Wednesday, 3 July 2024

कुर्बानी की तैयारी जोरों-शोरों पर, जानें ईद-उल-अजहा का पूरा वाक़या

Eid-al-Adha : देश भर में ईद-उल-अजहा (बकरीद) का त्योहार आगामी 17 तारीख को मनाया जाएगा। ऐसे में ईद-उल-अजहा (Eid-al-Adha) की…

कुर्बानी की तैयारी जोरों-शोरों पर, जानें ईद-उल-अजहा का पूरा वाक़या

Eid-al-Adha : देश भर में ईद-उल-अजहा (बकरीद) का त्योहार आगामी 17 तारीख को मनाया जाएगा। ऐसे में ईद-उल-अजहा (Eid-al-Adha) की तैयारियां जोरों-शोरों पर है। जहां एक तरफ हज के लिए यात्रियों का जत्था रवाना हो चुका है, वहीं अब शहरवासियों ने कुर्बानी की तैयारियां तेजी से करनी शुरू कर दी है। दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में चांद का दीदार हो चुका है। शुक्रवार की देर रात गुजरात तेलंगाना के हैदराबाद और तमिलनाडु के चेन्नई से इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने ‘ज़ुल हिज्जा’ का चांद दिखने की जा चुकी है।

बकरीद में क्या-क्या करते हैं?

बता दें Eid-al-Adha (बकरीद) की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। बकरीद से पहले मुस्लिम समुदाय के लोग अपने-अपने घरों की अच्छे से सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं जिससे बाजारों में रौनक नजर आने लगती है। इसके आलावा बकरीद के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं। बकरीद के दिन सबसे पहले ईदगाह में ईद सलत पेश की जाती हैं। बकरे को कुर्बान करने के बाद उसके मांस का एक तिहाई हिस्सा खुदा को, एक तिहाई घर वालों व दोस्तों को और एक तिहाई गरीबों में दे दिया जाता है। बकरीद के दिन खासतौर पर गरीबों का ध्यान रखा जाता हैं उन्हें खाने से लेकर कपड़े तक दिए जाते हैं और बच्चों को ईदी दी जाती हैं। बता दें Eid-al-Adha के दिन बकरे के अलावा गाय, बकरी, भैंस और ऊंट की कुर्बानी दी जाती हैं।

क्यों मनाई जाता है Eid-al-Adha?

ऐसा कहा जाता है कि बकरीद पैगंबर इब्राहिम (अब्राहिम) की कुर्बानी की याद में मनाई जाती है। मुस्लिम समुदाय के मुताबिक पैगंबर इब्राहिम को नींद में आए एक सपने में अल्लाह तआला ने अपने किसी सबसे प्यारे चीज को कुर्बान करने का हुक्म दिया। जिसके बाद पैगंबर इब्राहिम सोच में पड़ गए कि आखिर क्या कुर्बान किया जा सकता है? बहुत सोचने विचारने के बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे कि उनके लिए सबसे प्यारा उनका बेटा है। अल्लाह का हुक्म मानते हुए पैगम्बर इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने का मन बना लिया और इस्माइल को कुर्बान करने के लिए चल दिए।

अल्लाह तआला ले रहे थे इम्तिहान

इस दौरान उन्हें एक शैतान मिला उनसे कहने लगा कि, आप अपने बेटे की कुर्बानी क्यों दे रहे हैं? अगर आपको देना ही है तो किसी जानवर की कुर्बानी दीजिए। इस बात पर पैगंबर इब्राहिम ने सोचा कि अगर मैंने अपने बेटे की बजाय किसी और की कुर्बानी दी तो ये अल्लाह के साथ धोखा करना होगा। इसलिए उन्होंने बेटे इस्माइल को ही कुर्बान करने का निर्णय लिया। जब वो बेटे इस्माइल को कुर्बानी देने लगे तो अल्लाह ने उनकी जगह एक दुंबे (भेड़) को रख दिया क्योंकि अल्लाह केवल पैगम्बर इब्राहिम का इम्तिहान ले रहे थे। इस पूरे वाक़य के बाद ही बकरीद मनाई जाने लगी।

कुर्बानी कौन दे सकता है?

मुस्लिम समुदाय के लोग तीन दिन तक चलने वाले Eid-al-Adha में अपनी हैसियत के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं। जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया है। इसके अलावा ऐसा कहा जाता है कि मुस्लिम समुदाय के जिन लोगों के पास करीब 613 ग्राम चांदी है, इसके बराबर के पैसे हैं या फिर कोई और सामान है तो वो कुर्बानी करने के पात्र हैं।

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