Neha Singh Rathore New Song: लोक गायिका नेहा सिंह राठौर हमेशा ही अपने लोकगीतों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं पर सवाल उठाते नजर आती है। कभी अपने गीतों के माध्यम से राजनीति पर तंज कसते नजर आती हैं, तो कभी देश में चल रहे विभिन्न मुद्दों पर आवाज उठाते नजर आती है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं इस समय पूरे देश में किसानों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां एक तरफ किसान मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है, वहीं दूसरी तरफ लोक गायिका नेहा सिंह राठौड़ ने अपने नए गाने के माध्यम से किसानों की दशा का मार्मिक वर्णन किया है।
नेहा सिंह राठौड़ का नया गाना ‘किसानन के दुख केहू बूझे नाही’ काफी तेजी से वायरल हो रहा है। इस गाने को लोग बेहद पसंद कर रहे हैं।
क्या है ‘Neha Singh Rathore’ के नए गाने के बोल:
नेहा सिंह राठौर के नए गाने ‘किसानन के दुख केहू बूझे नाही’ के बोल कुछ इस प्रकार हैं –
“भादव आषाढ़ चाहे जेठ के घाम केहू बूझे नाही
बरहो महीना नाही करी आराम केहू बूझे नाही
खेतवा में रोपनी किसानवा करेला वो
खून पसीना से माटी के सिचेला हो
बद से बदतर बा बिजली पानी के झाम केहू बूझे नाही
घरवा दुआर छोड़ सिवाने में सुतेला हो
सोते उठे उठ सुत रात भर जगेला हो
फसल के मिले नाही उचित दाम केहू बूझे नाही
मंत्री विधायक नेता डीलिंग मारेला हो
कुर्सी पर बैठ के कुर्सी तोड़े हो
गूंग बहीर होई जावे जब पड़े काम केहू बूझे नाही
भादौ आषाढ़ चाहे जेठ के घाम केहू बूझे नाही।’