में भी वे केंद्र सरकार में मंत्री रहे, यानी सत्ता और संगठन दोनों के गलियारों में उनकी पकड़ रही। 2004 में यूपीए की सरकार बनी तो गृह मंत्रालय की कमान उन्हें सौंपी गई। हालांकि विरोधियों ने इसे लेकर सवाल उठाए दावा किया गया कि चुनाव हारने के बावजूद पार्टी नेतृत्व से नजदीकी के चलते उन्हें इतना अहम मंत्रालय मिला। बाद में वही कार्यकाल उनके राजनीतिक जीवन का सबसे ज्यादा चर्चा और बहस वाला अध्याय बन गया।

2005-2008: हमलों की श्रृंखला और बढ़ता दबाव

उनके गृह मंत्री रहते देश ने एक के बाद एक बड़े आतंकी हमलों और सिलसिलेवार धमाकों का दर्द झेला। हैदराबाद से लेकर मालेगांव, जयपुर, अहमदाबाद, बेंगलुरु और दिल्ली तक फैली इन घटनाओं ने पूरे सुरक्षा तंत्र को कटघरे में खड़ा कर दिया। हर हमले के बाद यही सवाल गूंजता रहा कि खुफिया एजेंसियां खतरे के संकेत समय रहते क्यों नहीं पकड़ पाईं और समन्वय में चूक कहां हुई। विपक्ष ने इन हमलों को सरकार की आंतरिक सुरक्षा रणनीति की कमजोरी बताकर गृह मंत्रालय को लगातार निशाने पर रखा, जिससे संसद से लेकर सियासी मंचों तक तीखी बहस छिड़ी रही।

एक घटना जिसने छवि बदल दी

असल विवाद की शुरुआत 13 सितंबर 2008 के दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के बाद हुई। धमाकों के बाद जब गृह मंत्री मौके पर पहुंचे, तब टीवी कवरेज में वे अलग-अलग समय पर अलग-अलग पहनावे में नजर आए। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि उस दिन उन्होंने कई बार कपड़े बदले कभी सफेद बंदगला, कभी काला, फिर दोबारा सफेद। आलोचकों ने इसे प्रतीक बना दिया कि जिस समय देश सदमे में था, उसी समय गृह मंत्री इमेज और अपीयरेंस को प्राथमिकता दे रहे थे। यही वह बिंदु था, जिसके बाद उनके लिए ‘सीरियल ड्रेसर’ जैसे तंज चल पड़े और विवाद उनकी राजनीतिक पहचान का हिस्सा बन गया। हालांकि समर्थकों का तर्क रहा कि मौके पर अलग-अलग कार्यक्रम/बैठकों के कारण पहनावे में बदलाव असामान्य नहीं, लेकिन जनभावना पर इसका असर गहरा पड़ा।

‘जवाबदेही’ की मांग और कुर्सी पर संकट

दिल्ली ब्लास्ट के ठीक दो महीने बाद 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर भयावह आतंकी हमला हुआ। ताज होटल, ओबेरॉय, नरीमन हाउस और CST सहित कई स्थान निशाने पर रहे। तीन दिन तक चले ऑपरेशन में 166 लोगों की मौत और सैकड़ों के घायल होने की खबरें सामने आईं। इस हमले के बाद केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय पर जवाबदेही का दबाव चरम पर पहुंच गया। मीडिया और विपक्ष ने सुरक्षा चूक, खुफिया इनपुट, और त्वरित कार्रवाई/समन्वय पर गंभीर सवाल उठाए। कुछ रिपोर्टों में एनएसजी की तैनाती और निर्णय प्रक्रिया को लेकर भी देरी के आरोप उठे। इस पूरे माहौल में शिवराज पाटील के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी। दबाव बढ़ने के बाद 30 नवंबर 2008 को शिवराज पाटील ने गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने हमले के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री को इस्तीफा सौंपा। इसके बाद उनकी जगह पी. चिदंबरम को गृह मंत्री बनाया गया। इस्तीफे के साथ ही उनका सक्रिय राजनीतिक प्रभाव भी धीमा पड़ता चला गया। आगे चलकर वे पंजाब के राज्यपाल भी बने और कुछ समय बाद सार्वजनिक राजनीति के केंद्र से दूर होते गए।

जनता की यादों में क्यों रह गए ‘विवाद’ के साथ?

शिवराज पाटील का करियर उपलब्धियों और बड़े पदों से भरा रहा, लेकिन गृह मंत्रालय का वह दौर जहां एक तरफ देश आतंकी चुनौती से जूझ रहा था और दूसरी तरफ उनके ऊपर नेतृत्व, तैयारी और प्राथमिकताओं को लेकर सवाल उठते रहे उनकी छवि का निर्णायक अध्याय बन गया। समर्थक उन्हें अनुभवी और संयमित नेता मानते रहे, जबकि आलोचकों की नजर में वे संकट के समय कमजोर नेतृत्व और विवादित अपीयरेंस के प्रतीक बन गए। Shivraj Patil

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पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का निधन, 90 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

इसके बाद वे लगातार सात बार इसी सीट से चुनकर संसद पहुंचे। यह रिकॉर्ड उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में प्रभावशाली चेहरों की कतार में खड़ा करता है और लातूर क्षेत्र में उनकी पकड़ को भी रेखांकित करता है।

पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल
पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar12 Dec 2025 09:23 AM
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Shivraj Patil : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार को महाराष्ट्र के लातूर में 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे और घर पर ही उपचार व देखरेख के बीच थे। सुबह करीब 6:30 बजे उन्होंने अपने निवास पर अंतिम सांस ली। उनके जाने से महाराष्ट्र ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में भी शोक की लहर है क्योंकि शिवराज पाटिल को एक शांत, संयत और बेहद कर्मठ नेता के रूप में व्यापक सम्मान मिलता रहा।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

12 अक्टूबर 1935 को लातूर जिले के चाकुर में जन्मे शिवराज पाटिल ने पढ़ाई पूरी करने के बाद पहले आयुर्वेद का अभ्यास किया। इसके बाद उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। राजनीति में उनकी औपचारिक शुरुआत 1967 में मानी जाती है, जब उन्होंने लातूर नगर पालिका से सार्वजनिक जीवन की जिम्मेदारी संभाली और यहीं से उनके लंबे राजनीतिक सफर की नींव पड़ी। शिवराज पाटिल 1980 में पहली बार लातूर लोकसभा सीट से सांसद बने। इसके बाद वे लगातार सात बार इसी सीट से चुनकर संसद पहुंचे। यह रिकॉर्ड उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में प्रभावशाली चेहरों की कतार में खड़ा करता है और लातूर क्षेत्र में उनकी पकड़ को भी रेखांकित करता है।

केंद्र सरकार में अहम भूमिकाएं

अपने राजनीतिक जीवन में शिवराज पाटिल ने केंद्र में कई महत्वपूर्ण विभागों में जिम्मेदारियां निभाईं। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष जैसे मंत्रालयों में राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। उनका प्रशासनिक अनुभव और कामकाजी शैली उन्हें पार्टी के भरोसेमंद नेताओं में शामिल करती रही।

लोकसभा स्पीकर के रूप में निर्णायक दौर

शिवराज पाटिल 1991 से 1996 तक लोकसभा अध्यक्ष रहे। उनके कार्यकाल को संसद की कार्यप्रणाली में बदलाव और तकनीकी अपग्रेड के लिए याद किया जाता है। उन्होंने लोकसभा के आधुनिकीकरण, कंप्यूटरीकरण, कार्यवाही के सीधे प्रसारण और नई लाइब्रेरी बिल्डिंग जैसे प्रयासों को गति दी जिसे भारतीय संसद के प्रशासनिक-तकनीकी संक्रमणकाल का महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है।

26/11 के बाद दे दिया था इस्तीफा

2004 में चुनाव हारने के बावजूद उन्हें केंद्र में गृह मंत्री बनाया गया। लेकिन 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला उनके सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही के संकेत के तौर पर अक्सर उल्लेखित किया जाता रहा। इसके बाद शिवराज पाटिल को पंजाब का राज्यपाल और चंडीगढ़ का प्रशासक नियुक्त किया गया। उन्होंने 2010 से 2015 तक इस भूमिका में कार्य किया और प्रशासनिक स्तर पर अपने अनुभव का उपयोग किया। Shivraj Patil

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दस लाख साल पुरानी खोपड़ी से बदली इंसानी विकास की कहानी

चीन में मिली करीब 10 लाख साल पुरानी मानव खोपड़ी ने मानव विकास की अब तक मानी गई कहानी को चुनौती दे दी है। नई स्टडी के मुताबिक यह खोपड़ी दिखाती है कि होमो सेपियन्स की शुरुआत अब तक सोचे गए समय से लगभग 5 लाख साल पहले हो चुकी थी।

Research on the human skull
मानव खोपड़ी पर रिसर्च करते (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar11 Dec 2025 05:22 PM
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बता दें कि इसका मतलब यह भी हो सकता है कि हमारी प्रजाति लंबे समय तक नियंडरथल्स और होमो लॉन्गी जैसी अन्य मानव प्रजातियों के साथ धरती पर एक-साथ रहती थी। यह शोध प्रतिष्ठित मैगज़ीन 'साइंस' में प्रकाशित हुआ है, जिसे चीन की फ़ुदान यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह खोज मानव विकास की समझ को पूरी तरह बदल सकती है।

खोपड़ी की पहचान में बड़ा उलटफेर

बता दें कि मिली हुई इस खोपड़ी — जिसका नाम ‘युनशियन 2’ रखा गया है जो कि पहले होमो इरेक्टस माना गया था। लेकिन नए विश्लेषण से पता चला कि यह वास्तव में होमो लॉन्गी का पुराना रूप है, यानी वह प्रजाति जो विकास के मामले में नियंडरथल्स और आधुनिक इंसानों के बराबर थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर होमो लॉन्गी लगभग 10 लाख साल पहले मौजूद था, तो संभव है कि होमो सेपियन्स और नियंडरथल्स भी उसी समय उभर चुके हों।

जेनेटिक विश्लेषण से मजबूत हुआ दावा

बता दें कि खोपड़ी के आकार के साथ-साथ जेनेटिक डेटा ने भी यही संकेत दिए है कि यह साधारण होमो इरेक्टस नहीं बल्कि ज्यादा विकसित मानव समूह का हिस्सा था। हालांकि कुछ वैज्ञानिक इन निष्कर्षों को अभी शुरुआती मानते हैं और कहते हैं कि ''और साक्ष्यों की जरूरत है'' ताकि यह पक्का कहा जा सके कि इंसानों की आधुनिक वंशावली वास्तव में कितनी पुरानी है।

क्या होमो सेपियन्स की उत्पत्ति एशिया में हुई?

अफ्रीका से मिले सबसे पुराने होमो सेपियन्स जीवाश्म करीब 3 लाख साल पुराने हैं। लेकिन अगर चीन की नई खोज सही साबित होती है, तो यह संकेत मिल सकता है कि आधुनिक इंसानों की जड़ें एशिया में और पहले विकसित हुई हों। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अफ्रीका और यूरोप से मिले 10 लाख साल पुराने जीवाश्मों का भी विश्लेषण जरूरी है।

तीन प्रजातियां हजारों साल तक साथ रहीं

नई टाइमलाइन के अनुसार होमो सेपियन्स, होमो लॉन्गी और नियंडरथल्स तीनों प्रजातियां लगभग 8 लाख साल तक धरती पर साथ रहीं है और इस लंबे समय में आपस में मिलने-मिलाने और प्रजनन की संभावना भी है। इससे उन कई पुराने जीवाश्मों को समझने में आसानी होगी जो अब तक किसी एक प्रजाति में फिट नहीं बैठते थे।

कैसे हुई असली रूप में पहचान?

युनशियन क्षेत्र से मिली खोपड़ियां बुरी तरह दबकर क्षतिग्रस्त हो गई थीं। शोधकर्ताओं ने इन्हें स्कैनिंग, कंप्यूटर मॉडलिंग और 3D प्रिंटिंग तकनीक से फिर से असली आकार दिया। इसके बाद ही वैज्ञानिक पहचान सके कि यह इंसानों की एक ज्यादा एडवांस प्रजाति थी।

नतीजा: मानव विकास की कहानी फिर से लिखनी पड़ सकती है

अगर यह अध्ययन आगे भी सही साबित होता है, तो मानव विकास की शुरुआत से लेकर विभिन्न प्रजातियों के आपसी संबंधों तक— पूरी टाइमलाइन को नए सिरे से लिखना पड़ सकता है।

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