Thursday, 28 November 2024

हरियाणा में बड़ा “गुल” खिलाते रहे हैं निर्दलीय, इस बार भी सबकी नजर

Haryana Election : हरियाणा विधानसभा का चुनाव अपने अंजाम की तरफ आगे बढ़ रहा है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों…

हरियाणा में बड़ा “गुल” खिलाते रहे हैं निर्दलीय, इस बार भी सबकी नजर

Haryana Election : हरियाणा विधानसभा का चुनाव अपने अंजाम की तरफ आगे बढ़ रहा है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर 2024 को वोट डाले जाएंगे। जम्मू-कश्मीर के साथ ही हरियाणा में वोटों की गिनती 8 अक्टूबर 2024 को होगी। हरियाणा विधानसभा चुनाव की समीक्षा करते समय एक गजब की जानकारी सामने आई है। हरियाणा के चुनाव में अक्सर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतने वाले विधायक बड़ा “गुल” खिलाते रहे हैं। हरियाणा के वर्तमान चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशियों पर सबकी नजर लगी हुई है।

रोचक रहा है हरियाणा में निर्दलीय विधायकों का इतिहास

हरियाणा प्रदेश का इतिहास 58 साल पुराना है। 58 साल पहले पंजाब प्रदेश से काटकर हरियाणा प्रदेश बनाया गया था। हरियाणा के 58 साल के राजनीति इतिहास में निर्दलीय विधायकों का चौंकाने वाला योगदान रहा है। हरियाणा प्रदेश में विधानसभा का पहला चुनाव वर्ष-1967 में हुआ था। वर्ष-1967 से लेकर वर्ष-2019 तक हुए हरियाणा विधानसभा के चुनाव में 117 विधायक निर्दलीय चुने गए हैं। अनेक मौकों पर हरियाणा में निर्दलीय विधायक किंग मेकर बने हैं। यूं भी कहा जा सकता है कि हरियाणा की ज्यादातर राज्य सरकारें निर्दलीय विधायकों के दम पर बनी तथा चली हैं।

पहली बार महिला बनी थी निर्दलीय विधायक

हरियाणा में 1967 से लेकर 2019 तक 13 चुनाव हुए हैं और प्रत्येक चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन ठीक रहा है। 1967 के विधानसभा चुनाव में 16 विधायक निर्दलीय चुने गए थे। इसके बाद 1968 में 6 विधायक, 1972 में 11 विधायक, 1977 में 7 निर्दलीय विधायक ने जीत दर्ज की थी। इस तरह 1972 तक कोई महिला निर्दलीय विधायक नहीं चुनी गई थी, लेकिन 1982 में पहली बार बल्लबगढ़ सीट से शारदा रानी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। हालांकि, इससे पहले तीन बार कांग्रेस से विधायक रही हैं, लेकिन 1982 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरकर चुनी गईं। साल 1982 के विधानसभा चुनाव में 16 निर्दलीय विधायक चुने गए। इसके बाद 1987 में 7 विधायक, 1991 में 5 निर्दलीय विधायक जीते। 1996 में 10 निर्दलीय विधायक बने। इस तरह साल 2000 में 11 विधायक, 2005 में 10 विधायक, 2009 में 7 विधायक, 2014 में 5 विधायक और 2019 7 निर्दलीय विधायक निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे। इस तरह अभी तक कुल 117 निर्दलीय विधायक हरियाणा में चुने गए हैं, लेकिन कई मौके पर अहम रोल भी अदा किया है।

हरियाणा में किंगमेकर बनते रहे हैं निर्दलीय विधायक

हरियाणा की सियासत में कई बार निर्दलीय के सहारे सरकार बनी. 2009 में कांग्रेस सरकार 7 निर्दलीय विधायकों के सहारे सरकार बनाई थी। इससे पहले साल 1982 में भजनलाल भी निर्दलीय विधायकों के दम पर सत्ता पर विराजमान हुए थे। 1982 में निर्दलीय जीते 16 विधायकों में से भजनलाल ने पांच निर्दलीय को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया था। इसी तरह से 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 7 निर्दलीय विधायक जीतकर आए थे, जिनमें से 6 ने बीजेपी को समर्थन दिया था। इसके बाद ही बीजेपी ने अपनी सरकार बनाई थी। ऐसे में बीजेपी ने रानियां से निर्दलीय विधायक चुने गए रणजीत सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया था। हरियाणा बनने के बाद से 1967 और 1987 में 16-16 निर्दलीय विधायक चुने गए थे। सबसे कम निर्दलीय 2014 और 1991 में 5-5 जीते हैं. ऐसे में खास बात यह है कि निर्दलीय के तौर पर विधानसभा पहुंचने वालों में बागी नेता ही शामिल रहे हैं, जिनका टिकट गया या फिर उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए. 2019 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो बागियों ने बीजेपी कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया था. बीजेपी को 40 सीटें ही मिल पाईं, इसलिए मजबूरी में निर्दलीयों को सरकार में शामिल किया

हरियाणा के चुनावी मैदान में हैं अनेक निर्दलीय

टिकट नहीं मिलने पर अनिल विज ने दो बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों को हराया था। 1996 और 2000 के विधानसभा चुनाव में अनिल विज ने जीत दर्ज की थी। इसी तरह इंद्री से भीमसेन मेहता ने चार बार निर्दलीय चुनाव लड़ा। वह 1996 और 2000 में कैबिनेट मंत्री भी रहे। निर्दलीयों ने दलों के समीकरण बनाए भी हैं और 2009 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में निर्दलीयों को मंत्री पद मिले थे। हुड्डा ने गोपाल कांडा को गृह राज्यमंत्री तक का दर्जा दिया था। इसी तरह, ओमप्रकाश जैन, सुखबीर कटारिया और पंडित शिवचरण को भी मंत्री बनाया था। इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी से कई निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनके उतरने से मुकाबला काफी रोचक हो गया है।

भाजपा प्रत्याशी ने भी मान लिया कि ललित नागर से ही है मुकाबला

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